पंकज मुकाती, BHOPAL. चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। ये केवल एक औपचारिक सरकारी घोषणा भर है। चुनावी महोत्सव तो 6 महीने पहले से ही शुरू हो चुका है। सरकार और विपक्ष दोनों अपने-अपने ढोल, ताशे, नगाड़े के साथ कब का माहौल खड़ा करने में लगे हैं। इस लम्बे माहौल में सरकार ने खैरात की तरह धन लुटाया। मानों सब कुछ किसी दान पेटी से निकला हो या कोई रियासत का राजा अपनी संपत्ति जनता को बांट रहा हो। जनता भी इसी भरम में रहती है, या उसे रखा जाता है कि सरकार बड़े दयालु हैं। अपनी जेब से पैसा बांट रहे हैं। वो सब किनारे खड़े तमाशा देखने को मजबूर हैं, जिनकी गाढ़ी कमाई का टैक्स का पैसा साहब ने लुटा दिया।
मतदान तक घोषणाएं नहीं कर पाएगी सरकार
ये किसी एक राज्य का मामला नहीं है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम सब की तासीर इस मामले में एक सरीखी है। विपक्ष भी इसी फॉर्मूले पर है। वो सरकार बनेगी तो हम भी सब कुछ जनता पर कुर्बान कर देंगे का वादा कर रहा है। ऐसे में चुनाव की आचार संहिता का लगना निश्चित ही राहत है। तीनों राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य्रपदेश, राजस्थान में जनता को थोड़ी राहत मिलेगी। अब सही जमीनी माहौल भी नजर आएगा। अभी तक तो लाड़ली बहना, प्यारे भैया, सस्ता सिलेंडर, बसों में बहनों को मुफ्त यात्रा। सावन के ऐसे सप्तरंगी वादों के लहरिये हवाओं में उड़ रहे हैं। असली लहर का रंग इतने रंगों की बारिश में समझना नामुमकिन है। अब मतदान तक ऐसी घोषणाएं सरकार नहीं कर पाएगी। असली लहर और रंग अब सामने आएगा।
कांग्रेस खाली हाथ
बात मध्यप्रदेश की करें तो माहौल को बनाने में कांग्रेस आगे रही। उसने नारी सम्मान, सस्ता सिलेंडर जैसी घोषणाएं की। शिवराज सरकार ने इन सबको तत्काल लपका और डिलीवरी भी कर दी। अब कांग्रेस खाली हाथ हो गई। इसके बाद शिवराज मामा ने गांव-गांव तक बहनों को जोड़ने का जो काम किया उसने कांग्रेस को निश्चित ही पीछे धकेल दिया। कांग्रेस ने भी खुद को किनारे कर लिया। एक तरह से कांग्रेस इस पूरे खेल में दर्शक बनकर मैदान से बाहर बैठ गई। सबसे ज्यादा बेसब्री आचार संहिता लगने की कांग्रेस को ही रही होगी। कमलनाथ इंतजार कर रहे होंगे कि कब ये तमाशा थमे और वे और उनकी पार्टी फिर से मैदान संभालें।
क्या नया लेकर आएगी कांग्रेस ?
आचार संहिता की घोषणा भी हो चुकी है। सरकार अब नई योजना या बांटो अभियान नहीं चला सकेगी। कांग्रेस को जो मुद्दे चोरी होने का डर था वो भी अब खत्म हुआ। अब ये देखना होगा कि कांग्रेस इस समय क्या नया लेकर आती है। इस वक्त बीजेपी ने जनता के सत्ता विरोध को काफी हद तक काबू किया है। ऐसा दिखाई दे रहा है। केंद्रीय नेताओं ने भी मध्यप्रदेश में रात दिन एक किया। 7 सांसदों को मैदान में उतारकर बढ़त की जमीन तैयार की है। अभी बहुत खेल बाकी है। मेरा व्यक्तिगत आकलन है कि बहुमत का भरोसा अभी भी बीजेपी को नहीं है। कांग्रेस भी विश्वास के साथ नहीं कह सकती कि हम ही चुनाव जीत रहे। पर इसमें कोई दो राय नहीं कि रणनीति में बीजेपी बहुत आगे दिखाई दे रही है। कांग्रेस उसकी तुलना में पिछड़ी हुई है। आज यदि मतदान हो तो मुझे लगता है बीजेपी को 120 से ज्यादा सीट मिल सकती है। क्योंकि मामा जी की योजनाओं की गर्मी अभी बरकरार है। 1 महीने में कांग्रेस अपने पक्ष में कितना वोट कर पाती है, इस पर पूरा मामला निर्भर करेगा। आज यदि 10 में से नंबर देने होंगे तो रणनीति और गति के आधार पर बीजेपी को 6, कांग्रेस को 4 नंबर।