खरसिया सीट: उमेश पटेल को वॉकओवर, कांग्रेस का किला ढहाने के लिए BJP का प्रयोग हर बार रहा असफल, जानें इस बार का समीकरण

author-image
Vikram Jain
एडिट
New Update
खरसिया सीट: उमेश पटेल को वॉकओवर, कांग्रेस का किला ढहाने के लिए BJP का प्रयोग हर बार रहा असफल, जानें इस बार का समीकरण

गंगेश द्विवेदी RAIPUR. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की खरसिया विधानसभा सीट कांग्रेस का मजबूत किला रही है। इस सीट से कांग्रेस कभी भी नहीं हारी है। 1977 से अब तक कांग्रेस की अजेय रही खरसिया सीट से इस बार 8 प्रत्‍याशी मैदान में हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्‍याशी उमेश पटेल के लिए चुनौती जैसी बात इस बार नजर नहीं आ रही है। पिछली बार बीजेपी ने पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को खड़े करके चुनौती पेश की थी लेकिन इस बार साहू समाज के महेश साहू को मैदान में उतारा है। महेश साहू पिछले 10 साल से साहू समाज के प्रमुख हैं, लेकिन जिस सीट पर छत्तीसगढ़ बीजेपी के पितृ पुरुष लखीराम अग्रवाल और जशपुर राजपरिवार के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जुदेव की नहीं चली, ऐसे में यह प्रत्‍याशी एक तरह से उमेश पटेल के लिए वॉकओवर जैसा है। हालांकि आम आदमी पार्टी, जेसीसीजे, हमर राज पार्टी और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रत्‍याशी भी यहां अपनी किस्‍मत आजमाने के लिए मैदान में हैं, लेकिन मुख्‍य मुकाबला यहां हमेशा बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहा है।

जूदेव भी नहीं खिला पाए कमल लेकिन विजय जुलूस निकला

अविभाजित मध्‍य प्रदेश में खरसिया विधानसभा में 1988 का उप चुनाव अब तक के सबसे दिलचस्‍प मुकाबलों में से एक माना जाता है। मध्‍य प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनने के बाद तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह ने जीत दर्ज की थी उस दौरान इस सीट से लक्ष्मी प्रसाद पटेल विधायक थे। उन्होंने अर्जुन सिंह के लिए सीट छोड़ दी थी। इस उपचुनाव में अर्जुन सिंह को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने जशपुर राजपरिवार के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जूदेव को लड़ाया था। इस क्षेत्र की जनता राजकुमार को बहुत पसंद भी करती थी। चुनाव के दौरान उन्‍होंने बुजु्र्गों के पैर पकड़कर उस पर रुपए रखना शुरू किया तो भीड़ जूदेव की सभा और रैलियों में खिंचने लगे। माहौल ऐसा बना कि लगने लगा था कि अर्जुन सिंह हार जाएंगे। इसके बार वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री सत्‍यनारायण शर्मा के नेतृत्‍व में कांग्रेसियों ने मोर्चा संभाला। अंतिम परिणाम आया तो अर्जुन सिंह के खाते में 43 हजार 912 और दिलीप सिंह जूदेव के खाते में 35 हजार 254 वोट दर्ज किए गए। इस चुनाव में कुंवर जूदेव को 8 हजार 658 वोटों से हार मिली। नतीजे की घोषणा के बावजूद जनमानस में यही नक्शा खिंचा कि जीत तो कुमार जूदेव की हुई थी, जो किसी तरह छीन ली गई। यही वजह थी कि जिला मुख्यालय रायगढ़ में ‘चुनाव हारे हुए’ जूदेव का खासा बड़ा विजय जुलूस निकाला गया।

बीजेपी के पितृ पुरुष लखीराम भी नहीं खिला पाए कमल

छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पितृ पुरूष कहे जाने वाले लखीराम अग्रवाल ने इसके बाद बीजेपी को जीत दिलाने का बीड़ा उठाया। बता दें कि खरसिया में ही लखीराम अग्रवाल का जन्‍म हुआ था पूरा परिवार इसी क्षेत्र में है। 1990 में नंदकुमार पटेल को टिकट दिया गया जो नंदेली गांव के सरपंच थे। बीजेपी को यह अपेक्षाकृत कमजोर प्रत्‍याशी लगा। और लगा कि कमल खिलाने का यह एक बेहतर अवसर है। इसके बाद लखीराम अग्रवाल मैदान में उतरे। लखीराम अग्रवाल को खरसिया की जनता ने हाथोंहाथ लिया। जमकर प्रचार-प्रसार के बावजूद अपने गृहनगर में लखीराम अग्रवाल नंदकुमार पटेल से हार गए। इस चुनाव में नंदकुमार पटेल को 39 हजार 348 वोट मिले जबक‍ि लखीराम को 35 हजार 455 वोट मिले। मात्र 3 हजार 893 वोटों के अंतर से बीजेपी के पितामह चुनाव हार गए, इस बार खास बात यह रही कि हार के अंतर को आठ हजार से कम करके 3 हजार के रेंज में ले आए।

तीसरा बड़ा प्रयास ओपी चौधरी का भी असफल रहा

2018 के चुनाव में IAS की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए ओपी चौधरी को बीजेपी ने टिकट देकर मैदान में उतारा था। इस विधानसभा क्षेत्र के वायंग गांव का लड़का यूथ आइकॉन भी था साथ ही पिछड़ा वर्ग से भी था। ओपी चौधरी की कड़ी टक्कर के बाद उमेश पटेल ने खरसिया विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की। खरसिया विधानसभा क्षेत्र में उमेश पटेल को हराने के लिए ओपी चौधरी ने काफी जोर लगाया, लेकिन मतदाताओं का मन नहीं बदल सके। 2018 चुनाव के परिणाम को देखे तो कांग्रेस प्रत्याशी उमेश पटेल को 94 हजार 201 वोट मिले थे, वहीं बीजेपी के ओपी चौधरी को 77 हजार 234 वोट मिले थे। उमेश पटेल ने 16 हजार 967 वोट से जीत दर्ज की थी।

खरसिया का जातिगत समीकरण

खरसिया में कुल मतदाता की संख्या 215223 है, जिसमें पुरुष मतदाता 107383 और महिला मतदाता 107835 हैं। इसके अलावा थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 5 है। खरसिया विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो कहने को तो यह सामान्य सीट है, लेकिन पिछड़ा वर्ग के वोटर्स का दबदबा है। इस विधानसभा में पिछड़ा वर्ग के 70 हजार वोटर अनुमानित हैं जिनमें से साहू, तेली समाज के लगभग 18 हजार वोटर हैं तो अगरिया,पटेल समाज के 20 हजार वोटर हैं। आदिवासी समाज के 55 हजार वोटर हैं। वहीं सामान्य वर्ग से 30 हजार मतदाता आते हैं। पिछड़ा वर्ग और आदिवासी समाज का वोट कांग्रेस की झोली में जाता रहा है। यही पटेल परिवार की ताकत बन गई है और कांग्रेस यहां अब तक अजेय है।

इस बार भी बीजेपी ने खेला जाति का कार्ड

बीजेपी ने इस बार पितृपुरुष लखीराम अग्रवाल के बेटे अमर अग्रवाल को इस सीट से टिकट देने का मन बनाया था। लेकिन जातिगत समीकरणों को देखते हुए बीजेपी ने साहू समाज का बड़ा नाम महेश साहू को प्रत्याशी बनाया। पिछले 10 साल से साहू समाज की बागडोर महेश साहू के हाथों में है। सहज और सरल स्वभाव के कारण हर वर्ग के अंदर महेश साहू की पैठ देखी गई है। इनका संबंध खरसिया के उद्योगपति, किराना व्यापारी, किसान यहां तक की समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति से भी है। जिससे खरसिया विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी को कमतर नहीं आंका जा सकता।

दूसरे दल बिगाड़ सकते हैं समीकरण

इस सीट पर सर्व आदिवासी समाज की राजनीतिक पार्टी हमर राज पार्टी से भवानी सिंह सिदार चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ क्रांति सेना की राजनीतिक पार्टी जोहार छत्तीसगढ़ से यशवंत सिंह निषाद चुनावी मैदान में हैं। माना जा रहा है ये दोनों प्रत्‍याशी आदिवासी वोटों पर सेंध लगाएंगे तो वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवीण‍ विजय जायसवाल शहर के मारवाड़ी व सामान्‍य वोटर्स पर असर डाल सकते हैं। तो जेसीसीजे के परिमल सिंह यादव पिछड़ा वर्ग के वोटों पर सेंध लगा सकते हैं। इन सभी प्रत्याशियों की चली तो इसका नुकसान कांग्रेस और बीजेपी दोनों के वोटों पर पड़ सकता है।

खरसिया विधानसभा सीट से प्रत्याशियों के नाम

1. कांग्रेस- उमेश पटेल

2. भारतीय जनता पार्टी- महेश साहू

3. आम आदमी पार्टी- प्रवीण‍ विजय जायसवाल

4. हमर राज पार्टी- भवानी सिंह सिदार

5. जेसीसीजे- परिमल सिंह यादव

6. जोहार छत्तीसगढ़- यशवंत सिंह निषाद

7. निर्दलीय- विनोदचंद्र सिंह राठौर, गोवर्धन राठिया

Raipur News रायपुर न्यूज Kharsia Assembly seat BJP leader Dilip Singh Judev BJP's patriarch Lakhiram Aggarwal Congress never lost from Kharsia seat खरसिया विधानसभा सीट बीजेपी नेता दिलीप सिंह जुदेव बीजेपी के पितृ पुरुष लखीराम अग्रवाल खरसिया सीट से कांग्रेस कभी नहीं हारी