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BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए BJP ने 39 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी हैं। इसमें 11 प्रत्याशी मालवा-निमाड़ क्षेत्र में हैं। ये वे सीटें हैं, जहां बीजेपी 2018 के चुनाव में हार गई थी। उम्मीदवारों की जारी लिस्ट ने लोगों को हैरत में डाल रखा है। पार्टी कार्यकार्ताओं को ही नहीं विपक्षी दलों को भी उम्मीद थी कि जिस प्रकार से बीजेपी आलाकमान उम्मीदवारी के लिए पैमाने तय कर रहा था, उसके हिसाब से टिकट बड़े ही नापतौल के दिए जाएंगे। ऐसे चेहरे भी आ सकते हैं, जिनकी कोई उम्मीद नहीं कर सकता। बस यही बात आलाकमान ने सही साबित की। ऐसे चेहरों को एक बार फिर मौका दे दिया, जिनकी उम्मीद न के बराबर थी। इसमें वह चेहरे भी हैं, जिन्होंने 2018 में टिकट न मिलने पर बगावत का झंडा उठाया और पार्टी के उम्मीदवार को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया।
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2018 में नहीं मिला टिकट, निर्दलीय लड़े और दूसरे नंबर रहे मेव
अब बात करते हैं, लिस्ट में शामिल उन उम्मीदवारों की जिनके नाम ने लोगों को चौंका दिया। इसमें महेश्वर (खरगोन) से राजकुमार मेव शामिल हैं। यह 2018 में बीजेपी से महेश्वर विधायक थे। पार्टी ने एंटी इंकबैंसी से बचने के लिए मेव की जगह पूर्व विधायक भूपेंद्र आर्य को मैदान में उतारा। इससे राजकुमार मेव नाराज हो गए और बगावत करते हुए चुनाव में खड़े हो गए। नतीजा, यह हुआ कि वह तो नहीं जीत सके, लेकिन इसका बड़ा फायदा कांग्रेस को मिल गया। इस सीट से कांग्रेस की डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ 35 हजार 836 वोट से जीत गईं। यहां बीजेपी के आर्य तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 32 हजार 601 वोट मिल सके थे, जबकि निर्दलीय के तौर पर लड़ रहे राजकुमार मेव 47 हजार 251 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे।
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धर्मपुरी में धर्म का सहारा
वहीं बीजेपी ने धर्मपुरी विधानसभाा सीय से पूर्व विधायक कालूसिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है। दरअसल, धर्मपुरी कस्बा सामाजिक ताने-बाने के हिसाब से दो हिस्सों में देखा जा सकता है। एक हिस्से में 50 फीसदी के करीब आबादी मुस्लिम मतदाताओं की है। वहीं, दूसरे हिस्से में हिंदू मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। चूंकि, कालूराम ठाकुर इस समीकरण के हिसाब से गर्म स्वभाव के माने जाते हैं, तो पार्टी को उम्मीद है कि वे अपनी आक्रमक शैली से वोटों का ध्रुवीकरण करने में सफल होंगे। पिछले चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काटते हुए गोपाल कन्नौज को टिकट दिया था, लेकिन वे कांग्रेस के पंछीलाल मेडा से 12 हजार 951 वोट से हार गए थे। कांग्रेस प्रत्याशी मेडा को 77 हजार 483 वोट मिले थे, जबकि गोपाल कन्नौज को 64 हजार 532 वोट मिले थे।