JAIPUR. भाजपा ने राजस्थान के विधानसभा चुनाव के लिए आखिर चुनाव प्रभारी घोषित कर दिए हैं। केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद पटेल को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया है, वहीं गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और पिछले वर्ष ही भाजपा में आए हरियाणा के कुलदीप विश्नोई को सह प्रभारी बनाया गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि वैसे तो चुनाव में दिल्ली जो चाहेगी, वही होगा, लेकिन इन नेताओ की नियुक्ति से यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि राजस्थान के चुनाव में दिल्ली का दखल अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा रहेगा।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के प्रदेश चुनाव प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति की है। राजस्थान के लिए इस जिम्मेदारी को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को सौंपा गया है। इसके साथ ही, नितिन पटेल और कुलदीप विश्नोई को सह प्रभारी नियुक्ति दी गई है।
चुनाव प्रभारी बनने पर प्रहलाद जोशी ने कहा,
"मुझे भारतीय जनता पार्टी द्वारा जो भी जिम्मेदारी सौंपी गई है, मैं उसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा। राजस्थान में कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकने का मूड बना हुआ है। इस बार ऐतिहासिक बहुमत के साथ फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है।"
केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी कर्नाटक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं वहां की धारवाड सीट से चौथी बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। संघ परिवार से नजदीकी रखने वाले जोशी कुशल संगठनकर्ता माने जाते हैं, लेकिन राजस्थान के पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे उन नेताओं में नहीं है जो चुनावी राज्यों में जाकर प्रभारी के रूप में हावी होने की कोशिश करते हैं। इसी के चलते यह माना जा रहा है कि यहां पार्टी के चुनाव अभियान में दिल्ली का दखल अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा रहेगा।
पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसके पीछे बड़ा कारण सिर्फ जोशी ही नहीं बल्कि दोनों सहप्रभारी भी हैं। नितिन पटेल गुजरात से आते हैं, ऐसे में उनके लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के महत्व को कोई नकार नहीं सकता। वहीं कुलदीप विश्नोई हरियाणा से हैं और पिछले वर्ष ही पार्टी में शामिल हुए हैं, ऐसे में वे भी वही करेंगे जो उपर से कहा जाएगा।
प्रवासी राजस्थानी और पड़ौसी राज्य भी एक फैक्टर
इन तीनों नियुक्तियों के पीछे प्रवासी राजस्थानी और पड़ौसी राज्य भी एक फैक्टर है। कर्नाटक में प्रवासी राजस्थानी बड़ी संख्या में रहते हैं। ऐसे में जोशी का राजस्थान में काम करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। वही पटेल गुजरात और विश्नोई हरियाणा से हैं, जो राजस्थान के पड़ौसी राज्य है। ऐसे में इन्हें भी राजस्थान में प्रवास करने और इनके राज्यों की सीमाओं से लगते जिलों में काम करना आसान होगा।
विश्नोई के साथ जाट फैक्टर भी
कुलदीप विश्नोई की नियुक्ति के पीछे जाट फैक्टर ने भी काम किया है। भाजपा को सीकर, चूरू, झुंझुनूं, नागौर आदि जाट बाहुल्य क्षेत्रों में विश्नोई की मौजूदगी से फायदा हो सकता है। यह जिले हरियाणा से जुड़े हुए भी हैं। माना जा रहा है कि पार्टी जाट बहुल क्षेत्रों में उनका पूरा उपयोग करेगी।
राजस्थान के नेताओं को दूसरे राज्यों में कमान
अहम बात यह है कि दूसरे राज्यों में पार्टी ने जो प्रभारी नियुक्त किए हैं, उनमें से ज्यादातर राजस्थान से सम्बन्ध रखते हैं। छत्तीसगढ में ओमप्रकाश माथुर को लगाया गया है, जो राजस्थान भाजपा के संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और राजस्थान से ही हाल तक राज्यसभा सांसद रहे हैं।
मध्य प्रदेश में भूपेन्द्र यादव को लगाया गया है जो राजस्थान के अजमेर से हैं और राजस्थान से ही राज्यसभा सदस्य हैं। 2013 में उन्होंने ही वसुंधरा राजे के चुनाव अभियान की कमान सम्भाली थी और पार्टी को 163 सीटों की एतिहासिक जीत हासिल हुई थी। वहीं केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले हैं। इनके अलावा तेलंगाना में सुनील बंसल को सह प्रभारी बनाया गया है जो राजस्थान से ही हैं और बरसों तक राजस्थान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कमान सम्भाल चुके हैं।
BJP का फोकस राजस्थान पर
विधानसभा चुनाव के मामले में राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के प्रमुख नेताओं का पूरा फोकस राजस्थान पर है। इसी कारण, भाजपा ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रह्लाद जोशी को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। बता दें कि 1 जुलाई को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपनी नई टीम की घोषणा की थी, जिसमें 29 पदाधिकारियों को शामिल किया गया था। इसमें 20 नए चेहरों को पदाधिकारी बनाए गए थे और 9 पदों पर पुराने पदाधिकारियों को ही नेताओं को पुनः नियुक्ति मिली थी। इसके सिर्फ 6 दिन बाद अब चुनाव प्रभारी नियुक्त कर भाजपा ने आक्रामक मोड में आ गई है।