JAIPUR. राजस्थान कांग्रेस में हाल में नियुक्त किए गए 85 प्रदेश सचिवों की नियुक्ति पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने गुरुवार (15 जून) देर रात रोक लगा दी। जिसके बाद कई घंटों तक तरह-तरह की चर्चाएं सुर्खियों में रहीं। कांग्रेसी एक-दूसरे से यह तक पूछते नजर आए कि आखिर राजस्थान को लेकर एआईसीसी चाहती क्या है? ना जिला अध्यक्ष नियुक्त किए जा रहे हैं, ना जिला कार्यकारणियां बन रही हैं। जैसे-तैसे सचिव नियुक्त किए गए तो अब उन भी पर रोक लगा दी गई। दो बड़े नेताओं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का विवाद ज्यों का त्यों है ही। ऐसे में कोई भी कुछ स्पष्ट तौर पर कहने को तैयार नहीं है, लेकिन फिर भी सरकार रिपीट होने के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि, इसी बीच अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सचिवों की नियुक्ति मामले में तकनीकि गलती स्वीकार की है। जिसकी वजह से यह सूची जारी नहीं हो सकी है।
डोटासरा ने तकनीकि गलती मानी, कहा- अध्यक्ष की मंजूरी के बाद जारी होगी सचिवाें की सूची
जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में डोटासरा ने कहा कि यह सूची जारी करना टेक्निकल रूप से हमारी गलती थी। कांग्रेस अध्यक्ष से मंजूरी मिलने के बाद ही प्रदेश कांग्रेस सचिव की लिस्ट जारी हो सकती है। हमने इस लिस्ट पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का अनुमोदन तो ले लिया था, लेकिन गलती यह रही कि एआईसीसी अध्यक्ष से अप्रूवल मिलने के पहले ही यह लिस्ट जारी कर दी गई, जो हमारी तकनीकि गलती रही। उन्होंने कहा कि अब यह सूची अध्यक्ष की मंजूरी के बाद जारी होगी।
नियुक्तियों के समय भी खड़े हुए थे सवाल
दरअसल 27 मई को राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस के 85 सचिवों की नियुक्ति की गई थी। यह नियुक्ति आदेश प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के अनुमोदन के बाद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से जारी किए गए थे। आम तौर पर प्रदेश स्तर की नियुक्तियों के आदेश अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संगठन महासचिव की ओर से जारी किए जाते हैं। ऐसे में जब इन सचिवों की नियुक्ति हुई थी, तब भी इस पर सवाल खड़े हुए थे। लेकिन तब यह माना गया था कि चूंकि प्रदेश में चुनाव हैं, इसलिए सम्भवतः प्रदेश स्तर पर नियुक्ति आदेश जारी करने की अनुमति दे दी गई है। अब बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से ही इन नियुक्तियों को “होल्ड“ कर दिया गया है और चूंकि एआईसीसी ने यह रोक लगाई है, इसलिए इसका अर्थ यह भी लगाया जा रहा है कि क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर नियुक्तियां करना शायद पार्टी आलाकमान को पसंद नहीं आया।
सचिन पायलट वाला एंगल भी चर्चा में
इन नियुक्तियों पर रोक के पीछे दिल्ली पहुंची शिकायतों की बात भी सामने आ रही है। वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के एंगल की भी चर्चा है। कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि यह सूची प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने स्तर पर तैयार की थी। इसमें विधायकों की राय और कार्यकर्ताओं की सक्रियता को देखा गया था। सूची को प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से अनुमोदित कराया गया, लेकिन कहा जा रहा है कि सूची जारी होने के बाद कुछ शिकायतें पार्टी आलाकमान के पास पहुंची थीं और इन्हें देखते हुए ही रोक लगाई गई है। हालांकि इन शिकायतों से भी ज्यादा चर्चा अब सचिन पायलट वाले एंगल की हो रही है।
बड़ी बैठक से दो दिन पहले जारी हुई थी सूची
दरअसल कांग्रेस आलाकमान के साथ गहलोत और सचिन पायलट की एक अहम बैठक दिल्ली में 29 मई को हुई थी और सचिवों की नियुक्ति यह सूची इसके ठीक दो दिन पहले यानी 27 मई को जारी की गई थी। ऐसे में चर्चा अब इस बात की है कि क्या बैठक में पायलट को लेकर किसी बड़े फैसले की सम्भावना को देखते हुए ही डोटासरा और रंधावा ने बैठक से दो दिन पहले यह सूची जारी की, ताकि अपने लोगों को समय रहते एडजस्ट किया जा सके।
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि इस बात में दम हो सकता है, क्योंकि बैठक के बाद से ही सचिन पायलट बिल्कुल चुप हैं। वे ना किसी तरह की सहमति की बात कह रहे हैं और ना कोई और बयान दे रहे हैं।
वहीं पार्टी के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति भी लम्बे समय से अटकी हुई है। पार्टी में 39 जिला अध्यक्ष बनाए जाने हैं और अभी सिर्फ आठ ही काम कर रहे हैं। जिला अध्यक्षों की सूची एआईसीसी के स्तर पर ही लम्बित है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कई बार यह सूची जारी करने का आग्रह कर चुके हैं, लेकिन सूची जारी नहीं हो रही है। ऐसे में अब सचिवों की नियुक्ति को रोके जाने और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं किए जाने को जोड़कर देखा जा रहा है। इसे राजस्थान कांग्रेस में किसी बड़े बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है जो कहीं ना कहीं सचिन पायलट से जुड़ा हुआ है।
आलाकमान से नाराज हैं कार्यकर्ता
कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन आम कांग्रेसी कार्यकर्ता राजस्थान को लेकर पार्टी आलाकमान के ढुलमुल रवैये से नाराज है। कोई ऑन रिकाॅर्ड तो कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन ऑफ द रिकाॅर्ड कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनाव में सिर्फ साढे़ पांच महीने का समय बचा है और अब तक राजस्थान को लेकर आलाकमान एक भी बड़ा फैसला नहीं कर पाया है। हर तरफ असमंजस की स्थिति है। समझ नहीं आ रहा है कि आखिर आलाकमान राजस्थान के मामले में चाहता क्या है?