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AMBIKAPUR. कांग्रेस की भूपेश सरकार के चुनावी बजट और मैदानी इलाकों में संघर्ष तेज करती भाजपा के बीच अपने परम्परागत मतदाताओं को समेटने में लगी है। बसपा की बढ़ती गतिविधियों से उत्तर-मध्य छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर संभाग के 38 सीटों पर संघर्ष अब और बढ़ता नजर आ रहा है। मैदानी इलाकों में जहां ग्रामीण और किसानों को आकांक्षाओं के अनुरूप घोषणाएं कर कांग्रेस अपनी गतिविधि बढ़ा रही है। वहीं उत्तर सरगुजा के 23 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के भीतरी कलह से उपजी असंतोष पर अपनी थाह जमाने पर जुट गई है।
भाजपा को कांग्रेस में असंतोष के चलते वापसी की उम्मीद बन गई है
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरगुजा संभाग के 14 और रायगढ़ जिले के पांच सीटों सहित कुल 19 सीटों पर एकतरफा काबिज होकर 15 वर्षों से भाजपा के पाले में गए आदिवासी वोटों की फिर से कांग्रेस में वापसी करा ली। वहीं मैदानी इलाके में अविभाजित बिलासपुर और जांजगीर जिले के कुल 14 सीटों में महज चार सीटें ही हासिल कर पाने वाली कांग्रेस को बिलासपुर संभाग में राहत सिर्फ कोरबा जिले में रही, जहां चार में से कोरबा, कटघोरा, तानाखार की सीटें बरकरार रही। भाजपा को भी अपने एक मात्र रामपुर की सीट में यथास्थिति बनाए रखने में सफलता मिली। रायगढ़ जिला सहित उत्तर छत्तीसगढ़ के 19 सीटों में भाजपा को जशपुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया जिले की अपने कुछ सीटों पर कांग्रेस के बढ़े असंतोष के चलते वापसी की उम्मीद बन गई है। इनमें मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, सूरजपुर के प्रतापपुर, बलरामपुर जिले के रामानुजगंज के साथ जशपुर विधानसभा सीट पर वापसी की स्थिति प्रबल लग रही है। वहीं रायगढ़ जिले में भी भाजपा जिला मुख्यालय रायगढ़ सहित दो अन्य सीटों पर अपनी उम्मीद बढ़ाए हुए है।
बीजेपी अब भी असंतुष्ट टीएस सिंहदेव पर निगाहें जमाए हुए है
उत्तर सरगुजा में मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच बढ़ रहे कलह से सरगुजा संभाग के अम्बिकापुर सहित पांच-छह सीटों पर उम्मीद लगा रही बीजेपी अब भी असंतुष्ट टीएस सिंहदेव पर निगाहें जमाए हुए है। वहीं कोरिया, जशपुर क्षेत्र में भाजपा मतदाताओं की वापसी से भी उम्मीदें हैं। सरगुजा संभाग की 14 और रायगढ़ जिले की पांच व कोरबा जिले की चार सीटों सहित कुल 23 सीटों पर अभी किसी तीसरे ताकत के प्रभाव की उपस्थित नहीं है और न ही फिलहाल दिख रही है। अविभाजित बिलासपुर और जांजगीर जिले में 14 सीटों पर जोगी कांग्रेस और बसपा के पृथक होने के बाद बसपा फिर से अपनी परम्परागत सीटों पर प्रभाव बढ़ाने में जुटी हुई है।
जोगी कांग्रेस अजीत जोगी के निधन के बाद लगभग बिखर सी गई
कैडर वोटों को संगठित कर व जांजगीर जिले की जैजैपुर व पामगढ़ सीटों के साथ अकलतरा और चन्द्रपुर जैसी सीटों पर भी दबाव बना सकती है। बिलासपुर जिले के कोटा, मरवाही और लोरमी के साथ तखतपुर व लोरमी में भी प्रभाव रखने वाली जोगी कांग्रेस अजीत जोगी के निधन के बाद लगभग बिखर सी गई और इसी बिखराव का फायदा उठाने की उम्मीद में कांग्रेस कोटा, मुंगेली सीट पर और भाजपा तखतपुर और लोरमी सीट पर अपनी उम्मीद बढ़ा रही है। बिलासपुर जिले के कुल आठ सीटों में भी मुगंली, बिल्हा, बेलतरा और मस्तुरी की सीटें भाजपा के पास ही हैं। यहां चुनावी बजट और मौजूदा विधायकों को लेकर उपजा असंतोष कांग्रेस के लिए उम्मीद है तो संभाग मुख्यालय बिलासपुर में कांग्रेस का खुला कलह अब भाजपा के लिए राह बनाती नजर आर ही है।
सीएम भूपेश बघेल सरगुजा को लेकर रणनीति आक्रामक बनाए हुए हैं
बिलासपुर और सरगुजा संभाग के कुल 38 सीटों में कांग्रेस बिलासपुर और जांजगीर जिले की 14 सीटों में अपने पैठ बनाने के लिए पूरजोर प्रयास कर रही है, वहीं सरगुजा संभाग में सत्ता पाने के बाद उपजा संघर्ष अभी भी शीतयुद्ध के रूप में चल रहा है। जिसमें समझौते की राह को लेकर फार्मूला बनने की उम्मीद जहां टीएस सिंहदेव समर्थक कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अभी तक सरगुजा को लेकर अपनी रणनीति पहले जैसे ही आक्रामक बनाए हुए हैं। उत्तर-मध्य छत्तीसगढ़ के 38 सीटों पर भाजपा भले ही प्रयास कर रही है, मगर उसे अपने नए वोट बैंक बनाने के लिए अभी भी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं मैदानी इलाकों में स्व. अजीत जोगी के न रहने से हर बार भाजपा के लिए नाइट वॉच मैन बनने वाले जोगी समर्थक मतदाताओं की घटती संख्या भाजपा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। उत्तर-मध्य छत्तीसगढ़ इलाके में जोगी कांग्रेस गठबंधन टूटने के बाद अकेले लड़ने का फैसला करने वाली बसपा का प्रभाव भी कांग्रेस के साथ भाजपा के लिए भी दिक्कत हो सकती है।
पिछड़े वर्ग को साधने कश्मकश है जारी
उत्तर-मध्य छत्तीसगढ़ के 38 सीटों में अविभाजित बिलासपुर व जांजगीर जिले के 14 सीटों पर इस बार पिछड़े वर्ग के वोटों का लेने के लिए जंग दिलचस्प हो सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समर्थक कुर्मी व अन्य पिछड़े वोट को साधने के लिए सरकार ने बजट से लेकर सामाजिक कार्यक्रमों की झड़ी लगा दी है तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव को नेतृत्व देने के बाद भाजपा बहुसंख्यक साहू मतदाताओं के साथ अन्य पिछड़ वर्ग के मतदाताओं को साधने में लगी है, अगर ध्रुवीकरण साहू व कुर्मी वोटों के बीच हुआ तो मुकाबला और कड़ा हो सकता है। बीते चुनाव में पिछड़ा वर्ग के बहुसंख्यक साहू मतदाता बिलासपुर व सरगुजा संभाग में भाजपा के वोटर रहे हैं, जबकि कुर्मी वोट कांग्रेस के साथ जोगी कांग्रेस व बसपा में भी बंटे रहे।