मप्र में योजनाओं की नकल के सहारे चुनावी परीक्षा पास करने की तैयारी, बीजेपी की लाड़ली बहना योजना के मुकाबले नारी सम्मान योजना

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Ajay Bokil
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मप्र में योजनाओं की नकल के सहारे चुनावी परीक्षा पास करने की तैयारी, बीजेपी की लाड़ली बहना योजना के मुकाबले नारी सम्मान योजना

BHOPAL. नकल करके परीक्षा में पास होना या ऐसी कोशिश करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश में अब राजनीतिक पार्टियां भी एक दूसरे की कल्याणकारी योजनाओं की नकल चुनाव की परीक्षा पास करना चाहती हैं। यही नहीं, वो एक दूसरे पर नकल का आरोप भी लगा रही हैं। मध्यप्रदेश में 12 मई को मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बीजेपी और आरएसएस के गोरक्षा एजेंडे के तहत आयोजित गोरक्षा सम्मेलन में ऐलान किया कि सरकार अब राज्य में गोपालकों से गाय का गोबर खरीदेगी। यह योजना कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में तीन साल से लागू है। इसके दो माह पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ पहुंचाने वाली ‘लाड़ली बहना योजना’ का ऐलान किया था, जिसके तहत गरीब महिलाओं को प्रतिमाह 1 हजार रुपए देने का प्रावधान है। इससे घबराकर कांग्रेस ने ‘नारी सम्मान योजना’ की घोषणा की, जिसके अंतर्गत हर पात्र महिला को 1500 रुपए देने और रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपए की रियायती दर पर देने का वादा शामिल है। अब आलम यह है कि प्रदेश की महिलाएं शिवराज सरकार और कांग्रेस, दोनों की ही योजनाओं के लिए फार्म भर रही है। ना जाने कहां लॉटरी लग जाए।





राज्य में बसपा का भी अपना वोट बैंक, लेकिन सक्रियता कम





बहरहाल गर्भावस्था में सरकार के तीन माह पूरे होने को हैं। सो, भावी बच्चे का भ्रूण भी कुछ आकार लेने लगा है। प्रदेश में मुख्य मुकाबला तो सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस में ही है, लेकिन कुछ और पार्टियां जैसे आम आदमी पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, आदिवासियों की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और जय आदिवासी संगठन एवं दलितों की भीम आर्मी भी बड़े दलों का खेल ‍बिगाड़ने में जुट गई हैं। राज्य में बसपा का भी अपना वोट बैंक है, लेकिन उसकी सक्रियता बहुत ज्यादा नहीं दिख रही है। 





चुनाव जीतने के लिए सीएम कर रहे हर मुमकिन कोशिश





इस बीच अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज हरसंभव दांव चल रहे हैं, जो मनुष्यों से लेकर गायों तक फैला है। इसके पहले उन्होंने लाड़ली बहना के अलावा बेरोजगारी भत्ता और नए जातिगत कल्याण बोर्ड बनाकर बड़े तबके को खुश करने की कोशिश की थी, तो अब वो गायों में भी धार्मिक आस्था के साथ वोटों की संभावनाएं देख रहे हैं। भोपाल में आयोजित गोरक्षा सम्मेलन में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गोपालकों से गोबर खरीदेगी। इसके लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया था, जिसने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। उसी आधार पर उसने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी। हालांकि मप्र का गोबर खरीद मॉडल छग से अलग होगा। 





कहा जा रहा है कि सरकार गोबर से खाद और पेंट बनवाएगी। यही नहीं, ‍शिवराज ने यह भी कहा कि 1962 नंबर पर फोन करेंगे तो पशु चिकित्सा एंबुलेंस, जिसे गो एम्बुलेंस कहा जा रहा है, वहां पहुंच जाएगी, जहां बीमार गौमाता है। इसके लिए प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों को कुल 406 एम्बुलेंस आवंटित की गई हैं। इसके अलावा प्राकृतिक खेती करने वालों गोपालकों को हर महीने 900 रुपए की राशि दी जाएगी। बताया जा रहा है कि यह राशि 22 हजार किसानों को मिलेगी। साथ ही आदिवासियों को गाय खरीदने पर सब्सिडी मिलेगी।





इस दिन हुई थी गौठानों में गोबर की खरीदी की शुरुआत 





कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में यह योजना मध्यप्रदेश में गौरतलब है कि दो साल पहले 20 जुलाई 2020 को राज्य में हरेली पर्व के दिन से लागू हुई थी। इसके दूसरे ही दिन गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीदी की शुरूआत हुई थी। सरकार वहां अब तक 143 करोड़ रु का गोबर खरीद चुकी है। ध्यान रहे कि छग में जब यह योजना लागू हुई, उस वक्त तक मप्र में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो चुकी थी। हैरानी की बात यह है कि अभी भी कांग्रेस ने मप्र में छग की इस योजना को लागू करने के ऐलान की कोई पहल नहीं की। लेकिन अब वो शिवराज की घोषणा को छग की नकल बता रही है। इसके पहले जब शिवराज ने लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की तो कांग्रेस ने तत्काल नारी सम्मान योजना के नाम से जवाबी योजना लागू करने का ऐलान कर दिया। शिवराज सरकार ने तो लाड़ली बहना योजना के लिए 8,000 करोड़ का बजट प्रावधान किया है। योजना पर हर महीने 1,250 करोड़ रुपए खर्च होंगे। हालांकि इसमें पेंच यह है कि अगर शिवराज सरकार ने चुनाव के पहले महिलाओं के खातों में एक हजार रुपए जमा करना शुरू कर दिए तो उसका चुनाव पर ज्यादा असर होगा या फिर कांग्रेस की सिर्फ घोषणा का? 





मप्र में दूसरी पार्टियां भी जगह बनाने की फिराक में 





दूसरी तरफ दीगर पार्टियां अपने ढंग से चुनावी जमावट में लग गई हैं। खुद को मुसलमानों की रहनुमा मानने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने एमपी में 33 ऐसी सीटों की पहचान की है, जहां मुसलमान वोट निर्णायक हैं। पार्टी इनमें से कुछ सीटें जीतने की कोशिश करेगी। इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। आम आदमी पार्टी भी विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है। ऐसा हुआ तो वह दोनों मुख्य पार्टियों को झटका दे सकती है। जयस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में दोनो पार्टियों का खेल बिगाड़ सकती हैं।



 



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