MUMBAI. क्या हुआ तेरा वादा, वो कमस वो इरादा... अभी न जाओ छोड़कर, के दिल अभी भरा नहीं... लिखे जो खत तुझे, जो तेरी याद में... पत्थर के सनम, तुझे हमने... चुरा लिया है, तुमने जो दिल को... वाकई रफी साहब (मोहम्मद रफी) के गानों दिल चुरा ही लिया। भारतीय सिनेमा के दिग्गज सिंगर मोहम्मद रफी की आज (31 जुलाई) 42 वीं पुण्यतिथि है। उनका निधन 31 जुलाई 1980 को हुआ था। लेकिन आज भी अपने एवरग्रीन सॉन्ग्स के चलते वे लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
जवाहरलाल नेहरू के घर गाया गाना
मोहम्मद रफी का जनम 24 दिसंबर 1924 को हुआ। रफी साहब ने 13 साल की उम्र में उन्होंने सिंगिंग शुरू कर दी। रफी साहब ने अपने करियर में लगभग 26 हजार गाने गाए। उन्हें पहली बार के एल सहगल ने लाहौर में एक कॉन्सर्ट में गाने की परमिशन दी थी। उन्होंने 1948 में राजेंद्र कृष्णन का लिखा गाना सुन सुनो ऐ दुनिया वालों बापूजी की अमर कहानी गाया था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रफी साहब को अपने घर गाने के लिए बुलाया था।
इस गाने की रिकॉर्डिंग करते इमोशनल हुए रफी साहब
रफी साहब नें कई ऐसे गाने भी गाए, जिनमें दर्द महसूस होता था। ऐसा ही एक सुपरहिट गाना फिल्म नीलकमल का था। ये गाना बाबुल की दुआएं लेती जा था। इस गाने को गाते हुए खुद रफी साहब रो पड़े थे। इस गाने की रिकॉर्डिंग के 2 दिन बाद ही रफी साहब की बेटी की शादी होनी थी। वे रिकॉर्डिंग के चलते कई बार इमोशनल हो गए थे। इस गाने के लिए रफी साहब को नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था।
किशोर दा की आवाज बने रफी
मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार को भी अपनी आवाज दी थी। रफी साहब ने किशोर दा (किशोर कुमार) के लिए 11 सॉन्ग्स गाए थे। वहीं, रफी साहब ने सबसे ज्यादा गाने दिग्गज संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए थे। रफी साहब ने प्यारेला की फिल्मों के लिए करीब 369 गाने गाए थे। इसमें रफी साहब के 186 सोलो सॉन्ग्स थे। इसके अलावा उन्होंने फिल्म लैला मजनू और फिल्म जुगनू में एक्टिंग भी की थी। रफी साहब के निधन के बाद अंतिम बिदाई के लिए करीब 10 हजार लोग शामिल हुए थे।