MUMBAI.फिल्म इंडस्ट्री के पॉपुलर शायर,गीतकार,राइटर,डायरेक्टर और प्रोड्यूसर गुलजार साहब (Gulzar sahib)आज अपना बर्थडे (birthday)सेलिब्रेट कर रहे है। उनके इस खास दिन पर फैंस से लेकर सेलेब्स तक शुभकामनाएं दे रहे है। उन्होंने कई बड़ी फिल्में डायरेक्ट की। इसमें आंधी,मौसम,अंगूर,नमकीन,इजाजत,लिबास, लेकिन, माचिस, हु तू तू समेत कई अन्य फिल्में है। गुलजार ने कई गीत भी लिखे है। उन्हें कई नेशनल फिल्म अवॉर्ड (National Film Award),फिल्मफेयर अवॉर्ड, साहित्य अकादमी अवॉर्ड, पद्मश्री,दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड समेत कई अन्य अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।
फिल्मी दुनिया में कदम रखने के बाद गुलजार नाम पड़ा
लजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के झेलम जिले में हुआ। गुलजार का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है। फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद उनका नाम गुलजार पड़ गया था।
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राखी से की थी शादी
गुलजार ने 1973 में एक्ट्रेस राखी (Rakhi) के साथ शादी के बंधन में बंधे थे। उनका ये रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चला। दोनों अलग रहने लगे थे। लेकिन कभी भी उनका तलाक नहीं हुआ। दोनों की एक बेटी है।
इन अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं गुलजार
गुलजार को कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। इसमें 5 नेशनल फिल्म अवॉर्ड,22 फिल्मफेयर अवॉर्ड ,साहित्य अकादमी अवॉर्ड,पद्मश्री और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा 2010 में उन्हें 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
पड़ोसियों के घर में जाकर लिखते थे गुलजार
बताया जाता है कि गुलजार को लिखना बहुत पसंद था। वे अपने बड़े भाई से डरते थे। इस वजह से वो अपने पड़ोसी के घर जाकर लिखने की प्रैक्टिस करते थे। राइटर बनने से पहले गुलजार,मुंबई में एक कार मैकेनिक के रूप में काम करते थे। कुछ समय उन्होंने बहुत संघर्ष किया। इसके बाद 1963 में उन्हें फिल्म बंदिनी से एक गीतकार के रूप में बड़ा ब्रेक मिला था। इसके बाद गुलजार ने कभी भी पूछे मूड के नहीं देखा।
5 साल तक गुलजार ने रखी थी अपने पिता की अस्थियां
जब गुलजार मुंबई में थे तब उनके पिता का निधन को गया था। इस बात की जानकारी उन्हें दो दिन बाद मिली थी। उन्होंने 5 सालों तक अपने पिता की अस्थियों को बचा कर रखा था। उन्होंने हाउसफुल: द गोल्डन ईयर्स ऑफ बॉलीवुड नामक किताब में इस बात का जिक्र किया है।