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यूट्यूब स्टार और रियलिटी शो विनर एल्विश यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बिग बॉस OTT 2 विनर एल्विश यादव का कंट्रोवर्सी में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है।
यह फैसला उस वक्त आया जब ट्रायल कोर्ट में इस शुक्रवार को एल्विश के खिलाफ आरोप तय किए जाने थे।
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
रेप पार्टियों में सांप का जहर सप्लाई करने के आरोपो के साथ एल्विश यादव पर FIR दर्ज हुई थी। निचली अदालत में चल रहे मामले के खिलाफ एलविश हाईकोर्ट पहुंचे थे।
उन्होंने आरोपपत्र और समन को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि सभी तथ्य ट्रायल में जांचे जाएंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मई 2025 को एल्विश की याचिका को खारिज कर दिया गया था। इसके खिलाफ अब एल्विश यादव ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल रोकने का आदेश दे दिया है।
यूट्यूब वीडियो, सांप और रेव पार्टी का कनेक्शन
पूरा विवाद एक यूट्यूब वीडियो से शुरू हुआ था, जिसमें एल्विश यादव पर आरोप है कि उन्होंने सांपों और उनके जहर का इस्तेमाल किया।
जिसके बाद पुलिस ने दावा किया कि ये सांप रेव पार्टीज़ में ले जाए जाते थे जहां विदेशी मेहमानों को नशा दिया जाता था। इस मामले में नोएडा के सेक्टर-49 थाने में FIR दर्ज हुई थी।
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IPC और NDPS की धाराओं में दर्ज हुआ था केस
एफआईआर में एल्विश यादव पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, आईपीसी और एनडीपीएस एक्ट की कई धाराएँ लगाई गई थीं, जिनमें:
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9, 39, 48A, 49, 50, 51
आईपीसी की धाराएं 284 (हानिकारक पदार्थों के संबंध में लापरवाही), 289 (जानवरों के संबंध में लापरवाही), और 120B (साजिश)
एनडीपीएस एक्ट की धाराएं 8, 22, 29, 30, और 32 शामिल थीं। हालांकि बाद में धारा 27 और 27A को पुलिस ने हटाया, क्योंकि वे साबित नहीं हो सकीं।
‘ना कोई सांप मिला, ना ड्रग्स, और ना ही पार्टी में मौजूद था एल्विश’
एल्विश की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुक्ता गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि ना तो एल्विश पार्टी में मौजूद थे, ना उनके पास से कोई सांप बरामद हुआ और ना ही कोई नशीला पदार्थ मिला।
उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज कराने वाला व्यक्ति उस वक्त पशु कल्याण अधिकारी नहीं था, इसलिए वह कानूनी रूप से एफआईआर दर्ज नहीं करा सकता।
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मीडिया के दबाव में पुलिस ने सनसनी फैलाई
एल्विश की टीम ने आरोप लगाया कि वे एक पब्लिक फिगर हैं, सोशल मीडिया पर उनका बड़ा फैनबेस है, और इसी वजह से पुलिस ने मीडिया के दबाव में आकर कार्रवाई की और केस को सनसनीखेज बना दिया।
उन्होंने बताया कि सांपों वाला वीडियो जून 2023 में शूट हुआ था, और उसमें दिखाए गए सांप पालतू और ज़हरीले नहीं थे, जो म्यूज़िक वीडियो के लिए किराए पर लाए गए थे।
सांपों की सप्लाई में एल्विश का हाथ - राज्य सरकार
राज्य की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने तर्क दिया कि जांच में सामने आया है कि जिन लोगों के पास से सांप बरामद हुए, वे एल्विश यादव से ही लिए गए थे।
उन्होंने कहा कि मामले में गंभीर आरोप हैं और उनका ट्रायल होना जरूरी है। हाईकोर्ट ने भी इसी आधार पर याचिका खारिज कर दी थी।
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एल्विश को मिली फौरी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है और मामले को एक दूसरी याचिका के साथ जोड़ दिया है जिसमें शिकायतकर्ता ने सुरक्षा की मांग की है।
अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी। तब तक निचली अदालत में एल्विश के खिलाफ आरोप तय नहीं किए जाएंगे।
सोशल मीडिया रिएक्शन
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर एल्विश के फैंस ने राहत की सांस ली है। कई यूजर्स ने इसे “सच की जीत” बताया, तो कुछ ने कहा कि "ये सिलेब्रिटी टारगेटिंग का एक और उदाहरण है।"
हालांकि एल्विस को मिली यह राहत फौरी साबित होती है या उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे को रोका जाता है यह सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में तय हो पाएगा।
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