MUMBAI. दिग्गज फिल्म निर्माता राज कपूर बॉलीवुड के शोमैन कहे जाते हैं। आलम यह है कि फैंस अब भी मानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में राज कपूर से बेहतर दूसरा कोई और शख्स नहीं है, जिसे इस खिताब से नवाजा जाए। उस जमाने में इस त्योहार को सेलिब्रेट करने के तरीकों को लेकर राज कपूर की मिसाल दी जाती थी।
किन्नरों पर अटूट विश्वास
राज कपूर हर साल किन्नरों के साथ होली का सेलिब्रेशन करते थे। उनका उस कम्यूनिटी पर अटूट विश्वास था। राज हर साल किन्ररों के साथ होली खेलते, रंग-गुलाल के साथ महफिल सजा करती थी। बताया जाता है कि राज कपूर को किन्नर समाज पर इतना भरोसा था कि अपनी फिल्मों के गानों का अप्रूवल भी वो उन्हीं से लेते थे, उनकी मंजूरी के बाद ही उन गानों को फिल्मों में जगह मिलती थी।
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फिल्म के गाने भी किन्नरों को सुनवाए थे
ऐसा एक किस्सा साल 1985 में आई फिल्म राम तेरी गंगा मैली का है। राज ने अपनी इस फिल्म के गाने भी किन्नरों को सुनवाए थे। कहा जाता है कि सभी गानों को किन्नरों की मंजूरी मिली, लेकिन एक गाना उन्होंने रिजेक्ट कर दिया। उनके नामंजूर करने पर राज कपूर ने संगीतकार रविंद्र जैन को बुलाकर उसे बदलने को कह दिया। इसके बाद सुन साहिबा सुन गाना बना। किन्नरों को सबसे ज्यादा सुन साहिबा सुन गाना ही पसंद आया था। इस गाने पर सभी नाच उठे थे।
किन्नरों ने राज कपूर से कहा था, देख लेना ये गीत सालों चलेगा
किन्नरों ने राज कपूर से कहा था, देख लेना ये गीत सालों चलेगा और ऐसा ही हुआ। इतिहास गवाह है कि ये गाना फिल्म और उस दशक का सबसे हिट गाना था। आज के दौर में भी इस गाने पर कई रीमिक्स बनाए जाते हैं। कई लोग राज के इस विश्वास को समझने में नाकामयाब होते थे। उन्हें लगता था कि ये अंधविश्वास है। लेकिन राज कपूर की हिट फिल्में और गाने हर बार उनके विश्वास को जीत दिला जाते थे।
जयप्रकाश चौकसे ने इंटरव्यू में किया था जिक्र
फिल्म क्रिटिक जयप्रकाश चौकसे तो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपने एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने जिक्र किया था कि - राज कपूर आरके स्टू़डियो से सबके चले जाने के बाज शाम 4 बजे किन्नरों के साथ महफिल सजाते थे। किन्नर खुद उनसे मिलने आते थे, स्टूडियो में नाचते-गाते और खूब होली खेला करते थे। ये राज कपूर के खास मेहमान होते थे। राज कपूर के इस दुनिया से चले जाने के बाद ये दौर भी खत्म हो गया।