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MUMBAI. संगीतकार रवि शर्मा की आज (7 मार्च) को डेथ एनिवर्सरी है। रवि का जन्म 3 मार्च 1926 को दिल्ली हुआ था। आज 7 मार्च को रवि शर्मा की 11वीं पुण्यतिथि है। कहा जाता है कि बचपन से उनका पढ़ाई में कम और संगीत में ज्यादा मन लगने लगा था। संगीत सीखने की सिर्फ रूचि ही रखी किसी उस्ताद से ट्रेनिंग नहीं ली। बस एक जुनून सिर पर सवार था। पचास के दशक में रवि मुंबई आ पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात निर्माता-निर्देशक देवेन्द्र गोयल से हुई जो पहली बार में ही रवि के हुनर को पहचान गए। गोयल की फिल्म वचन में रवि को काम मिला। वचन फिल्म में गायिका आशा भोंसले के साथ गाया गाना “चंदा मामा दूर के पुआ पकाये पूर के” उन दिनों हर किसी की जुबां पर छाया रहा। शायद ही कोई शादी होगी जिसने रवि का गाना आज मेरे यार की शादी है न बजाया गया हो। रवि का लंबी बीमारी के बाद 7 मार्च, 2012 को 86 साल की उम्र में निधन हो गया था।
पांच साल तक काम के लिए करना पड़ा था संघर्ष
गोयल की फिल्म में काम करने के बाद भी रवि को कुछ खास काम नहीं मिला। पांच साल तक वह काम के लिए भटकते रहे। इसके बाद 1960 में रवि ने गुरूदत्त की क्लासिक फिल्म चौदहवीं का चांद में में बतौर संगीतकार अपनी जगह कायम कर ली। इसके बाद रवि ने कई फिल्मों के लिए गाने गाए। रवि ने कई ऐसे गाने गाए है जो आज भी काफी पॉपुलर है। इसमें आज मेरे यार की शादी है, बाबुल की दुआएं लेती जा,डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली, मेरा यार बना दुल्हा समेत कई अन्य शामिल है। रवि के बनाए गाने तुम्हीं मेरे मंदिर के लिए ही लता मंगेशकर को 1965 में सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। उन्हें सरगम और परिनायम के लिए 2 बार मलयालम फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने कई हिन्दी और मलयालम फिल्मों के लिए संगीत रचना की। उन्होंने घर संसार, मेहंदी, चिराग, नई राहें, घूंघट, घराना, चाइना टाउन, आज और कल, गुमराह, गृहस्थी, काजल, खानदान, फूल और पत्थर, सगाई, हमराज, आंखें, नील कमल, बड़ी दीदी जैसी फिल्मों के गीतों को संगीत दिया।
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रवि की धुनों में रंगे गीत ब्याह-शादियों में गाए जाने वाले परंपरागत फिल्मी गीतों में सभी से ज्यादा लोकप्रिय हैं।
- नीले गगन के तले धरती का प्यार पले