365 दिनों में केवल 24 घंटे के लिए खुलने वाले उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट आज रात 12 बजे खुलेंगे। ये मंदिर साल में एक बार यानी नागपंचमी पर खुलता है।
नागपंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर ( Mahakaleshwar Temple ) के मुख्य शिखर के तीसरे खंड पर स्थित भगवान नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट आज 8 अगस्त की मध्यरात्रि को खोले गए। भगवान नागचंद्रेश्वर की विधि- विधान से पूजा- अर्चना के बाद दर्शनार्थियों के लिए दर्शन शुरू होंगे।
यह मंदिर साल में केवल एक बार नागपंचमी पर्व पर ही खोला जाता है। सिर्फ इसी दिन मंदिर की दुर्लभ और अलौकिक प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं।
महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए हुए नाग के आसन पर शिव के साथ देवी पार्वती बैठी है। संभवतः दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिव जी नाग शैया पर विराजित हैं।
महाकालेश्वर मंदिर का शिखर तीन खंडों में बंटा है। इसमें सबसे नीचे गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर भगवान का मंदिर है। यह मंदिर अतिप्राचीन है।
माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
बीजामंडल, मध्य प्रदेश के विदिशा शहर में स्थित एक बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह एक विशाल मंडप है जिसका निर्माण पारंपरिक भारतीय वास्तुकला शैली में किया गया है।
यह स्थान भगवान विष्णु को समर्पित है और यहां एक विशाल बीजामंडल स्थापित है। विदिशा का प्राचीन सूर्य मंदिर, जिसे विजय मंदिर या बीजामंडल के नाम से भी जाना जाता है।
यहां पर भी साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी पर हिंदुओं को बंद ताले में पूजन की परमिशन दी जाती है।