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नरक का दरवाजा
तुर्कमेनिस्तान का जलता गड्ढा: तुर्कमेनिस्तान में एक बड़ा जलता हुआ गड्ढा है जिसे नरक का दरवाजा कहा जाता है। यह गड्ढा पिछले 54 साल से लगातार जल रहा है।
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आग का अजीब इतिहास
नरक का द्वार कहां है: 1971 में सोवियत वैज्ञानिकों की गलती से तुर्कमेनिस्तान में एक गड्ढा बना जो प्राकृतिक गैस से भर गया।
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कैसे जल रहा है गड्ढा?
तुर्कमेनिस्तान का नरक का द्वार: 1971 में वैज्ञानिकों ने गड्ढे में फैली मीथेन गैस को जलाने का फैसला किया। उन्होंने सोचा था कि कुछ दिनों में आग खुद बुझ जाएगी।
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नरक जैसा नजारा
रात के समय गड्ढे की जलती लपटें ऐसी दिखती हैं जैसे धरती पर कोई ज्वालामुखी फट गया हो। यह नजारा काफी डरावना लगता है।
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कहां है नरक का दरवाजा?
नरक का दरवाजा तुर्कमेनिस्तान के कराकुम रेगिस्तान (Tourism) में स्थित है। यह गड्ढा राजधानी अश्गाबात से लगभग 260 किलोमीटर दूर है
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गर्मियों में खतरनाक
नरक के दरवाजे की लपटें 50 फीट तक उठती हैं और यहां का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
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आग में कमी
Gateway to Hell Turkmenistan: वैज्ञानिकों ने हाल ही में देखा कि नरक के दरवाजे (mysterious places) की आग अब पहले जैसी नहीं रही। इसके चलते अनुमान लगाया जा रहा है कि यह आग जल्द ही पूरी तरह से बुझ सकती है।
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