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भारत में बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, और इसे हल करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं।
इसी कड़ी में प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY) एक नया कदम है, जो 1 अगस्त 2025 से प्रभावी हो चुकी है।
इस योजना का उद्देश्य भारतीय युवाओं को रोजगार प्रदान करना और छोटे एवं मझोले उद्यमों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
इस योजना के माध्यम से 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियां उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है।
📜 प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना क्या है?
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना के तहत सरकार उन कंपनियों को इंसेंटिव प्रदान करेगी जो ज्यादा से ज्यादा नौकरियां पैदा करेंगी।
यह योजना खासतौर पर युवाओं, छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) तथा विभिन्न सेक्टर्स जैसे मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और टेक्नोलॉजी में रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करती है।
इस योजना की अवधि 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 तक होगी, और इसके दौरान 3.5 करोड़ नई नौकरियों का लक्ष्य रखा गया है।
💼 योजना के मुख्य पहलू
🧑💼 पार्ट A: पहली बार नौकरी करने वालों के लिए
इस हिस्से में उन लोगों को सहायता दी जाएगी जो पहली बार नौकरी कर रहे हैं। यदि कर्मचारी EPFO में रजिस्टर्ड हैं और उनकी सैलरी ₹1 लाख तक है, तो उन्हें पहले महीने की सैलरी (अधिकतम ₹15,000) सरकार द्वारा दो किश्तों में दी जाएगी।
यह रकम कर्मचारियों के बचत खाते में भी जमा की जाएगी, जिसे वे बाद में निकाल सकते हैं। इस योजना से 1.92 करोड़ नए कर्मचारियों को लाभ होगा।
🏢 पार्ट B: नौकरी देने वाली कंपनियों के लिए
इस हिस्से में नौकरी देने वाली कंपनियों को इंसेंटिव मिलेगा। कंपनियों को प्रति कर्मचारी ₹3,000 प्रति माह तक दो साल के लिए दिए जाएंगे, बशर्ते कर्मचारी कम से कम 6 महीने तक काम में बने रहें।
यह योजना खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ज्यादा रोजगार उत्पन्न करने पर फोकस करेगी। इसमें कुछ शर्तें भी हैं, जैसे कि EPFO में रजिस्टर्ड कंपनियों को कम से कम 2 नए कर्मचारी (50 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए) या 5 नए कर्मचारी (50 या ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए) 6 महीने तक काम पर रखने होंगे।
🎯 योजना का उद्देश्य और लाभ
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना का प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। इस योजना से न केवल रोजगार सृजन होगा, बल्कि लोगों को बेहतर स्किल्स भी मिलेंगी।
इसके अलावा, यह योजना "मेक इन इंडिया" को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। इसके अन्य प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
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नौकरियां बढ़ाना: अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ नई नौकरियां सृजित करना।
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युवाओं को स्किल्ड बनाना: 18 से 35 वर्ष के युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना।
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MSMEs को सपोर्ट करना: छोटे और मझोले व्यवसायों को बढ़ावा देना, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
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आत्मनिर्भर भारत: भारत को मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाना और 'मेक इन इंडिया' को मजबूत करना।
🌱 एक कदम आत्मनिर्भर भारत की ओर
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना न केवल रोजगार पैदा करने के लिए है, बल्कि यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
इस योजना के माध्यम से, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि युवा पीढ़ी को बेहतर नौकरी के अवसर मिलें और वे भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका निभा सकें।
साथ ही, इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी एक नया दिशा मिलेगा और भारत को एक मजबूत औद्योगिक राष्ट्र बनने में मदद मिलेगी।
यह योजना आने वाले वर्षों में भारतीय रोजगार क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है।
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