INDORE. भारत में अब तक मंकीपॉक्स के 8 मरीज मिले हैं। ऐसे में लोगों में मंकीपॉक्स का डर बन गया है। दरअसल, इंदौर में 3 अगस्त को एक महिला मंकीपॉक्स जैसे लक्षण होने पर निजी क्लिनिक पहुंची। महिला काफी डरी हुई थी। महिला ने वहां बताया कि उसे मंकीपॉक्स जैसे लक्षण हैं। महिला की बात सुन कर यह सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम महिला के घर पहुंची। सैंपल लेने के बाद उसे आइसोलेट किया। यह कंफर्म केस है या नहीं इसका पता सैंपल रिपोर्ट्स आने के बाद ही चलेगा। तब तक महिला आइसोलेट रहेगी।
इंदौर में मंकीपॉक्स का कंनफर्म केस नहीं
CMHO के डॉक्टर का कहना है कि इंदौर में मंकीपॉक्स का एक भी कन्फर्म केस नहीं है। वे खुद महिला से मिलकर आए हैं। मंकीपॉक्स की बात सही नहीं है। 55 साल की इस महिला को डायबिटीज है। उसे ऐसे रिएक्शंस होते रहते हैं। ऐसा ही रिएक्शन उसे अप्रैल में भी हुआ था। उसके परिवार से मिलकर बातचीत भी हुई। क्लिनिक में पहुंचने के बाद सभी को लगा कि महिला में मंकीपॉक्स के लक्षण हैं। लेकिन महिला को मंकीपॉक्स नहीं है।
मंकीपॉक्स से जुड़ी जानकारी...
क्या है मंकीपॉक्स, पहली बार कब मिला था इंसानों में
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्स वायरस (orthopox virus) है। इसमें चेचक (small pox) जैसे सिंप्टम्स होते हैं। हालांकि यह अब तक चेचक से कम गंभीर है। यह पहली बार 1958 में शोध (research) के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। फिर 1970 में यह पहली बार इंसानों मे मिला।
मंकीपॉक्स के सिंप्टम्स
बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना, थकान और सुस्ती, मांसपेशियों में दर्द। बुखार के दौरान ध्यान रखें खुजली वाले दाने उठ सकते हैं। यह दाने चेहरे, हाथ से लेकर बॉडी के कई हिस्सों में हो सकते हैं।
इंफेक्शन से सिम्प्टम्स तक का समय
मंकीपॉक्स का इंफेक्शन से सिम्प्टम्स तक का समय (incubation period) 7-14 दिनों का होता है। लेकिन यह 5-21 दिनों का भी हो सकता है।
ऐसे फैलता है मंकीपॉक्स..
मंकीपॉक्स एक तरह का जूनोसिस डिजीज (zoonosis disease) है। यह जानवर से इंसानों में फैलता है। यह बंदर, चूहा, गिलहरी जैसे जानवरों से फैलता है। यह वायरस इंफेक्टेड पर्सन के आंख, नाक और मुंह से भी फैल सकता है। यह एक तरह की छुआछूत बीमारी है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। मंकीपॉक्स के सिंप्टम्स दिखते ही टेस्ट कराएं।
एक आईसीएमआर की साइंटिस्ट के मुताबिक लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। तेज बुखार, शरीर में दर्द, दाने आदि जैसे असामान्य लक्षणों पर नजर रखें। वे लोग ऐसे लक्षणों पर खास नजर रखें जिन्होंने इंफेक्टेड देशों की यात्रा की हो।
मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते ही उनमें से निकलने वाले फ्लुइड का सैंपल टेस्ट कराएं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ऐसे वायरस के लिए रजिस्टर्ड लैब है।
फिजिकल कॉन्टैक्ट से बचें..
WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स सेक्शुअल रिलेशंस (sexual relations) से भी फैल सकता है। समलैंगिक और बायसेक्शुअल (gay and bisexual) लोगों को इससे संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है।
CDC (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, इंफेक्टेड पर्सन से गले लगना या फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट से भी यह वायरस फैल सकता है।
UKHSA (UK Health Security Agency) के अनुसार ब्रिटेन में मिले मंकीपॉक्स के ज्यादातर केस मे पेशेंट्स समलैंगिक और बायसेक्शुअल (gay and bisexual) आइडेंटिफाई हुए हैं।
यहां ध्यान देने की बात है कि मंकीपॉक्स STD (sexually transmitted disease) नहीं है। यह प्रोलॉन्ग्ड स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट डिसीज (prolonged skin to skin contact disease) है। यह ज्यादा समय के लिए एक दूसरे के करीब या कॉन्टैक्ट में रहने की वजह से तेजी से फैलता है। इसका स्प्रैड उन लोगों में होता है जो संक्रमित व्यक्ति के साथ फिजिकल कॉन्टैक्ट में रहे हैं।
किसे ज्यादा खतरा ?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक प्रेग्नेंट लेडीज को मंकीपॉक्स का ज्यादा खतरा है। वीक इम्यूनिटी वाले लोग और 5 साल से छोटे बच्चे भी इसका शिकार जल्दी बन सकते हैं।
ऐसे करें अपने बच्चे का बचाव..
अपने बच्ची की इम्यूनिटी का खास ख्याल रखें, उसके खानपान में भी बदलाव करें। बच्चे को फिजिकल एक्टिविटीज में बिजी रखें। यदि बच्चे को बुखार है या बॉडी पर दाने आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे को अंजान और बीमार लोगों से दूर रखें। इससे उसकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होगी। स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी के साथ बच्चे को मंकीपॉक्स का कम खतरा होगा।
क्या है इलाज ?
WHO की वेबसाइट के मुताबिक फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई पर्टिकुलर ट्रीटमेंट नहीं है। लेकिन चेचक (small pox) की वैक्सीन मंकीपॉक्स पर 85% तक असरदार साबित हुई है। यह वैक्सीन अभी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।
संक्रमित देश..
भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, कैनरी द्वीप, इजराइल, स्विट्जरलैड और 75 से भी ज्यादा देश की चपेट में हैं।