भोपाल. कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं, इस कथन को भोपाल के एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने सही साबित किया है। 4 साल की बच्ची के दिल के छेद को बंद करते वक्त एक छोटा सा उपकरण अंदर ही छूट गया, लेकिन डॉक्टरों ने बिना ओपन सर्जरी के उस डिवाइस को सिर्फ एक तार के सहारे बाहर निकाल दिया। डॉक्टरों ने दूरबीन पद्धति से अंदर छूटी डिवाइस को निकाला। हालांकि, ऑपरेशन के दौरान बच्ची के दिल में डिवाइस छूटना डॉक्टरों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
सिर्फ डेढ़ घंटे में निकाला डिवाइस: ऐसे केस में अगर कोई डिवाइस दिल में छूट जाती है, तो ओपन हार्ट सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। लेकिन डॉक्टरों ने बिना ओपन सर्जरी के ये मुश्किल काम कर दिखाया। डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि डिवाइस अंदर छूटने पर डॉक्टर दोबारा वहीं प्रक्रिया नहीं दोहराना चाहते लेकिन हमने यह करके दिखाया। डिवाइस को बाहर निकालने में सिर्फ डेढ़ घंटे का वक्त लगा और दिल का छेद दूसरी बार 20 मिनट में बंद कर दिया गया।
मासूम आराध्या पूरी तरह स्वस्थ: जिस बच्ची के दिल के छेद का ऑपरेशन हुआ है वो दतिया की रहने वाली है। उसका नाम आराध्या है और अब वो पूरी तरह स्वस्थ है। आराध्या को ऑपरेशन के दो दिन बाद छुट्टी दे दी गई। इस प्रक्रिया में एंजियोप्लास्टी की तरह ही पैर की नस के जरिए दिल तक पहुंचा जाता है। इसके बाद दिल के छेद को वीडीएस डिवाइस से बंद किया जाता है। इस प्रक्रिया से मरीज को जल्द से जल्द फायदा होता है और अस्पताल से छुट्टी जल्दी ही छुट्टी कर दी जाती है।