नई दिल्ली. किसी देश में स्वास्थ्य की स्थिति कैसी है, इसका अंदाजा आप सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) के आंकड़ों से लगा सकते हैं। SRS की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मध्य प्रदेश (MP) की तुलना यमन (Yemen) और सूडान (Sudan) से की गई है, जबकि केरल की अमेरिका (US) से। रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पिछले एक दशक में शिशु मृत्यु दर (Infant Mortility Rate- IMR) में काफी सुधार किया है, लेकिन मध्य प्रदेश की हालत चिंताजनक है।
क्या है Infant Mortility Rate?
जिन बच्चों की मृत्यु एक साल से कम उम्र में हो जाती है, उन्हें इन्फैन्ट मॉर्टिलिटी रेट यानी IMR में काउंट किया जाता है। भारत ने पिछले एक दशक में IMR को लेकर बड़ा बदलाव किया है। 2009-2019 के आंकड़े देखें तो 50 नवजात की मौत होती थी, जो अब घटकर 30 पर आ गई है। ये स्थिति बांग्लादेश और नेपाल जैसे छोटे देश के मुकाबले खराब है, लेकिन पिछले दस साल के आंकड़े देखें तो सुधार हुआ है। वहीं, पाकिस्तान में अभी भी 56 नवजात की मौत होती है।
2009 से 2019 में बड़ा बदलाव
भारत में IMR के लिहाज से देखें तो कई राज्यों ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है। 2009 से 2019 के बीच शिशु मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई। बिहार, आंध्रप्रदेश, जम्मू–कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल ऐसे राज्य है, जहां नवजातों ज्यादा मौतें होती थी, लेकिन केरल ने अपने तरीकों में सुधार लाते हुए मौत के आंकड़ों में ठहराव लाया। केरल में 2009-2014 में कोई बड़ा बदलाव नहीं था, लेकिन 2014 के बाद उसने अपनी नीतियों पर काम किया। 2019 में IMR घटकर 6 पर आ गया।
मध्यप्रदेश की तुलना यमन और सूडान से
फिनलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, सिंगापुर और जापान में सबसे कम IMR है। 1971 में भारत में IMR 129 था। केरल की शिशु मृत्यु दर की तुलना अमेरिका से की जा रही है, जबकि मध्यप्रदेश की तुलना यमन और सूडान से की जाती है। चिंताजनक यह है कि बड़े राज्यों में IMR को लेकर ज्यादा सुधार नहीं देखा गया, जबकि बिहार ने खुद को इस मामले में पूरी तरह से बदला।
बड़े राज्यों की स्थिति खराब
कुछ राज्य ऐसे हैं, जो क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े है, लेकिन यहां सुधार ना के बराबर हुआ है। इनमें मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। केरल के बाद दिल्ली में सबसे कम शिशु मृत्यु दर देखी गई। दिल्ली में सिर्फ 11 IMR है, जबकि तमिलनाडु में 15।