Bhopal. पूरी दुनिया में 28 मई को माहवारी स्वच्छता दिवस (Menstrual Hygiene Day) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन की योजना बनाने के लिए यूनिसेफ (UNICEF) के स्टेट ऑफिस में एक्टिवेशन मीट का आयोजन किया गया। इस अवसर पर माहवारी स्वच्छता दिवस मनाने, इस बारे में चुप्पी तोड़ने और माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी प्रयासों पर सीएसओ, युवा समूह और किशोरों ने चर्चा की। तय किया गया कि माहवारी स्वच्छता सप्ताह मनाकर इस विषय पर जागरुकता बढ़ाई जाए। इसके लिए रेड डॉट (Red Dot) के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा की जाएंगी ताकि इस दिशा में समाज में जागरुकता आए।
हर किशोरी-महिला को सुलभ हो स्वच्छ साधन
एक्टिवेशन मीट में यूनिसेफ मध्यप्रदेश की प्रमुख मार्गरेट ग्वाडा ने कहा कि 'माहवारी एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है जो अभी तक दुनिया भर में वर्जनाओं, मिथकों और गलत धारणाओं से घिरी हुई है। एनएफएचएस (5) के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 15-24 वर्ष की आयु में केवल 53.40 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं अपनी माहवारी के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीकों का उपयोग करती हैं, जबकि भारत में यह 72 प्रतिशत है। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि किशोरियों और महिलाओं को सुरक्षित माहवारी स्वच्छता के साधन और सुविधाएं निरंतर प्राप्त हों।
किफायती और आसान साधन जरूरी
ये साधन उनकी पसंद के अनुसार किफायती, नष्ट करने में आसान और जैविक रूप से नष्ट किए जा सकते वाले होने चाहिए। इस एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए युवा और पुरुष एक महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। यूनिसेफ ने माहवारी स्वच्छता पर चुप्पी तोड़ने और सैनिटरी उत्पादों तक पहुंच बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश राज्य की पहल का निरंतर सहयोग किया है। मीट में दमोह की किशोरी छात्रा अंजलि और भोपाल की सोनम ने माहवारी के मुद्दे पर अपने आस-पास पाए जाने वाले मिथकों और वर्जनाओं के बारे में बताया। विशेषज्ञ पंकज माथुर ने कहा कि अब कार्रवाई का समय है। माहवारी स्वच्छता दिवस इस दिशा में जागरुकता बढ़ाता है। यह दिन उन चुनौतियों की बात करने का अवसर है जिनका सामना दुनिया भर की महिलाएं और लड़कियां कर रही हैं।
जागरुकता के लिए सोशल मीडिया का उपयोग जरूरी
माहवारी स्वच्छता विशेषज्ञ जेनिफर सेल्वराज ने प्रतिभागियों से माहवारी क्या है, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की आवश्यकता, सुरक्षित प्रबंधन, माहवारी स्वच्छता और सुरक्षित प्रबंधन की प्रमुख चुनौतियों, मिथकों, गलत धारणाओं, सामाजिक मानदंडों और प्रमुख हितधारकों की भूमिका पर बात की। यूनिसेफ मध्यप्रदेश के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी और एसबीसीसी विशेषज्ञ, झिमली बरुआ ने माहवारी स्वच्छता दिवस के संदेश और आवश्यक जानकारी समुदाय तक पहुंचाने की योजना और माहवारी स्वच्छता सप्ताह के लिए सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग करने की योजना पर बात की।