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भोपाल. प्रदेश सरकार ने रेबीज (Rabies) को संक्रामक रोग घोषित कर दिया है। कुत्तों के काटने से होने वाली रेबीज बीमारी के सटीक आंकड़े मिल सके इसलिए राज्य सरकार ने इसे संक्रामक रोग घोषित करते हुए इसका नोटिफिकेशन जारी किया है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल 20 हजार लोगों को कुत्तों के काटने से रेबीज संक्रमण होता है। इस संक्रमण के सटीक आंकड़े उपलब्ध होने पर सरकार सही आंकलन कर पर्याप्त उपचार और रेबीज टीके की व्यवस्था कर सकेगी। वर्तमान में कई जिलों में रेबीज टीके उपलब्ध न होने के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है।
कैसे फैलता है रेबीज वायरस? रेबीज वायरस संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों में रहता है। जब संक्रमित जानवर किसी को भी काटता है तो ये वायरस घाव के जरिए रक्त प्रवेश कर लेता है और शरीर में फैल जाता है। धीरे-धीरे रेबीज वायरस दिमाग तक पहुंचता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में जगह बना लेता है। कुछ समय बाद रेबीज वायरस नसों के जरिए लार ग्रंथियों में फैलता है। इस वायरस के प्रभाव से अक्सर मुंह में झाग बनता है। रेबीज से संक्रमित होने से चार से 6 सप्ताह के बीच बीमारी उत्पन्न होने की आशंका सर्वाधिक होती है। 10 दिनों से आठ महीने के बीच का इसका इनक्यूबेशन पीरियड है। इसका मतलब है कि 8 महीनों के अंदर ये बीमारी कभी भी हो सकती है।
क्या है रेबीज का इलाज? रेबीज बीमारी का फिलहाल तो कोई इलाज नहीं है। बीमारी होने से पहले जरूरी सावधानियां रखकर इससे बचा जा सकता है। रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने के बाद घाव को फौरन साफ करना चाहिए। व्यक्ति को एंटी रेबीज सीरम का एक डोज भी मिलना चाहिए। एंटी रेबीज सीरम घोड़ों या मनुष्यों से मिलती है। रेबीज के एंटीजन के खिलाफ सीरम मरीज को पहले से तैयार एंटीबॉडी देता है, हालांकि ये सीरम 24 घंटों के अंदर लेने पर ही प्रभावी होता है। अगर सीरम को तीन दिनों के बाद मरीज को दिया जाता है तो इसका असर कम हो सकता है।