BHOPAL. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत के प्रति लापरवाही काफी बढ़ गई है। यही कारण है कि बीते कुछ सालों में किडनी के मरीजों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। अक्सर किडनी की बीमारी की पहचान होना मुश्किल होता है। फिर भी किडनी की समस्या से ग्रसित रोगियों के पूरे शरीर में सूजन, यूरिन में झाग और कभी-कभी खून आ सकता है। किडनी की कार्य क्षमता जैसे-जैसे कमजोर होती जाती है। शरीर में विषाक्त पदार्थों जमा होने लगते हैं, जिससे पीठ दर्द, पेट के निचले हिस्से और पसलियों में दर्द होता है। त्वचा में खुजली, सूखापन भी किडनी की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ब्लड प्रेशर किडनी की समस्याओं के सबसे आम और शुरुआती चेतावनी संकेतों में से एक है।
क्या करती है किडनी
बीन्स के आकार की तरह दिखने वाली किडनी खून को प्यूरीफाई करती है। इसके साथ ही शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने का काम भी करती है। अगर आपकी किडनी किसी वजह से खराब हो जाती है तो इसकी वजह से आपका शरीर कई बीमारियों से घिरने लगता है। किडनी शरीर में पीएच स्तर, नमक और पोटेशियम की मात्रा को भी नियंत्रित करती है।
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...तो किडनी में कई समस्याएं होने लगती हैं
गलत खानपान और जीवनशैली की वजह से किडनी में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। अधिक शराब का सेवन, हृदय रोग, हेपीटाइटिस सी और एचआईवी भी किडनी में खराबी की मुख्य वजहें हैं।
किडनी डिसीस क्यों साइलेंट किलर है
विशेषज्ञों के अनुसार, किडनी की बीमारियों को साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि 90 फीसदी मरीजों में आखिरी स्टेज तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि किडनी रोग के शुरुआती संकेत की पहचानकर उसका इलाज किया जाए।
ऐसे पता कर सकते हैं बीमारी
किडनी से जड़ी बीमारियों की जांच के बारे में बताते हुए डॉक्टर कहते हैं, किडनी फंक्शन टेस्ट, यूरिन इवैलुएशन और ब्लड प्रेशर से जुड़े टेस्ट किडनी से जुड़ी परेशानियों का शुरुआती स्टेज में पता लगा सकते हैं, जिसके बाद सही इलाज मिलने पर किडनी की बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।