छत्तीसगढ़ का छोट सा शहर भिलाई स्टील प्लांट के लिए दुनियाभर में फेमस है। लेकिन अब भिलाई एक और चीज के लिए अपनी पहचान बना रहा है। वह है माइक्रो मूर्तियां। भिलाई के शिल्पकार अंकुश देवांगन ने 0.4 एमएम की माइक्रो गणेश मूर्ति बनाकर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। इससे उनकी और भिलाई शहर की पहचान सबसे छोटी मूर्ति के लिए विश्व पटल पर हो रही है।
ऐसे आया छोटी मूर्तियां बनाने का आईडिया: अंकुश देवांगन एक से 10 इंच तक की नैनो मूर्तियों के लिए तो जाने ही जाते हैं। लगभग डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने साफ्ट स्टोन पर 0.4 एमएम की गणेश प्रतिमा तैयार की। यह प्रतिमा बाल की मोटाई के बराबर है। बचपन से ही उन्हें चित्रकारी और मूर्तियां बनाने का शौक था। बड़ी मूर्तियां बनाने में जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने छोटी मूर्तियां बनाने की तरफ रुख किया नेट में उसके बारे में सर्च किया तो पता चला कि अफगानिस्तान और फ्रांस के मूर्तिकारों ने 1 इंच तक की छोटी मूर्तियां बनाई है, लेकिन उनके नाम कोई विश्व रिकॉर्ड नहीं है। वहीं से अंकुश ने ठाना की वह छोटी मूर्तियां बनाना शुरू करेंगे।
चावल के 1 दाने पर उकेरे 7-8 देवी-देवताओं के चित्र: 0.4 एमएम का साइज इतना छोटा होता है कि वह साधारण आंखों से तो दूर पावर का चश्मा लगाकर भी नहीं देखा जा सकता है। अंकुश ने इससे लिए विशेष रूप से आर्डर कर हाई पावर लेंस का चश्मा बनवाया। उन्होंने ताजमहल, पीसा की मीनार, स्टैचू ऑफ लिबर्टी, महापुरुषों और देवी देवताओं के चित्र बनाने शुरू किए। धीरे-धीरे उनकी कला में इतना निखार आया कि उन्होंने एक ही चावल में 7-8 देवी देवताओं के चित्र बना डाले।
गिलहरी के बाल से करते हैं चावल में पेंटिंग: अंकुश ने बताया वह छोटी मूर्तियों को बनाने के लिए आलपिन, निडिल और ब्लेड जैसी घरेलू चीजों का उपयोग करते हैं। इन्हीं की मदद से उन्होंने अब तक सैकड़ों छोटी से छोटी मूर्तियों को बनाया है। उन्होंने चावल के दाने में पेंटिंग करने के लिए गिलहरी के बाल का उपयोग किया।