Sidhi. इंसान की जिद नामुमकिन को भी मुमकिन बना देती है। चाहे बात शाहजहां की जिसने मुमताज की याद में ताजमहल बना दिया तो बिहार के दशरथ मांझी ने पत्नी की याद में पहाड़ खोदकर रास्ता निकाल दिया। ऐसा ही मामला सीधी जिले के जनपद पंचायत सिहावल के ग्राम पंचायत बरबंधा से सामने आया है। जहां पत्नी की प्यास बुझाने के लिए जिद्दी पति ने पहाड़ को खोद-खोदकर आखिरकार पानी की तलाश पूरी कर ही ली। पहाड़ काटकर पानी निकालने की जिद हरि ने 3 साल पहले पाली थी। जिसके बाद उसने पहाड़ खोद पानी निकालने की ठानी। वे अपनी पत्नी सियावती की पानी की परेशानी को लेकर काफी चिंतित रहते थे, क्योंकि पानी लेने के लिए पत्नी को 2 किमी दूर जाकर पानी लाना पड़ता था। जिसके बाद कुआं खोदना शुरू किया। आखिरकार तीन साल बाद पानी निकल ही आया।
पानी की किल्लत से थे परेशान
सीधी जिले से 45 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत सिहावल के ग्राम पंचायत बरबंधा 3 हजार की आबादी वाला क्षेत्र है। इस गांव में लोग अभी भी पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। सीधी के माउंटेन मैन से पहचाने जाने वाले 40 वर्षीय हरि सिंह गोंड ने चट्टानों से घिरे पहाड़ को खोदकर 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं खोद डाला। हरि सिंह का कहना है कि शुरू में यह कार्य बहुत कठिन लग रहा था क्योंकि पूरा का पूरा पत्थर खोदना था। मिट्टी की परत एक भी नहीं थी। लोगों ने भी पहले हतोत्साहित किया कि इससे कुछ हासिल नहीं होगा। काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, किंतु मन मार कर बैठने की बजाए मन में हठधर्मिता को जागृत किया और संकल्प लिया कि इस दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है। जिसके बाद हरि ने कुआं खोदकर ही सांस ली और पानी मिलते ही पानी का पहला घूंट पत्नी को पिलाया।
अभी भी खुदाई जारी है
हरिसिंह गोंड के पास 50 डिसमिल जमीन का पट्टा है। इसके बावजूद भी पंचायतकर्मी गुमराह करने का प्रयास करते हैं। वे कई बार उनसे सहायता मांगने गए, लेकिन किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली और आखिर में उन्होंने कुआं खोदने का बीड़ा उठाया। उनकी मेहनत और जिद देखकर लोग उन्हें सीधी के दशरथ मांझी के नाम से भी पुकारने लगे हैं। हरि सिंह ने बताया कि फिलहाल थोड़ा बहुत पानी मिल गया है, लेकिन जब तक समुचित उपयोग के लिए पानी नहीं मिल जाता तब तक यह कुआं खोदने का कार्य लगातार जारी रहेगा। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। हरि सिंह ने बताया कि कुआं खोदने का कार्य तीन सालों से जारी है। इस कुआं खुदाई के कार्य में उनकी पत्नी सियावती सहित दो बच्चे और एक बच्ची ने उनकी मदद से उनकी प्यास बुझी।