नए साल में पार्टी करने के अलावा एक चीज आमतौर हम सभी करते हैं। वो है न्यू ईयर रेजोल्यूशन लेना। कोई साल के पहले दिन शराब, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू छोड़ने की बात करता है। तो कोई कहता है कि अब फिट होना है इसलिए बाहर का खाना और जंक फूड बंद लेकिन जो असलियत है वो किसी से छिपती नहीं। साफ है कि दुनिया के वो तमाम रेजोल्यूशन जो 31 दिसंबर को बनते हैं उनमें से 90 प्रतिशत 1 जनवरी का मुंह नहीं देखते। रेजोल्यूशन कल की भेंट चढ़ जाते हैं। रेजोल्यूशन लागू करने के लिए हम खुद को तारीख पे तारीख देते रहते हैं और अंत में ज्यादातर लोग फिसड्डी साबित होते हैं।आइए जानते हैं आखिर क्यों अधूरे रह जाते हैं लोगों के रेजोल्यूशन
दूसरों के देखा-देखी रेजोल्यूशन लेना: कई बार ऐसा होता है कि हम अपने आसपास के लोगों से इंफ्लूएंस होकर खुद भी रेजॉल्यूशन ले लेते हैं। उस वक्त हम ये बिल्कुल नहीं सोचते कि जो वादा आप खुद से कर रहे हो वो आपके इंटरेस्ट का है भी या नहीं।उसके बारे में ज्यादा डीटेल में सोचते नहीं।जिससे उसे पूरा कर पाने में भी हम ज्यादा मेहनत नहीं करते और फिर उसे बीच में ही छोड़ देते हैं।
कई सारे संकल्प एक साथ लेना: नया साल आने पर एक्साइटमेंट में हम कई सारे रेजोल्यूशन एक साथ ले लेते हैं। जैसे इस साल खुद को फिट रखना, हर दिन दौड़ लगाएंगे, सिगरेट छोड़ देंगे, जंक फूड से दूर बनाएंगे, बजट के मुताबिक खर्च करेंगे, परिवार को समय देंगे। शुरूआत में यह काफी एक्साइटिड लगता है। लेकिन हर चीज आपका वक्त और मेहनत मांगती हैं और पहले से ही बिजी शेड्यूल में कई चीजों के लिए एक साथ वक्त निकालना काफी मुश्किल होता है। जिससे आपके सारे संकल्प अधूरे ही रह जाते हैं।
रोडमैप तैयार ना करना: अमूमन हम संकल्प ले लेते हैं लेकिन उसका रोडमैप तैयार नहीं करते। जिससे हमें पता ही नहीं होता कि हमें शुरूआत कैसे करनी है,आगे किस तरह बढ़ना है और मंजिल को किस तरह हासिल करना है।उदाहरण के तौर पर- लोग जिम जाना शुरू कर देते हैं, पर उन्हें पता नहीं होता। कुछ शुरुआती थकान से परेशान हो जाते हैं तो कुछ को जरा दिन बाद ऊब होने लगती है। कुल मिलाकर आप जो भी शुरुआत करें, उसके Pros and Cons पर अच्छी तरह सोच-विचार कर लें। आपको कौन सी टाइमिंग सूट करेगी, ये ध्यान रखना सबसे जरूरी है।