क्या आप जानते हैं ब्रटिश हुकूमत से भारत की आजादी का समय तय करने में ज्योतिष शास्त्र (Astrology) ने अहम भूमिका निभाई थी। कैसे उज्जैन के दो प्रख्यात ज्योतिषियों की सलाह पर भारत की आजादी के लिए 1947 में 14 और 15 अगस्त की आधी रात का समय तय किया गया। इन ज्योतिषियों ने आखिर ऐसा क्या बताया जिससे भारत के राजनेताओं ने देश की आजादी के लिए दिन नहीं आधी रात का समय चुना। आखिर वो दोनों ज्योतिषी कौन थे जिन्हें डॉ.राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) ने आजाद भारत की जन्म कुंडली बनाने के लिए उज्जैन से दिल्ली बुलाया था। आइए आपको बताते हैं ये बेहद रोचक वाकया।
शुभ नहीं था दिन का समय
ऐसा माना जाता है कि अंग्रेज शासकों ने 1947 में 15 अगस्त को भारत को आजादी देने का फैसला किया था। जब यह तारीख उज्जैन के मशहूर ज्योतिषाचार्य हरदेव शर्मा शास्त्री और सूर्यनारायण व्यास को बताई गई तो दोनों ने काल गणना के आधार पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति) को बताया कि 15 अगस्त की तिथि ज्योतिषीय गणना से शुभ नहीं है। जब उन्हें बताया गया कि अंग्रेज शासक उस दिन आजादी के लिए किसी भी घंटे का चुनाव करने को तैयार हैं। तब यह निर्णय लिया गया कि बीच का कोई समाधान निकाला जाना चाहिए क्योंकि लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को सत्ता हस्तांतरण के लिए ब्रिटिश राजशाही से 15 अगस्त के लिए सहमति ली है।
इसलिए चुना आधी रात का समय
इस पर दोनों ज्योतिषियों ने जोर देकर आधी रात के समय को श्रेष्ठ बताया। कारण यह रहा कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नयी तारीख मध्य रात्रि के बाद से ही शुरू हो जाती है। जबकि हिंदू पंचांग के मुताबिक दिन सूर्योदय के बाद से शुरू होता है। इसलिए, आधी रात को "अभिजीत मुहूर्त" के रूप में उपलब्ध समय चुना गया। हरदेव और व्यास जी ने इसके तीन ठोस कारण भी बताए।
1. उस समय तक चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में प्रवेश कर चुका होगा, जिसे बंगाल में महानक्षत्र के रूप में जाना जाता है। यह शुभ मुहूर्त के लिए सबसे अनुकूल नक्षत्र है।
2. आजादी का समय आधी रात को अभिजीत मुहूर्त के आस-पास का होना चाहिए। जिसकी गणना रात 12.15 बजे के चौबीस मिनट पहले या 24 मिनट बाद अभिजीत मुहूर्त के रूप में की गई।
3. तीसरी महत्वपूर्ण वजह यह थी कि आधी रात के समय वृषभ लग्न का उदय होगा, जो नई इमारतों की नींव या देश की आजादी के लिए स्थिरता का संकेत है।
ब्रिटिश पत्रकार वायट ने भी अपने लेख में किया उल्लेख
देश के जानेमाने एस्ट्रोलॉजर केएन राव ने अपने ज्योतिष ग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया है। एक ब्रिटिश पत्रकार एवं लेखक सर वुडरो वायट ने भी लिखा है कि भारत की आजादी का समय ज्योतिषीय गणना के आधार पर चुना गया था। इस मामले में कार्यवाहक सरकार को सलाह देने वाले ज्योतिषी हरदेवजी और सूर्यनारायण व्यास ही थे। वायट ने मई 1988 में टाइम्स, लंदन के केंद्रीय पेज पर शीर्षक, "हू डू नॉट कंसल्ट स्टार्स" के साथ एक लेख लिखा। इसमें उन्होंने ज्योतिषियों से परामर्श करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का बचाव किया। इस लेख में भी उन्होंने खुलासा किया कि भारत की आजादी का समय भारतीय ज्योतिषियों ने तय किया था। यह उल्लेख करते हुए उन्होंने भारत को पाकिस्तान की तुलना में ज्यादा सफल देश बताया।
भारत के मुकाबले पाकिस्तान में क्यों सफल नहीं हुआ लोकतंत्र
1. पाकिस्तान ने अपनी आजादी के लिए भारत की तुलना में बीस घंटे पहले का समय चुना, तब मेष लग्न के साथ मिथुन में चंद्रमा और बुध के अशुभ परिवर्तन का खल योग था।
2. पाकिस्तान में जिन्ना ने जिस समय राष्ट्रपति पद की शपथ ली उस समय कन्या लग्न में मंगल आठवें स्वामी के रूप में दसवें घर में था। कश्मीर पर पाकिस्तान के सैन्य हमले के बाद जिन्ना की बीमारी से मृत्यु हो गई। इसके बाद से ही पाकिस्तान में लोकतंत्र ज्यादातर सेना या सेना समर्थित शासन के कब्जे में ही रहा है।
कोई भी मुहूर्त पूर्ण और दोष रहित नहीं होता
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक कोई भी मुहूर्त पूर्ण और दोष रहित नहीं हो सकता। आजाद भारत की कुंडली में राहु लग्न के करीब है। इसके अलावा शनि और शुक्र भी हमारे देशवासियों की नैतिकता के लिए बहुत करीब है। हालांकि, हमारे पास अपनी पसंद का विकल्प नहीं था लेकिन केएन राव के शिष्य और ज्योतिषशास्त्री आचार्य सिद्धार्थ मानते हैं कि यह हरदेव शर्मा शास्त्री जी और सूर्यनारायण व्यास जी के प्रयासों का ही योगदान है कि पड़ोसी देशों के मुकाबले भारत का लोकतंत्र ज्यादा सफल औऱ मजबूत होकर उभरा है।