/sootr/media/post_banners/5ecff145c01f28b1230c4373741c341813afddf670ac7e17a54da5237e7b0d0e.png)
ओलंपिक खेलों के कारण इन दिनों जापान पर पूरी दुनिया की खास नजर है। उगते सूरज का देश कहे जाने वाले जापान को एशिया का पहला विकसित राष्ट्र होने का गौरव हासिल है। यह देश सभ्यता, संस्कृति और तकनीक के मामले में जितना आधुनिक है उतना ही जागरूक और संवेदनशील अपने नागरिकों की हेल्थ को लेकर है। यहां सरकार 40 से 75 साल तक की उम्र के लोगों की कमर की साइज पर नजर रखती है। जिससे वे मोटापे की चपेट में आकर डायबिटीज, हार्ट और पेरालिसिस जैसी बीमारियों के शिकार न हों।
कमर के साइज पर नजर रखती है सरकार
जापान में आपको सिर्फ सूमो पहलवान ही भारभरकम डीलडौल के साथ नजर आएंगे। सुमो रेसलिंग के अलावा यहां बहुत ही कम लोग मोटापे का शिकार होते हैं। अधिकांश जापानी स्लिम और फिट होते हैं। यहां 2008 में लागू मेटोबो लॉ के तहत सरकार 40 से 75 साल तक के लोगों की कमर पर खास नजर रखती है। इसके पीछे सरकार का मकसद ये सुनिश्चित करना है कि इस आयु वर्ग के लोगों की कमर का साइज न बढ़े और ये हमेशा हेल्दी और फिट रहें। जापान के नागरिकों को इस वजह से हर साल अपनी कमर का साइज लेना अनिवार्य किया गया है। हर साल यहां पर कई कंपनियों और स्थानीय सरकारों को जिम्मेदारी दी जाती है कि वो नागरिकों की कमर का साइज लेकर उसका रिकॉर्ड रखें।
क्या है कमर के लिए तय स्टैंडर्ड
जापान में सरकार ने पुरुषों की कमर के लिए 33.5 इंच और महिलाओं के लिए 35.4 इंच का साइज निर्धारित किया है। यह साइज इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की तरफ से 2005 में सुझाया गया था। कमर का यह साइज 2005 में तय किया गया था। द टाइम्स के मुताबिक यदि कमर का साइज इससे ज्यादा होता है तो लोगों को तीन माह तक डाइटिंग करने का गाइडेंस दिया जाता है ताकि उनका वजन कम हो। जरूरत पड़ने पर डायटिंग की अवधि 6 माह के लिए भी बढ़ाई जाती है।
क्यों पड़ी कानून की जरूरत
जापान की अथॉरिटीज का मकसद नागरिकों को हेल्दी और फिट रखना है ताकि वो दिल की बीमारियों, डायबिटीज और स्ट्रोक्स से दूर रहें। हालांकि यदि नागरिक मोटे होते हैं तो उन पर तो कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है लेकिन वो जिस कंपनी में काम करते हैं उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। जनवरी 2008 में जापान में कानून लाया गया था जिसके तहत बढ़ते वजन पर रोक लगाने की कोशिशें की गई थीं। उस समय यहां लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और कमर के आसपास फैट जमने की समस्या देखी गई थी। इसकी वजह से लोगों में दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और डायबिटीज का खतरा बढ़ गया था।
मोटे कर्मचारियों के कारण कंपनियों पर लग चुका है जुर्माना
वजन बढ़ने की वजह से बीमार लोगों की संख्या कम करने के लिए सरकार ने उन कंपनियों और स्थानीय सरकारों पर जुर्माना लगाया था जो तय लक्ष्य को पूरा करने में असफल साबित हुईं थीं। कुछ जापानी कंपनियां समय-समय पर अपने कर्मचारियों और उनके परिजनों की कमर का साइज लेती हैं। जापान की एक बड़ी पर्सनल कंम्यूटर बनाने वाली एक कंपनी को एक बार अपने ज्यादा मोटी कमर वाले कर्मचारियों की वजह से 19 मिलियन डॉलर (1.41 अरब रुपये) का जुर्माना भरना पड़ा था।