BHOPAL. मुझे सुबह तो चाय चाहिए ही चाहिए...ये लाइन भारत में आम है। भारत ही नहीं, चाय अब दुनिया में रोजमर्रा का जरूरी हिस्सा बन गई है। घर में किसी की खातिरदारी हो, दोस्तों के साथ टाइमपास हो, किसी के साथ सामान्य बात ही करनी हो, चाय से बेहतर कुछ नहीं माना जाता। आज यानी 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है। 19वीं सदी के उत्तरार्ध तक भारत में चाय की खपत ना के बराबर थी, लेकिन आज भारत के हर चौराहे, नुक्कड़ पर आपको कुछ मिले न मिले चाय जरूर मिल जाएगी। हम आपको चाय के बारे में दिलचस्प जानकारियां बता रहे हैं..
चीन में ऐसे बनी पहली चाय
करीब 2700 ईसा पूर्व चीनी शासक शेन नुंग बगीचे में बैठे गर्म पानी पी रहे थे। तभी एक पेड़ की पत्ती उस पानी में आ गिरी, जिससे उसका रंग बदला और महक भी उठी। राजा ने चखा तो उन्हें इसका स्वाद बड़ा पसंद आया और इस तरह चाय का आविष्कार माना जाता है। एक और कथा के अनुसार, छठी शताब्दी में चीन के हुनान प्रांत में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधि धर्म बिना सोए ध्यान साधना करते थे। वे जागे रहने के लिए एक खास पौधे की पत्तियां चबाते थे और बाद में यही पौधा चाय के पौधे के रूप में पहचाना गया। वर्तमान में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक (प्रोड्यूसर) चीन, दूसरे नंबर पर भारत है। चाय का सबसे बड़ा निर्यातक (एक्सपोर्टर) श्रीलंका है।
भारत में चाय अंग्रेज लेकर आए
1610 में डच व्यापारी चाय को चीन से यूरोप ले गए और धीरे-धीरे ये पूरी दुनिया की प्रिय पेय पदार्थ बन गई। 1824 में बर्मा (म्यांमार) और असम की सीमांत पहाड़ियों पर चाय के पौधे पाए गए। अंग्रेजों ने चाय उत्पादन की शुरुआत 1835-36 में भारत और 1867 में श्रीलंका में की। पहले खेती के लिए बीज चीन से आते थे, लेकिन बाद में असम चाय के बीजों का इस्तेमाल होने लगा। भारत में चाय का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाजारों में चाय की मांग को पूरा करने के लिए किया गया था। भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने भारत में चाय की परंपरा शुरू करने और उसके उत्पादन की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन कियार था।
चाय के ये भी प्रकार
वाइट टी शुद्ध और सभी चाय में सबसे कम प्रोसेस्ड होती है। ग्रीन टी सबसे मशहूर और एशिया में खासी पसंद की जाती है। ओलांग टी चीनी चाय है जो चाइनीज रेस्त्रां में परोसी जाती है। ब्लैक टी को केवल गर्म पानी में पत्तियां डालकर या दूध और शक्कर के साथ भी पिया जाता है। हर्बल टी में किसी भी प्रकार की चाय की पत्तियां नहीं डाली जाती हैं।
भोपाल की नमक वाली चाय
भोपाल की सुलेमानी चाय मशहूर है। भोपाल के लोग इसे नमक वाली चाय के नाम से जानते हैं। पुराने भोपाल के इलाके में ये खूब मिलती है। इसमें सबसे पहले पानी को उबाला जाता है और फिर चाय के ऑर्डर के हिसाब से चाय पत्ती, शक्कर और खड़ा नमक डाला जाता है। इसे पूरे 1 घंटे तक उबाला जाता है। वहीं, दूध को अलग से उबाला जाता है। इसकी खासियत यह होती है कि गिलास/कप में काली चाय सर्व करने के बाद इसमें दूध को ऊपर से डालते हैं। जानकर बताते हैं कि भोपाल रियासत की बेगम सिकंदर टर्की से सुलेमानी चाय की रेसिपी लाई थीं। इस चाय को आज भी उसी निराले अंदाज में बनाया जा रहा है। चाय के शौकीनों के मुताबिक, यह चाय सेहत के लिहाज से आम चाय से ज्यादा फायदेमंद है।
असम की रोंगा साह
असम के चाय बागानों में एक खास किस्म की चाय होती है जिसका नाम है रोंगा साह। असम के लोग इसके स्वाद को बेहद पसंद करते हैं। ये चाय हल्के लाल और भूरे रंग की होती है। ये ताजा पत्तियों से बनती है और पाचन के लिए बेहतरीन मानी जाती है।
हैदराबाद की ईरानी चाय
19वीं शताब्दी में फारसियों ने ईरानी चाय को भारत लाए थे। ये शहर के पुराने कैफे में मिलती है। इसमें मावा मिलाया जाता है जो इसके स्वाद को शानदार बना देता है। इस चाय में दालचीनी और हरी इलायची भी मिलाकर पी सकते हैं।
बंगाल की लेबू चा
बंगाली स्टाइल मसाला चाय को लेबू चा कहते हैं। ये बिना दूध के बनाई जाती है। इसमें पानी के साथ चायपत्ती और कई मसाले मिलाए जाते हैं। इसमें नींबू भी डाला जाता है। नींबू का स्वाद लोगों को काफी पसंद आता है।
हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय
उत्तर भारत की राजधानी कांगड़ा को कहा जाता है। कांगड़ा रीजन में 19वीं सदी से ब्लैक और ग्रीन टी उगाई जा रही है। हिमाचली चाय में हरी और वनस्पति की सुगंध होती है। ये स्वाद में हल्की तीखी होती है।
केरल की सुलेमानी चाय
केरल की सुलेमानी चाय मालाबार इलाके से आती है। ये चाय दक्षिण भारत के कई राज्यों में लोगों की पसंद है। इस चाय को बिना दूध के बनाया जाता है। इसमें लौंग, इलायची, दालचीनी और पुदीने की पत्तियां डाली जाती हैं। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें नींबू का रस और शहद भी डाला जाता है।
तमिलनाडु की नीलगिरी चाय
तमिलनाडु की नीलगिरी पहाड़ियों में उगाए जाने के कारण इसका नाम नीलगिरी चाय है। इसमें डस्क ऑर्किड और वुडी प्लम का हल्का स्वाद आता है। इस चाय में फ्रूटी टेस्ट के साथ मसालेदार स्वाद आता है।
पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग चाय
दार्जिलिंग चाय दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर उगने वाली चाय है। ये पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में उगाई जाती है। इसे चाय की शैम्पेन कहा जाता है क्योंकि इसमें हल्की मस्की महक आती है। स्वाद में ये मीठी होती है। इसे दुनिया की स्वादिष्ट काली चायों में शुमार है।
कश्मीर की नून चाय
कश्मीर की चाय को नून चाय कहते हैं। इसे गनपाउडर के रूप में चायपत्ती, नमक और बेकिंग सोडा डालकर पकाते हैं। इसके साथ ही इसमें गुलाब की सूखी पत्तियां और सूखे मेवे डाले जाते हैं। कश्मीरी लोग इसे सुबह और शाम के वक्त पीते हैं।