नई दिल्ली. महाठग सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) मामले में रोज नई कहानियां सामने आ रही हैं। उसके साथ अब फिल्म निर्देशक और लेखक महबूब खान उर्फ बॉबी खान का कनेक्शन भी सामने आया है। 200 करोड़ की ठगी करने वाला सुकेश अपनी लाइफ पर फिल्म बनवाना चाहता था। जांच में सामने आया है कि सुकेश ने साइनिंग अमाउंट के तौर पर बॉबी खान को एक महंगी कार दी थी। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कई ऐसे ठग (Thugs of India) भी हुए हैं जिन्होंने ताजमहल (TajMahal) के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन को भी बेच दिया था। इन ठगों ने अपनी धूर्तता का इस्तेमाल करके लोगों को बेवकूफ बनाया और करोड़ों कमाए। हम आपको दुनिया के ऐसे ही पांच ठगों के बारे में बता रहे हैं। इसमें भारतीय भी शामिल हैं। इनके ऊपर कई फिल्में भी बन चुकी हैं।
नटवरलाल: नटवरलाल का आसली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था। नटवरलाल भारत में अबतक का सबसे बड़ा ठग माना जाता है। नटवरलाल ने लोगों को बेवकूफ बनाकर दिल्ली के लाल किले, संसद भवन से लेकर ताजमहल तक को बेच दिया और ठगे गए लोगों को करोड़ों का चूना लगाया। उसे पुलिस ने 8 बार गिरफ्तार किया लेकिन हर बार वो फरार होने में सफल रहा। नटवरलाल पर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कई फिल्में बन चुकी हैं। यहां तक की उसने भारत के राष्ट्रपति भवन को भी बेच दिया था। यह सब उसने राष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर करके किए थे। अपने शुरुआती दिनों में नटवरलाल ने वकील के साथ-साथ पटवारी की नौकरी भी की थी।
चार्ल्स शोभराज: बिकिनी किलर के नाम से कुख्यात चार्ल्स शोभराज बेहद रहस्यमय शख्स है। इसका जन्म वियतनाम में हुआ था। 1970 के दशक में दक्षिणपूर्वी एशिया के लगभग सभी देशों में विदेशी पर्यटकों को अपना शिकार बनाने वाला चार्ल्स शोभराज चोरी और ठगी का भी माना हुआ खिलाड़ी है। अन्य सीरियल किलर की तरह चार्ल्स शोभराज ना तो क्रोधी और ना ही हिंसक स्वभाव का है और ना ही उसके परिवार का अपराध की दुनिया से कोई लेना-देना रहा है। उसने कई ठगी को अंजाम दिया था।
जॉर्ज सी पार्कर: दुनिया का ऐसा मशहूर ठग है, जिसने अमेरिका की प्रसिद्ध इमारतों, चौराहों तक को बेच दिया और पैसा लेकर फरार हो गया। उसने न्यूयॉर्क के मशहूर मेडिसन स्क्वॉयर गार्डन, मेट्रोपॉलिटन ऑर्ट म्यूजियम, ग्रांट का मकबरा और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी तक का सौदा कर लिया था। इन सबमें उसका सबसे मशहूर सौदा ब्रुकलिन ब्रिज को बेचने का रहा, जिसे उसने कई बार बेचा।
विक्टर लस्टिग: इसने फ्रांस के मशहूर एफिल टॉवर को ही बेच दिया था। 1890 में चेकोस्लोवाकिया में पैदा हुआ विक्टर बेहद शातिर था और कई भाषाओं का अच्छा ज्ञाता था। 1925 में उसने एक बार अखबार में पढ़ा कि एफिल टावर की मरम्मत की जानी है। उसने सरकारी अधिकारी बनकर 6 बड़े कबाड़ व्यवसायियों से संपर्क किया। उनमें से एक को इस शर्त पर एफिल टावर बेच दिया, कि वो इसे ट्रेन से ऑस्ट्रिया ले जाएगा। विक्टर ने फ्रांस के बड़े गैंगस्टर अल कॉपोन से 40 हजार डॉलर स्टॉक डील में इनवेस्ट कराए।
ठग बहराम: बहराम एक निर्मम हत्यारा था। माना जाता है कि उस अकेले ने 900 से अधिक लोगों की हत्याएं की थीं। 1765 में पैदा हुए इस हत्यारे को 1840 में फांसी की सजा दी गई। वह अपने पीले रुमाल के कारण जाना जाता था। उसके गिरोह में करीब 200 सदस्य थे जो पूरे के पूरे काफिले को मार डालते थे और लूट लेते थे। उसका नाम गिनीज़ बुक में भी दर्ज है। अंग्रेज अधिकारियों के लिए बहराम एक सिरदर्द बन गया था और 10 सालों तक अंग्रेज उसे पकड़ने के लिए हर संभव तरीके आजमाते रहे।