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कई बार आप जब किसी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके से गुजरते हैं तो आपके मन में क्या ख्याल आता है? झुग्गी के बच्चों को देखकर क्या आपने कभी उनके भविष्य के बारे में सोचा? इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोगों के पास नहीं होगा, और यदि होगा भी तो वो ‘ना’ होगा। लेकिन भोपाल में रहने वाली माही भजनी की डिक्शनरी में ‘ना’ जैसा कोई शब्द है ही नहीं। माही का बस एक ही लक्ष्य है कि हर बच्चा शिक्षित हो और इसके लिए वह हर संभव प्रयास कर रही हैं। माही की कोशिशों के चलते अब तक 500 से ज्यादा गरीब बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। इसके अलावा 70 के आसपास बच्चे ऐसे हैं, जो नशे के चंगुल से छूटकर भविष्य और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
खुद की बनाई वेलफेयर सोसाइटी
शुरू के कुछ सालों तक माही ने अकेले ही सबकुछ संभाला। फिर चाहे वह झुग्गी-बस्तियों में जाकर वहां रहने वालों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना हो या उनकी शिक्षा की व्यवस्था करना। लेकिन माही शिक्षा की अलख को सीमित नहीं रखना चाहती थी, और वो ये भी जानती थी इस काम को अकेले नहीं किया जा सकता। इसके लिए उन्होंने 2011 में कुछ साथियों के साथ मिलकर अनुनय एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी बनाई। ये सोसाइटी भोपाल और आस-पास के कई इलाकों में काम करती है। इस सोसाइटी के जरिए कई लड़कियों ने स्कूल जाना शुरू किया, जिन्होंने आज तक स्कूल की शक्ल भी नहीं देखी थी।
हार नहीं मानी
माही से जब पूछा गया कि उनके लिए ये सफर कैसा रहा? तो जवाब में उन्होंने कहा कि झुग्गी-झोपड़ी में कचरा बीनने वाले बच्चों और उनके परिवार को शिक्षा के लिए तैयार करना आसान नहीं था। झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले अधिकतर बच्चे ऐसे माहौल में पलते-बढ़ते हैं, जहां शिक्षा से ज्यादा महत्व कमाई को दिया जाता है। इसलिए वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते, क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। ऐसे में बच्चों के साथ-साथ उनके परिवारों को भी यह समझाना कि शिक्षा से ही उनका भविष्य बदलेगा, ये बहुत मुश्किल है। ऐसा नहीं था कि माही हर बार सफल ही होती थी, कई बार वे असफल भी हुई। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी वह लगातार प्रयासों में लगी रहीं। ये उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि आज वह केवल माही नहीं ‘गरीब बच्चों की माही दीदी’ के नाम से पहचानी जाती हैं।
बच्चों का ओवरऑल सुधार करती है माही
अनुनय एजुकेशन एवं वेलफेयर सोसाइटी बस्तियों में जाकर लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाती हैं और उन्हें उसके लिए प्रेरित करती हैं। वह बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाती है, और जो बच्चे पहले से ही स्कूल जा रहे हैं लेकिन पढ़ाई में कमजोर हैं, उनके लिए ट्यूशन की व्यवस्था भी करती है। बच्चों को स्पोकन इंग्लिश की ट्रेनिंग भी दी जाती है। बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें डांस, सिंगिंग और पेंटिंग भी सिखाया जाता है। माही ने पत्रकारिता की है। जब अनसे पूछा गया कि उन्होंने ये काम क्यों चुना? माही कहती हैं, बचपन में जब मैं स्कूल जाती थी, तो गरीब बच्चों को देखकर अपनी मां से पूछती थी कि ये बच्चे मेरी तरह स्कूल क्यों नहीं जाते? धीरे-धीरे जब बड़ी हुई तो इसकी वजह समझ आई और तभी मैंने ठान लिया था कि मुझे ऐसे बच्चों के लिए कुछ करना है।
माही को मिले कई सम्मान
माही को सामाजिक कार्य के लिए कई अलग-अलग मंचों पर पुरस्कृत किया जा चुका है। कुछ समय पहले ही उन्हें जयपुर में इंटरनेशनल वुमन ऑफ द फ्यूचर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें भोपाल रत्न, स्टेट यूथ अवॉर्ड और राष्ट्रीय महिला सम्मान सहित कई सम्मानों से नवाजा गया।