BHOPAL.मध्यप्रदेश की मेजबानी में चल रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 5.0 में बड़ी एथलीट बन कर उभरीं बुशरा खान की कहानी संघर्ष और गरीबी से जुड़ी हुई है। इस सबके बीच उसका कोच बड़ा संबल बने हैं। पिता की असमय मौत का गम लिए मध्यप्रदेश की इस एथलीट ने तात्या टोपे स्टेडियम में पहले सिल्वर मेडल जीता और फिर गोल्ड मेडल। इस सफलता की द सूत्र ने पड़ताल की—
बुशरा के पिता की ब्लास्ट में हुई मौत
पिछले साल मई में बुशरा खान के पिता गफ्फार खान की मौत के बाद घर की सारी व्यवस्थाएं बिखर गई थीं। बुशरा का भी प्रेक्टिस में ठीक से मन नहीं लग रहा था। जिसको कोच एसके प्रसाद ने महसूस किया और बुशरा के घर के लिए राशन आदि की व्यवस्था की। बुशरा के परिवार में उसकी मां और छोटी दो बहनें है। जिसकी जिम्मेदारी का भार भी बुशरा को ही उठाना पड़ता हैै। हालांकि इस दौरान कई लोगों ने परदे के पीछे से बुशरा खान के परिवार की मदद की। करीब पिछले आठ माह से लगातार कोच प्रसाद, बुशरा खान के घर सीहोर में राशन आदि पहुंचा रहे हैं। जिससे की उसके परफॉरमेंस पर असर न पड़े। खुद बुशरा का कहना है कि प्रसाद सर, परफॉरमेंस को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। वे मुझ से केवल खेल पर ध्यान लगाने के लिए प्रमोट करते रहते हैं।
अकादमी में सिलेक्शन के लिए मनाना पड़ा
खेल विभाग की एथलेटिक्स अकादमी के लिए 2016 में हुए टैलेंट सर्च में चयन के बाद बुशरा खान और उसके स्कूली कोच को जैसे-तैसे मनाया गया। दोनों ही बुशरा को अकादमी में जॉइनिंग के लिए तैयार नहीं थे। इसके लिए कई बार की काउंसिल की गई। हालांकि बुशरा के स्कूली कोच दुयंत कुमार का कहना है कि उसका परिवार, बुशरा को अकादमी में भेजने को तैयार नहीं था।
अकादमी जॉइनिंग की वजह यह भी रही
टैलेंट सर्च के करीब तीन माह बाद नागपुर में जूनियर नेशनल एथलीट मीट हुई। जिसकी 600 मीटर दौड़ में भोपाल (एमपी) की एकता डे फर्स्ट रही और बुशरा खान पिछड़ गई थी। तब तक एकता,अकादमी जॉइन कर चुकी थी। हालांकि टैलेंट सर्च की ट्रायल में बुशरा ने एकता को हारा दिया था। एकता को अकादमी की कोचिंग आदि का फायदा मिला। जिसके बाद बुशरा को गलती का अहसास हुआ और फिर 2017 में बुशरा ने अकादमी जॉइन की।
अंडर-16 की नेशनल रिकार्ड होल्डर है बुशरा
बुशरा खान के नाम 2019 में हुई नेशनल जूनियर एथलीट मीट (अंडर—16) में 2000 मीटर (6:24.71) में रिकार्ड बनाया था। जो अभी तक उसके नाम ही है। इसके बाद गुवाहाटी जूनियर नेशनल एथलीट मीट में अंडर-18 में 1500 मीटर में गोल्ड जीता था और अब बुशरा एथलेटिक्स के ट्रैक पर लगातार मेडल जीत रहीं हैं।
... और बहनों ने छोड़ दिया ग्राउंड
बुशरा की मां शहनाज ने बताया जब इनके अब्बू थे, तो वे तीनों को ग्राउंड ले जाते थे। बुशरा के अकादमी में आने के बाद भी यह क्रम चलता रहा, लेकिन उनके इंंतकाल के बाद दोनों छोटी बहनों ने ग्राउंड जाना छोड़ दिया। दोनों छोटी बहनें भी चाहती हैं, बुशरा की तरह दौड़ें और पदक जीतें।
बुशरा का सपना ओलंपिक में मेडल जीतना
बुशरा खान ने बताया कि उसका सपना देश के लिए खेलने के साथ,ओलंपिक में मेडल जीतना है। कोच एसके प्रसाद की निगरानी में मेरे परफॉरेमेंस में काफी सुधार हुआ है,वहीं कोच प्रसाद बताते हैं कि बुशरा में टैलेंट कूट—कूट कर भरा है। बस, उसे सिर्फ प्रोत्साहन की जरूरत है। अकादमी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से उसके टैलेंट में लगातार सुधार हो रहा है। मुझे उससे बहुत उम्मीदें हैं।