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5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
आयकर विभाग ने ई-फाइलिंग पोर्टल पर नया फीचर लॉन्च किया।
अब टैक्सपेयर्स TP ऑर्डर में गलती सुधार सीधे ऑनलाइन कर सकेंगे।
DRP और रिवीजन ऑर्डर के लिए भी ये सुविधा उपलब्ध है।
पुरानी प्रक्रिया में ऑफिस चक्कर लगते थे, अब सब डिजिटल।
इससे समय बचेगा और प्रक्रिया तेज हो जाएगी।
साल के आखिरी दिनों में आयकर विभाग ने एक सरप्राइज दिया है। अब ई-फाइलिंग पोर्टल (Income Tax e-filing) पर टैक्सपेयर्स के सुविधा के लिए rectification (सुधार) का नया ऑप्शन आ गया है। यह खासतौर पर TP (Transfer Pricing), DRP (Dispute Resolution Panel), और रिवीजन ऑर्डर के लिए काम करता है। पहले इस काम के लिए कागजों में भटकना पड़ता था। अब इसे घर बैठे सिर्फ एक क्लिक से किया जा सकेगा।
कल्पना कीजिए, अगर आपके टैक्स ऑर्डर में कोई छोटी सी गलती हो जाए। पहले आपको Assessing Officer (आकलन अधिकारी) के पास जाना पड़ता था। फिर लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता था। अब, आवेदन सीधे सही अधिकारी तक पहुंच जाएगा।
कौन से ऑर्डर को मिलेगी ये सुविधा
ट्रांसफर प्राइसिंग (TP) ऑर्डर पहले होते थे। डिस्प्यूट रेजोल्यूशन पैनल (DRP) के आदेश भी इसमें आते हैं। रिवीजन ऑर्डर भी शामिल होते हैं। इनमें छोटी गलतियां, जैसे कैलकुलेशन की गलतियां, अब सुधारी जा सकेंगी। बड़ी गलतियां नहीं, सिर्फ स्पष्ट त्रुटियां ही सुधारेंगे। चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना का कहना है कि यह फीचर करदाताओं के लिए गेम चेंजर साबित होगा। अब बार-बार दफ्तर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो जाएगी। इससे टैक्सपेयर्स को काफी आसानी होगी।
कैसे करें आसानी से सुधार आवेदन
सबसे पहले ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें।
Services टैब ढूंढें और क्लिक करें।
Rectification विकल्प पर जाएं।
Request to AO seeking rectification चुनें।
आवेदन भरें और सबमिट कर दें।
चार ही स्टेप्स में काम हो जाता है।
कोई कागज नहीं, सब ऑनलाइन।
ट्रैकिंग भी आसानी से कर सकेंगे।
15 अंकों का रेफरेंस नंबर मिलेगा।
स्टेटस चेक करते रहें।
टैक्सपेयर्स को क्या फायदे होंगे
समय की बचत सबसे बड़ा फायदा है। अब ऑफिस के चक्कर खत्म, घर से काम किया जा सकता है। ट्रैकिंग अब आसान हो गई है और फॉलोअप भी कम हो गए हैं। प्रक्रिया अब तेज और साफ-सुथरी हो गई है। डिजिटल तरीके से भरोसा भी बढ़ेगा। पहले पुराने सिस्टम में देरी होती थी। मैन्युअल सबमिशन से काफी परेशानी होती थी। अब एंड-टू-एंड डिजिटल फाइलिंग का सिस्टम है। इससे प्रशासनिक देरी कम होगी। अब करदाता और विभाग दोनों ही खुश रहेंगे।
क्यों आया ये अपडेट सही समय पर
2025 खत्म हो रहा है और 2026 का साल शुरू हो रहा है। इसके साथ ही टैक्स सीजन भी आने वाला है। इसके लिए विभाग ने पहले ही तैयारी कर ली है। अब यह पूरी तरह से डिजिटल इंडिया का हिस्सा बन चुका है। करदाताओं की सभी शिकायतों को ध्यान से सुना गया है। टैक्स एक्सपर्ट सुरेश सुराना जैसे लोग इसे सराह रहे हैं।
उनका कहना है कि यह जटिल मामलों को अब आसान बना देगा। खासकर ट्रांसफर प्राइसिंग जैसे मुश्किल केस अब सुलझाना आसान होगा। इससे करदाताओं की चिंता कम होगी और उनका विश्वास बढ़ेगा। नया साल टैक्स से जुड़े मामलों में और भी आसानी लाएगा।
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