प्रयागराज कुंभ में मंगलवार रात मौनी अमावस्या के दिन संगम पर हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना के कुछ घंटे बाद झुंसी के सेक्टर 21 में एक और भगदड़ मची थी। ऐसे में ये घटना प्रशासन के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है। बताया जा रहा है कि यहां की स्थिति भी बहुत भयावह थी, लेकिन प्रशासन ने इस भगदड़ के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी और न ही हताहतों की संख्या को लेकर कोई बयान जारी किया।
खबरों के मुताबिक, सेक्टर 21 के महावीर मार्ग पर अचानक पीपा पुल को बंद कर दिया गया था, जिससे भारी भीड़ एक संकरे क्षेत्र में फंस गई थी। दबाव बढ़ने के कारण श्रद्धालु सोते हुए लोगों पर चढ़ने लगे, जिससे भगदड़ मच गई। वहीं, कुछ लोगों ने उल्टा किला चौराहे पर स्थित हल्दीराम भुजिया की दुकान में तोड़फोड़ की और लूटपाट की। दुकान के कर्मचारियों ने बताया कि लोग बदहवास होकर पानी मांग रहे थे और कुछ लोगों की जान भी दुकान में ही चली गई।
भगदड़ की शुरुआत
मौनी अमावस्या के दिन संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी। श्रद्धालुओं का ध्यान केवल संगम नोज तक पहुंचने की होड़ में था, जहां पहले से भारी भीड़ जमा थी। अचानक से रास्ते में अफरा-तफरी मच गई और लोग एक-दूसरे पर चढ़ने लगे। यही कारण था कि भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई और इसने कई लोगों की जान ले ली।
मौके पर मौजूद चश्मदीद
घटना के चश्मदीदों का कहना है कि, महावीर मार्ग पर रात के तीन बजे के करीब लाखों श्रद्धालु एक साथ पहुंचे थे। यहां के चौराहे पर एक ढाल था और तीन अलग-अलग रास्तों से लोग आ रहे थे। यह स्थिति घातक हो गई क्योंकि भारी संख्या में श्रद्धालु एक-दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
पुलिस की कोशिशें और अफरा-तफरी
खबरों के मुताबिक, भगदड़ के दौरान मौके पर केवल कुछ ही पुलिसकर्मी मौजूद थे। पुलिस ने जल्दी ही हालात को संभालने की कोशिश की, लेकिन भारी भीड़ के कारण ये प्रयास अधूरी रह गई। भीड़ के दबाव के चलते कई लोग गिर गए और घायल हो गए। इसके बावजूद प्रशासन ने स्थिति को काबू में करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया और बाद में सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाए गए।
दुकानदारों का योगदान
भगदड़ की स्थिति में स्थानीय दुकानदारों और होटल कर्मचारियों ने श्रद्धालुओं की मदद की। खबरों के मुताबिक, एक हल्दीराम स्टोर में घुसकर लोग अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे। स्टोर के कर्मचारी, जो उस समय वहां काम कर रहे थे, उन्होंने फौरन पानी देना शुरू किया और गर्मी से बेहाल लोगों को राहत दी। यही नहीं, उन्होंने गत्तों से पीड़ितों को हवा भी दी। इस घटना के बाद स्थान पर बहुत से कपड़े, जूते-चप्पल और अन्य सामान बिखरे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भगदड़ में लगभग 250-300 लोग घायल हुए हैं।
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