20 साल की सरकार, 20 दिन चली विकास यात्रा... जिंदा तो छोड़िए इस गांव में मुर्दों को भी नहीं सुकून!

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'कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए, कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए...' मशहूर साहित्यकार दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों के हालातों के लिए बेहद मौजूं हैं... एक तरफ तो सरकार ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रही है... तो दूसरी ओर गांवों के मौजूदा हालात सरकार के आसमानी दावों और वादों को मुंह चिढ़ा रहे हैं...