Loksabha Elcetion : MP की 6 सीटों पर 2019 के मुकाबले वोटिंग परसेंटेज कम, किसे फायदा-किसे नुकसान ?

मध्य प्रदेश में वोटिंग घटने से छिंदवाड़ा को लेकर सस्पेंस बरकरार है। वजह ये है कि यहां 2019 के मुकाबले लगभग 2.8 फीसदी वोटिंग कम हुई है। 2019 में यहां 82.39% वोटिंग हुई थी।

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Pratibha ranaa
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BHOPAL. मध्य प्रदेश की छह सीटों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा पर 67 प्रतिशत मतदान हुआ। इन आंकड़ों को देखें तो पिछले लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha elections ) से इस बार करीब 8 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। 2019 के चुनावों में इन छह सीटों पर औसतन 75 फीसदी मतदान हुआ था। 

सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा में वोटिंग

पहले चरण में प्रदेश की जिन छह सीटों पर मतदान ( MP Lok Sabha Phase-1 Election ) हुआ है। उसमें सबसे ज्यादा मतदान छिंदवाड़ा में हुआ है। यहां करीब 79.59 प्रतिशत लोगों ने वोटिंग की। बता दें, पिछले लोकसभा चुनाव में यहां 82.39% वोटिंग हुई थी। यानी इस साल, 2019 के मुकाबले लगभग 2.8 फीसदी वोटिंग कम हुई है ( Madhya Pradesh Lok Sabha Election 2024 Voting )।

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सबसे कम वोटिंग सीधी में 

सबसे कम वोटिंग सीधी लोकसभा सीट पर हुई है। यहां करीब 54 फीसदी मतदान हुआ है। 2019 में यहां 69.50 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जो 2019 से 14 फीसदी कम है।

छह सीटों पर 2019 और 2024 के मतदान

  



सीट               
    2024      2019     कम
सीधी      56.50             69.50          -13
शहडोल            64.68  74.33      -9.65
जबलपुर                      61.0    69.43  - 8.43
मंडला                    72.84    77.76    -4.92
बालाघाट                    73.50   77.61  -4.11
छिंदवाड़ा             79.83    82.39         -2.56
औसत मतदान              67.76     75.23       -7.47

 

घटा मतदान, किसे फायदा-किसे नुकसान ? 

वोटिंग प्रतिशत घटने को कांग्रेस अपने लिए फायदेमंद मान रही है। हालांकि भाजपा का मानना है कि इस बार वह प्रदेश में 29 में से 29 सीटों पर जीत हासिल करेगी। छिंदवाड़ा सीट पर सस्पेंस बरकरार है। यहां 79 फीसदी वोटिंग हुई है। हालांकि ट्रेंड बता रहे है कि छिंदवाड़ा में जब-जब मतदान बढ़ा है, भाजपा के वोट बढ़े हैं। बता दें, 2014 में कांग्रेस के कमलनाथ 1 लाख 16 हजार वोटों के अंतर से जीते थे। जबकि 2019 में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने 37 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। छिंदवाड़ा की सभी 7 विधानसभा सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले यहां परिस्थितियां बदल गई हैं। 2019 के चुनाव में सबसे ज्यादा 85 फीसदी वोटिंग अमरवाड़ा में हुई थी। यहीं से नकुलनाथ को सबसे ज्यादा 18 हजार वोट की लीड मिली थी, लेकिन यहां से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह अब बीजेपी में शामिल हो गए है। 

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मंडला-बालाघाट का वोटिंग ट्रेंड

मंडला में पिछले साल 77.76 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार यहां 72.84 प्रतिशत वोटिंग हुई है। यानी लगभग 5 फीसदी कम वोटिंग है। इस लोकसभा सीट पर वोटिंग बढ़ने का फायदा BJP को हुआ है, लेकिन इस बार वोट घटे है। बात की जाएं बालाघाट लोकसभा सीट की तो, यहां 73.50 प्रतिशत वोटिंग हुई है। माना जा रहा है कि यहां भाजपा का वोट शेयर बरकरार रहेगा क्योंकि यहां कांग्रेस का वोट शेयर बसपा के साथ बंट सकता है। 

जबलपुर-शहडोल में भाजपा के लिए बड़ी चिंता नहीं

जबलपुर में आदिवासी बेल्ट सिहोरा में सबसे ज्यादा 65 फीसदी वोटिंग हुई है, जबकि मुस्लिम बाहुल्य जबलपुर पूर्व विधानसभा में सबसे कम 54 फीसदी वोटिंग हुई है। जबलपुर में बीते 3 चुनावों से वोट फीसदी लगातार बढ़ रहा था, लेकिन इस बार यहां चुनाव आयोग के अपडेट के मुताबिक 9 फीसदी कम वोटिंग दिख रही है। इससे BJP का वोट शेयर कुछ कम होगा, लेकिन BJP के लिए यहां ज्यादा मुश्किल नहीं है। यहां कांग्रेस बहुत मजबूत नजर नहीं आई थी। जबकि शहडोल में ट्रेंड बता रहे है कि यहां जब-जब वोटिंग बढ़ी है, इसका सीधा फायदा BJP को होता रहा है। हालांकि यहां बीजेपी के लिए ज्यादा टेंशन की बात नहीं है। वहीं 6 लोकसभा सीटों में सबसे कम वोटिंग सीधी संसदीय सीट पर दिख रही है। यहां 54.36 फीसदी वोट पड़े हैं। यहां वोट प्रतिशत घटने से भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है। 

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