संजय गुप्ता, INDORE
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3.0 कार्यकाल में साथी तय हो गए हैं। इसमें धार से दूसरी बार की सांसद सावित्री ठाकुर भी है ( cabinet minister savitri thakur )। उन्हें ही क्यों लिया गया? इसका सीधा जवाब है बीजेपी अभी से मिशन 2028 पर नजर रखे हुए हैं।
धार और इसकी सीमा से लगने वाले आदिवासी जिले बड़वानी, खरगोन, अलीराजपुर और झाबुआ की विधानसभा सीटों पर अभी भी कांग्रेस का ही बहुमत है। कैसे भी करके बीजेपी इन आदिवासी बेल्ट में पैठ बनाना चाहती है। सब कुछ करने के बाद भी यही उनकी कमजोर नब्ज बनी हुई है। कुल मिलाकर इस क्षेत्र से आदिवासी नेता और वह भी महिला को आगे लाकर कांग्रेस का किला ढहाने का मिशन है।
मिशन 2028 क्यों? आदिवासी जिलों में यह है बीजेपी के हाल-
धार की बार्डर आदिवासी जिले झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, रतलाम के साथ ही इंदौर और उज्जैन से लगी है। धार में 5 आदिवासी विधानसभा सीटें, झाबुआ में 3, बड़वानी में 4, अलीराजपुर में 2, खरगोन में 2 और रतलाम में 2 विधानसभा सीटें हैं। इस तरह इन 6 जिलों में 18 विधानसभा सीट है, इसमें से अभी 2023 विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस के पास 12 सीटें, बीजेपी के पास 5 और बाप के पास 1 (सैलाना) सीट है।
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फिर अनिता नागर मंत्रिमंडल में क्यों नहीं, सावित्री ठाकुर ही क्यों?
मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में पकड़ साधने के लिए सावित्री ठाकुर को केंद्र में मंत्री बनाया गया है। ऐसे में यह सवाल उठ सकता है कि एसटी वर्ग से आने वाली अनिता नागर को मंत्रिमंडल में जगह क्यों नहीं दी गई। इसके पीछे भी वजह है।
- आदिवासी सीट रतलाम-झाबुआ से सांसद बनी अनिता नगर सिंह चौहान मप्र में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी है। ऐसे में बीजेपी एक ही परिवार से पति और पत्नी दोनों को केंद्र-राज्य में मंत्री नहीं बनाना चाहती है। इससे परिवार वाद के आरोप लगेंगे।
- इससे भी अहम बात अनिता भिलाला समाज से हैं, वहीं सावित्री ठाकुर भील समाज से। इस क्षेत्र में भिलाला से ज्यादा वोट बैंक भील समाज का है। ऐसे में नागर सिंह चौहान से भिलाला समाज को संभाला है तो अब सावित्री के जरिए भील समाज को साधा जाएगा।
- एक और बात चौहान पहली बार की सांसद है और ठाकुर 2014 में सांसद रह चुकी हैं, फिर 2019 में बीजेपी ने छतरसिंह दरबार को धार से टिकट दिया था और अब वह दूसरी बार सांसद बनी है।
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सावित्री ठाकुर कौन है ?
सावित्री ठाकुर का परिवार संघ से जुड़ा रहा है। हालांकि उनके परिवार से कोई राजनीति में नहीं है। पति तुकाराम किसान है। वह खुद के दम पर राजनीति में आई है। 45 वर्षीय ठाकुर हायर सेकेडंरी पास है। वह 2004 से 2009 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रही। फिर 2014 में धार से उमंग सिंघार को हराकर पहली बार सांसद बनी थी। 2019 में बीजेपी ने टिकट काटा और छतसिंह दरबार जीते। फिर दरबार का टिकट काटा और ठाकुर फिर 2024 में सांसद बनी। उनकी कुल संपत्ति 5.30 करोड़ रुपए है।
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इंदौर से लालवानी और मालवा निमाड से कोई पुरुष सांसद क्यों नहीं
- बीजेपी आगे परिसीमन और महिला आरक्षण को भी नजर रखे हुए हैं। ऐसे में मालवा निमाड से आठ सांसदों में से दो ही महिला सांसद थी। उन्हें सभी समीकरण से ठाकुर ही उपयुक्त लगी।
- इंदौर से सांसद शंकर लालवानी सिंधी समाज के इकलौते लोकसभा सांसद है। उनका जातिगत आधार पर दावा बनता है। लेकिन बीजेपी के पास सीट घटी है, ऐसे में उनके कोटे से ही मंत्री कम है और दूसरा इंदौर और इसके आसपास के क्षेत्र बीजेपी के गढ बन चुके हैं। ऐसे में उन्हें इस क्षेत्र में ऐसी चुनौती नहीं है कि किसी को प्रतिनिधित्व देना ही होगी।
- मंदसौर से सुधीर गुप्ता ही तीसरी बार के सांसद है, लेकिन जातिगत समीकरण से बीजेपी के क्राइटेरिया में फिट नहीं आते हैं।
- उज्जैन के अनिल फिरोजिया इसलिए दावेदारी में नहीं क्योंकि इसी जिले से मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव है। यह सीट एससी है।
- देवास से महेंद्र सोलंकी, संघ के करीबी है। ऐसे में यह भी दावेदार थे। लेकिन देवास पहले से ही बीजेपी का गढ़ है और जातिगत समीकरण से सोलंकी का दावा नहीं बनता। यह सीट एससी है।
- खरगोन से सांसद गजेंद्र पटेल, यह भी आदिवासी सीट है और खंडवा से ज्ञानेश्वर पाटिल सांसद बने हैं। खरगोन आदिवासी बेल्ट है। लेकिन बीजेपी के समीकरण में यह भी फिट नहीं थे।
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