SINGRAULI: स्वास्थ्य विभाग के जमीनी अभियान ने गांव देहात में फैली बीमारियों को उजागर करने में सफलता पाई है। विभाग के इस अभियान जो मिला उसके बाद से हाथ पांव फूले हुए है। बात दस्तक अभियान की जिसके आंकड़ों ने विभागीय अधिकारियों के माथे में पसीना ला दिया है। दस्तक अभियान के दौरान जिले में 39 हजार 5 सौ 34 की जांच की गई जिसमें हीमोग्लोबिन कम, डायरिया, कुपोषण, निमोनिया के शिकार मिले। डायरिया और एनीमिया से ग्रसित 5 सैकड़ा से अधिक बच्चे मिले। 13 दिनों में हीमोग्लोबिन टेस्ट में 569 एनीमिया और 599 डायरिया पीड़ित बच्चे पाए गए हैं। दस्तक अभियान 15 जुलाई से चल रहा है।
11 में मिली जन्मजात विकृति
जहां एक ओर 87 बच्चे कुपोषण से ग्रस्त मिले हैं। वहीं 11 जन्मजात विकृतियों व तीन निमोनिया से पीड़ित पाए गए हैं। कुपोषण से मुक्ति के मामले में जिले को कुपोषण मुक्त करने में जिला प्रशासन के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम कर रहे है। इसके बाद भी इतनी ज्यादा संख्या में कुपोषित बच्चों का मिलना बताता है कि जमीनी स्तर पर गंभीरता से काम नहीं हो रहा है। डायरिया पीड़ित बच्चों का मिलना भी यह कहता है कि गांवों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता नहीं है। उचित खानपान के प्रति लोग जागरूक नहीं है।
डेढ़ लाख का लक्ष्य, 46 हजार की जांच
जिले में दस्तक अभियान 31 अगस्त तक चलेगा। इसके लिए डेढ़ लाख का लक्ष्य रखा गया है जिसमें अब तक 46 हज़ार बच्चों की जांच की गई है। इसमें एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की टीम हर घर तक दस्तक देकर शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की जांच में जुटी हैं। सामान्य बीमारियों से ग्रस्त बच्चों का मौके पर ही उपचार किया जा रहा तो गंभीर रोगों से पीड़ित बच्चे एनआरसी, एसएनसीयू और उच्च स्वास्थ्य संस्थाओं में भेजे जा रहे हैं।
सामान्य बीमारियों का तत्काल इलाज
अब तक कुल 1544 सेशन आयोजित कर 46 हजार से ज्यादा बच्चों की हेल्थ स्क्रीनिंग हो चुकी है। बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान, त्वरित प्रबंधन और बाल मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से आगामी 31 अगस्त तक चलने वाले दस्तक अभियान में लगभग डेढ़ लाख बच्चों की स्वास्थ्य जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस क्रम में बच्चों को विटामिन ए का अनुपूरण देने के साथ जिंक व ओआरएस के पैकेट भी वितरित किए जा रहे हैं।