शिवराज कैबिनेट की अहम बैठक: कैंसर मरीजों के लिए बड़ा ऐलान, 12 जनवरी को रोजगार मेला

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शिवराज कैबिनेट की अहम बैठक: कैंसर मरीजों के लिए बड़ा ऐलान, 12 जनवरी को रोजगार मेला

भोपाल. शिवराज कैबिनेट की 4 जनवरी को एक अहम बैठक हुई। इसमें कैबिनेट ने कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत दी है। दरअसल, मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर और रीवा के मेडिकल कॉलेज में लीनियर एक्सीलरेटर से कैंसर मरीजों का इलाज शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसे पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। इससे कैंसर के मरीजों के इलाज में बेहद कम खर्च आएगा। अभी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में कैंसर के मरीजों का इलाज कोबाल्ट मशीन से किया जाता है।



12 जनवरी को रोजगार मेला: स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर सरकार युवाओं के लिए बड़ा कार्यक्रम करने वाली है। इस दिन मुख्यमंत्री शिवराज (cm shivraj) और सभी जिलों के मंत्री अपने जिलों में रोजगार मेला (mp rojgaar mela) लगाएंगे। इसमें युवाओं को लोन स्वीकृति के सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे। साथ ही इस दिन 3 लाख युवाओं को एक साथ रोजगार देने की दिशा में सरकार (Cabinet decision) काम कर रही है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए।




— Jansampark MP (@JansamparkMP) January 4, 2022




कैबिनेट ने इन फैसलों की भी मंजूरी दी



1. आनंद और आध्यात्मिक विभाग को धार्मिक विभाग और धर्मस्व न्यास में परिवर्तित किया गया है। 

2. टीचिंग लर्निंग ऐप लॉन्च करने के प्रस्ताव को अनुमति।

3. बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। इसलिए बिजली की सप्लाई बरकरार रखने के लिए चचाई में 660 मेगावॉट  का नया प्लांट लगाने के फैसले को अनुमति दी है। 

4. विधि विभाग को एक-एक साल की संविधा नियुक्ति बढाने की अनुमति दी है। 

5. मुख्यमंत्री कृषक सहायता योजना लागू की है। इसमें राशि का प्रावधान किया है। 

6. बालाघाट में वाणिज्य कर विभाग की जमीन थी। इसे ई-नीलामी के जरिए मेसर्स अभिनव कंस्ट्रक्शन को 7 करोड़ 21 लाख में देने का तय किया है। 



कैंसर मरीजों के लिए बड़ा फैसला: लीनियर एक्सीलेटर से मरीजों को रेडिएशन से होने वाले साइड-इफेक्ट कम झेलने होंगे। यह मशीन कैंसरग्रस्त सेल्स को टारगेट करेगी। इससे सामान्य सेल पर रेडिएशन का बुरा असर नहीं पड़ेगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रदेश में अभी 13 लीनियर एक्सीलेटर उपकरण उपलब्ध हैं। इनमें से मात्र एक एम्स में चालू है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल या राज्य के बाहर जाना पड़ता है।



कोबाल्ट मशीन से कैंसर ट्यूमर के क्षेत्र से एक-दो सेंटीमीटर अधिक क्षेत्र में रेडिएशन दिया जाता है, जिसके कारण स्वस्थ कोशिकाएं भी प्रभावित होती हैं। इससे मरीज को कमजोरी, खून की कमी, सूजन जैसी समस्या होती है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मेडिकल स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग के लिए अभी प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजा जाता है। इन मशीनों को खरीदने में 105 करोड़ और संचालन में 146 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसका खर्च मेडिकल कॉलेज वहन करेगा। संस्था हर महीने मरीजों की संख्या के आधार पर बिल बनाकर मेडिकल कॉलेज को भेजेगी।



कैसे होता है इलाज : लीनियर एक्सीलरेटर से सीधे कैंसर ट्यूमर वाले हिस्से पर रेडिएशन डाला जाता है, जो दूसरे सेल को खत्म करने के बजाय केवल कैंसर सेल को खत्म करता है। इसमें दूसरी मशीनों के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन निकलता है।  


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