ग्वालियर में ठंड ने बढ़ाई पशु-पक्षियों की मुसीबत: अजगर को हीटर, बाघ को ज्यादा मांस खिलाकर दे रहे गर्मी

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The Sootr
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ग्वालियर में ठंड ने बढ़ाई पशु-पक्षियों की मुसीबत: अजगर को हीटर, बाघ को ज्यादा मांस खिलाकर दे रहे गर्मी

देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर-चंबल संभाग समय में शीतलहर के कारण तापमान काफी कम है, बीते पांच दिनों से चल रही शीत लहर के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है। ऐसे में आम लोगों का घर ने निकलना मुश्किल है। हालात यह है कि न केवल आम लोग बल्कि जानवरों और पक्षियों का भी हाल बुरा होने लगा है। इस शीत लहर से पशु पक्षी भी परेशान हैं, ग्वालियर चिड़ियाघर में इस सर्दी से बचाव के लिए वहां रहने वाले पशु-पक्षियों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। इसके साथ ही खान-पान में भी बदलाव किया गया है। यहां अजगर को हीटर से गर्मी दी जा रही है, वहीं शेर आदि मांसाहारी जानवरों को मांस की मात्रा बढ़ाकर हीटेड किया जा रहा है।



हर पिंजरे को पर्दे से ढंका



ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान में रहने वाले जानवरों के लिए चिड़ियाघर प्रबंधन ने उनके पिंजरों को पर्दों से ढंककर रखा है, ताकि शीतलहर सीधे उन तक न पहुंचे।  इसके साथ ही पिंजरों में हीटर और अधिक गर्मी देने वाले बल्ब भी लगाए गए हैं। इसके साथ ही जो जानवर खुले में रहते हैं जैसे हिरन आदि उनके बेड़े में शाम से अलाव जलाने की व्यवस्था भी की गई है, इनके नाइट हाउस में जमीन पर सूखी घास डाली गई है, ताकि सतह गर्म रहे। 



जानवरों के खाने में किया बदलाव



वही बात अगर खानपान की करें तो सभी जानवरों को इस मौसम में मेथी, हरा लहसुन, गुड़ और बरसीम खाने के लिए दिया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें भोजन में मौसमी सब्जियां और फ्रूट्स भी खिलाए जा रहे हैं। जंगल का राजा कहे जाने वाले शेर के पिंजरे में टेंपरेचर मेंटेन करने के लिए 5 से 10 हीटर लगाए गए हैं। साथ ही उन्हें अब सातों दिन भोजन दिया जा रहा है, जबकि गर्मियों में शुक्रवार को इनको भोजन नही दिया जाता है। 



शेर और तेंदुए को डेढ़ गुना मांस



डॉ उपेंद्र यादव का कहना है कि बाघ और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवरों के लिए हीटर तो लगाए ही गए हैं, साथ ही अब उनकी खुराक में भी बढ़ोतरी की गई है। मांसाहारी जानवरों अब डेढ़ गुना मांस खाने को दिया जा रहा है, क्योंकि एक तो मांस गर्मी देता है, दूसरा ठंड से बचने के लिए इन्हें ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है लिहाजा बाघ को पन्द्रह की जगह बीस किलो और तेंदुए को पांच की जगह दस किलो मांस खाने के लिए दिया जा रहा है।



हर जानवर को अलग टेम्परेचर में रहने की आदत



ग्वालियर चिड़ियाघर के डॉक्टर उपेंद्र यादव का कहना है कि चिड़ियाघर में अलग-अलग प्रजाति के पशु-पक्षी और जानवर हैं, जिनको अलग-अलग टेंपरेचर पर रहने की आदत है इसलिए उनके हिसाब से उनके पिजरों और उनके बाड़ों में इंतजाम किए गए हैं।  


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