संजय गुप्ता, INDORE. हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2020-21 की अंतिम चयन सूची जारी करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कर्मचारी चयन मंडल को 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ नई सूची जारी करने के निर्देश दिए हैं। यानि अब इस परीक्षा में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिलेगा। कोर्ट ने गृह मंत्रालय और राज्य सरकार से भी इस मामले में चार सप्ताह में जवाब मांगा है। इस एक परीक्षा पर आए हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा अलग-अलग की जा रही विविध परीक्षाओं के जरिए करीब 30 हजार भर्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। कारण है कि सभी भर्ती परीक्षाओं के लिए मंडल ने आरक्षण के लिए यही नोटिफिकेसन किया हुआ है।
नोटिफिकेशन मंडल ने यह किया है
मंडल द्वारा विविध परीक्षाओं के लिए मप्र लोक सेवा (अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी) एक्ट 1994 के तहत 24 दिसंबर 2019 के अनुसार यह आरक्षण दिया गया है-
- अनुसूचित जनजाति एसटी- 20 फीसदी
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हजारों भर्ती की यह परीक्षाएं नोटिफाइड है
- पटवारी परीक्षा होना है, जिसमें अन्य ग्रुप की भी मिलाकर सात हजार से ज्यादा पद है।
इसलिए हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
क्योंकि अलग-अलग मामलों में हाईकोर्ट द्वारा कहा जा चुका है कि 14 फीसदी ही ओबीसी आरक्षण दिया जा सकता है। ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। इसे लेकर कई याचिकाएं पहले से ही दायर है।
क्या होगा असर
इस फैसले से 13 फीसदी ओबीसी कोटे में गए सीटें सीधे अनारक्षित कैटेगरी में चली जाएंगी, जिसके बाद पूरी चयन सूची ही बदल जाएगी और कटऑफ लिस्ट भी चेंज हो जाएगी। ऐसे में कई उम्मीदवार अंदर-बाहर होंगे।
कांस्टेबल के छह हजार पदों पर होना है भर्ती
कर्मचारी चयन मंडल द्वारा कांस्टेबल के छह हजार पदों पर भर्ती की जा रही है। इसी प्रक्रिया के लिए दावेदार राहुल शर्मा ने यह याचिका लगाई थी, जिस पर हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ ने यह निर्देश दिए हैं। उन्होंने लोकसेवा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2019 को चुनौती दी ह।
इसलिए लगाई याचिका क्योंकि केवल 0.98 अंक से पिछड़ गए
उम्मीदवार राहुल ने जून 2021 में यह परीक्षा दी थी। क्लीयर करने के बाद साल 2022 में फिजिकल टेस्ट भी पास किया, लेकिन जब पीईबी ने कटऑफ सूची जारी की, जो इसमें राहुल 0.98 अंक से रह गए।
ओबीसी आरक्षण को लेकर 63 याचिकाएं लंबित हैं
ओबीसी आरक्षण को लेकर मप्र हाईकोर्ट की मुख्य बेंच के पास 63 याचिकाएं लंबित हैं। जिन पर विचार चल रहा है। इसमें ओबीसी आरक्षण 14 से 27 फीसदी किया जाना चाहिए या नहीं इसे लेकर सवाल उठाए गए हैं।
पीएससी जैसा 87 फीसदी फार्मूला अपनाकर निकाल सकते हैं रास्ता
पीएससी की भर्ती को जारी रखने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग मप्र ने सितंबर में 87-13 फीसदी का फार्मूला दिया था, जिसमें अंतिम चयन प्रक्रिया 87 फीसदी पदों पर ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी देते हुए किया जाएगा। बाकी 13 फीसदी पदों के लिए इतने ही अनारक्षित वर्ग के और इतने ही ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार चुने जाएंगे और इनके नाम बंद लिफाफे में रखे जाएंगे। जब हाईकोर्ट का ओबीसी आरक्षण को लेकर फैसला आएगा तो जिस कैटेगरी के पक्ष में फैसला आएगा, उनके लिए यह लिफाफा खोलकर अंतिम चयन कर लिया जाएगा। यदि ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी कर दिया गया तो यह 13 फीसदी पद उनके खाते में जाकर उनकी कैटेगरी के उम्मीदवार अंतिम चयनित होंगे नहीं तो फिर अनारक्षित कैटेगरी के चुने जाएंगे। माना जा रहा है कि इसी तरह का फैसला कर्मचारी चयन मंडल की परीक्षा के लिए हो सकता है।