Bhopal. 11 साल में यह दूसरी बार मौका है जब व्यापारियों ने सरकार से ज्यादा गेहूं की खरीदी की है। सरकार ने अब तक केवल 42 लाख टन गेहूं एमएसपी पर खरीदा है। जबकि व्यापारियों ने 100 लाख टन गेहूं खरीदा। किसानों को सरकार से ज्यादा व्यापारियों से गेहूं के रेट मिलने से सरकारी खरीदी घटी है। माना जा रहा है कि, सरकार ने पिछले साल की अपेक्षा इस बार 65 फीसदी कम गेहूं खरीदा है। अगर व्यापारियों की बात करें तो, व्यापारियों ने इस बार पिछले साल की अपेक्षा सौ फीसदी गेहूं की ज्यादा खरीदी है। पिछले साल व्यापारियों ने लगभग 50 लाख टन गेहूं की खरीददारी की थी। किसानों को सरकार से समर्थन मूल्य 2015 मिल रहा है। जबकि व्यापारी 2300 रुपए प्रति क्विटंल का भुगतान कर रहें हैं। ऐसे में किसानों का व्यापारियों की तरफ रुझान ज्यादा है।
सरकार को 18 हजार करोड़ की हुई बचत
गौरतलब है कि, पिछले साल की अपेक्षा व्यापारियों से जबल खरीददारी की है। हालांकि गेहूं की खरीदी कम होने के बावजूद सरकार को करीब 18 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। यह राशि निजी गोदामों के किराए पर खर्च होती है। इस बार कई सरकारी गोदाम खाली पड़े हैं। ऐसा 11 साल में दूसरी बार हुआ है, जब सरकारी गेहूं की खरीद का बिल सबसे कम आया है।
180 लाख टन उत्पादन का था अनुमान
आपको बता दें कि, प्रदेश में इस साल गेहूं का रकबा 190 लाख हेक्टेयर का था। ऐसे में 180 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गेहूं का निर्यात बढ़ने और किसानों को सरकार से ज्यादा पैसा सीधे व्यापारियों से मिलने के चलते इस बार सरकारी खरीद 67 फीसदी तक घट गई। केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात में रोक लगाने से व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। उनका निर्यात होने वाला करीब 2 लाख टन गेहूं गोदामों या फिर बंदरगाहों पर अटक गया है।