SINGRAULI. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर (MP HIGH COURT JABALPUR) के आदेश पर सिंगरौली जिला (SINGRAULI) के लोक निर्माण विभाग (PUBLIC WORK DEPARTMENT) कार्यालय को सील कर दिया गया। वजह मजदूरी के भुगतान न करना है। मामला 6 साल पुराना है। लोक निर्माण विभाग ने मजदूरी नहीं दे रहा था। इस पर मजदूरों ने श्रम कार्यालय में शिकायत कर दी। इस के विरुद्ध लोक निर्माण विभाग हाई कोर्ट चला गया। बताया गया है कि 2016 का जिसमें दैनिक वेतन भोगी मजदूर को 1 करोड़ 47 लाख (₹ 14700000) का भुगतान करना था लेकिन लोक निर्माण कार्यालय के द्वारा इसका भुगतान नहीं किया गया। जिसके बाद मजदूरों ने इसकी शिकायत जिला श्रम कार्यालय में की जिसमें लेबर कोर्ट ने उन्हें भुगतान करने का आदेश दिया था। लेबर कोर्ट के आदेश को पीडब्ल्यूडी सिंगरौली ने हाई कोर्ट जबलपुर में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट जबलपुर ने मजदूरों के पक्ष में फैसला देते हुए 1 हफ्ते के अंदर उनका पूरा भुगतान करने का आदेश पीडब्ल्यूडी कार्यालय को दिया था । लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी पीडब्ल्यूडी ने उनका भुगतान नहीं किया इसके बाद हाई हाई कोर्ट जबलपुर ने आदेश देकर सिंगरौली के पीडब्ल्यूडी कार्यालय को सील करा दिया और पीडब्ल्यूडी की चल-अचल संपत्ति से वसूल कर मजदूरों का भुगतान करने का आदेश दिया ।
18 मजदूर, 2 का भुगतान
इस मामले में पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता वी एस मरावी का कहना है कि 18 लोगों का भुगतान बाकी था इसे कोर्ट के द्वारा भुगतान करने का आदेश दिया गया था जिसमें 2 लोगों के भुगतान की स्वीकृति हमें मिली थी जिनका हमने भुगतान कर दिया है लेकिन 16 लोगों की स्वीकृति वरिष्ठ कार्यालय से आनी बाकी है । हमारी तरफ से वरिष्ठ कार्यालय में इसकी सूचना समय-समय पर दी जा रही थी लेकिन वरिष्ठ कार्यालय के द्वारा उचित कार्यवाही नहीं की गई । जैसे ही हमें वरिष्ठ कार्यालय से स्वीकृति मिलेगी बाकी 16 लोगों का भुगतान कर दिया जाएगा । क्योंकि ये मामला वरिष्ठ लोगों के संज्ञान में है और हमने अपनी तरफ से वरिष्ठ जनों के न्यायालय के आदेश की कॉपी के साथ जो भी था अवगत करा दिया था लेकिन अभी तक वरिष्ठ कार्यालय के द्वारा 16 लोगों की भुगतान की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई जैसे स्वीकृति प्रदान की जाएगी उनका भुगतान कर दिया जाएगा।
आगामी आदेश तक सील
सिंगरौली तहसीलदार रमेश कोल ने बताया की उच्च न्यायालय के आदेश पर पीडब्ल्यूडी कार्यालय को आगामी आदेश तक सील कर दिया गया है और इनकी चल अचल संपत्ति से वसूल कर मजदूरों को भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है ।