सुनील शुक्ला। भोपाल में 2015 में करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर आयोजित किए गए विश्व हिंदी सम्मेलन में राजभाषा हिंदी के समान और विकास के लिए 13 प्रमुख घोषणाएं की गईं थीं। लेकिन 6 साल गुजर जाने के बाद भी सिर्फ 7 घोषणाओं पर ही अमल शुरु हो पाया है। बाकी 6 बड़ी अनुशंसाएं आज भी अधूरी हैं। इनमें सबसे प्रमुख घोषणा प्रदेश में राजभाषा संचालनालय बनाने की थी जो अब तक अस्तित्व में नहीं आ पाया है। इसके अलावा सरकारी कामकाज की कठिन भाषा को सरल बनाने और हाई कोर्ट के फैसलों को हिन्दी में उपलब्ध कराने के लिए अनुवादक नियुक्त करने की दिशा में भी अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जानें विश्व हिंदी सम्मेलन के संकल्प और उनकी हकीकत
भोपाल में दसवें हिंदी विश्व सम्मेलन का तीन दिवसीय भव्य आयोजन लाल परेड मैदान में किया गया था। इसके लिए ग्राउंड पर एयरकंडीशंड विशाल पंडाल बनाए गए थे। राजधानी में राजभाषा हिंदी के नाम पर हुए इस बड़े समागम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस सम्मेलन का आयोजन मुख्य रूप से विदेश मंत्रालय ने किया था। लेकिन सूत्रों के अनुसार आयोजन मध्यप्रदेश में होने के कारण प्रदेश सरकार ने भी व्यवस्थाओं पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए थे। सम्मेलन में हिंदी साहित्य जगत की कई जानी-मानी हस्तियों के साथ हिंदी जानने -समझने वाले कई विदेशी प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे।
सम्मेलन का समापन तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 सितंबर को किया था। समापन समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि हिंदी सम्मेलन की अनुशंसाओं पर केंद्र सरकार अपने स्तर पर कार्यवाही करेगी, लेकिन प्रदेश सरकार भी अपने स्तर पर जरूरी कदम उठाएगी। हिंदी के विस्तार के लिए उनके ज्यादातर संकल्पों पर अमल का जिम्मा संस्कृति संचालनालय को सौंपा गया था। प्रमुख रूप से 13 घोषणाएं की गईं थीं। आइए जानते हैं इस सम्मेलन के 6 साल गुजरने के बाद किन-किन सिफारिशों पर अमल हुआ और कितनी अभी भी अधूरी हैं।
नहीं बना राजभाषा संचालनालय, न ही मंजूर हुए पद
संकल्प 1- राजभाषा विभाग को पुनर्जीवित कर उसे संस्कृति विभाग का हिस्सा बनाया जाएगा।
हकीकतः संस्कृति संचालनालय के मुताबिक राजभाषा संचालनालय के गठन और इसके लिए नए पद बनाने का प्रस्ताव अभी प्रक्रिया में है।
संकल्प 2- सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव के मुताबिक अन्य राज्यों की भाषाओं के प्रचलित और प्रासंगिक शब्दों को शामिल कर हिंदी शब्दावली को और ज्यादा समावेशी बनाया जाएगा।
हकीकतः संस्कृति संचालनालय के मुताबिक देश के अन्य राज्यों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शब्दकोशों के निर्माण की कार्यवाही अभी जारी है।
संकल्प 3- प्रदेश में संस्कृति विभाग के अधीन राज्य हिंदी अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
हकीकत : संस्कृति विभाग के अधीन साहित्य अकादमी के निदेशक को राज्य हिंदी अधिकारी नियुक्त किया गया है।
कानून और तकनीकी भाषा के लिए नहीं हुई अनुवादकों की नियुक्ति
संकल्प 4- सरकारी कामकाज औऱ प्रशासनिक शब्दावली में उपयोग की जाने वाली हिंदी को सरल बनाएंगे। इस संबंध में जनता से सुझाव लिए जाएंगे।
हकीकतः संस्कृति विभाग द्वारा पूर्व में प्रकाशित प्रशासनिक शब्दकोश को अद्यतन कर पुनः प्रकाशित करने की कार्यवाही की जा रही है।
संकल्प 5 - प्रदेश में कानून, विज्ञान, चिकित्सा एवं तकनीकी विषयों से संबंधित शाब्दिक अनुवाद के लिए अनुवादकों की नियुक्ति की जाएगी।
हकीकतः इस पर अमल के लिए राजभाषा संचनालय एवं नए पदों के गठन का प्रस्ताव अभी प्रक्रिया में है। मंजूरी मिलने पर अनुवादकों की नियुक्ति संबंधी कार्यवाही की जा सकेगी l
प्रस्तावों में अटका हिंदी का विकास और विस्तार
संकल्प 6- सरकारी कामकाज और पत्राचार में जहां अंग्रेजी और हिंदी का प्रयोग साथ में हो, वहां हिंदी पहली भाषा और अंग्रेजी दूसरी भाषा के रूप में उपयोग की जाएगी।
हकीकत- संस्कृति संचालनालय के मुताबिक इस घोषणा का संबंध सामान्य प्रशासन विभाग से है। इसलिए यह प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाना प्रस्तावित किया गया है।
संकल्प 7- प्रदेश में केंद्र सरकार से किया किया जाने वाला पत्राचार हिंदी में किया जाएगा। यदि इसे अंग्रेजी में भेजना अनिवार्य हो तो साथ में अनुवाद संलग्न किया जाएगा लेकिन मुख्य पत्र हिंदी में ही भेजा जाएगा l
हकीकत- संस्कृति संचालनालय के मुताबिक इस घोषणा का संबंध भी सामान्य प्रशासन विभाग से है। इसलिए इस विषय पर अमल के लिए प्रस्ताव किया गया है।
संकल्प 8- विश्व हिंदी सम्मेलन की तत्काल हो सकने वाली अनुशंसाओं को प्रदेश सरकार द्वारा जस का तस लागू किया जाएगा।
हकीकत- संस्कृति संचालनालय के अनुसार इसका संबंध मुख्य रूप से केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय से है। प्रदेश स्तर पर अपेक्षित कार्यवाही के पर अमल के लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आवश्यक निर्देश 3 जून 2017 को जारी किए गए हैं।
संकल्प 9- सभी प्रशासकीय दस्तावेज और तकनीकी अनुमान अंग्रेजी के बजाय हिंदी में लिखे जाएंगे।
हकीकत- संस्कृति विभाग का कहना है कि इस घोषणा पर अमल के लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा परिपत्र 3 जून 2017 को जारी किया कर दिया गया है।
इन सिफारिशों पर अमल का दावा
संकल्प 10- सभी सरकारी विभागों और इससे संबंधित इकाइयों का नामकरण अनिवार्य रूप से हिंदी में किया जाएगा।
हकीकत- सामान्य प्रशासन विभाग ने इस घोषणा पर अमल के लिए सभी सरकारी विभागों और संबंधित इकाइयों का नामकरण अनिवार्य रूप से हिंदी में किए जाने का परिपत्र 3 जून 2017 को जारी किया है।
सकल्प 11- प्रदेश में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर सरकारी कार्यक्रम किया जाएगा।
हकीकत- संस्कृति संचालनालय के मुताबिक इस संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित कर ली गई है।
राजनीतिक सम्मेलन तो खूब हुए पर हिंदी के लिए कोरोना का रोना
संकल्प 12- प्रदेश में हर 2 साल में एक बार हिंदी के विस्तार और विकास के लिए राज्य हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
हकीकत- संस्कृति संचालनालय के मुताबिक 2017 में राज्य हिंदी सम्मेलन भोपाल में आयोजित किया गया। लेकिन चुनाव के कारण 2019 में यह आयोजन नहीं हो सका। इसके बाद यह आयोजन 2020 में किया जाना था लेकिन कोरोना आपदा के कारण नहीं हो सका। अब यह आयोजन 2021 में किया जाएगा।
संकल्प 13- दूसरे देशों की भाषाओं के शब्दों के साथ हिंदी शब्दकोश का विकास किया जाएगा।
हकीकत- संस्कृति संचालनालय का कहना है कि यह कार्य विभाग ने शुरू कर दिया है। पहले चरण में प्रदेश की लोक और जनजाति बोलियों के शब्दकोश प्रकाशित किए गए हैं। घोषणा के अन्य पक्षों के संबंध में कार्यवाही जारी है।
कामकाज की भाषा को आसान बनाना संसदीय राजभाषा समिति का जिम्मा
विश्व हिंदी सम्मेलन में की गई घोषणाओं पर अमल के बारे में राज्य हिंदी अधिकारी डॉ.विकास दवे से सवाल- जवाब।
सवाल- भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में यह तय किया गया था कि प्रदेश में सरकारी कामकाज की भाषा को सरल बनाया जाएगा। इस संबंध में जनता से सुझाव भी लिए जाएंगे। इस दिशा में अब तक क्या हुआ।
जवाब- राज्य स्तर पर पर्याप्त काम हुआ है। यह काम पूर्णतया संसदीय राजभाषा समिति के खाते में जाता है। हिंदी से जुड़े मूल प्रश्नों पर विचार करना केंद्र की राजभाषा समिति का काम होता है। उन्हें मूर्त रूप देने का राजभाषा विभाग करता है।
सवाल- हिंदी सम्मेलन के समापन पर घोषणाओं में यह भी कहा गया था कि राजभाषा विभाग को पुनर्जीवित कर उसे संस्कृति विभाग का हिस्सा बनाया जाएगा। इस बारे में क्या कार्यवाही हुई ?
जवाब- संस्कृति विभाग सामान्यता हिंदी में काम करता है। मध्यप्रदेश हिंदी भाषी राज्य है। बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और संस्कृति मंत्री तो बोलियों को लेकर भी संवेदनशील हैं। इस प्रदेश में प्रत्येक भाषा की अकादमी काम कर रही है। मुख्यमंत्री कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश में बसने वाले दूसरे भाषा वाले नागरिकों को भी सम्मान दें।
सवाल- सम्मेलन में यह भी तय किया गया था की अन्य राज्यों की भाषा के प्रासंगिक शब्दों को शामिल कर हिंदी की शब्दावली को और अधिक समृद्ध औऱ समावेशी बनाया जाएगा। बताएं इस बारे में अब तक क्या हुआ।
जवाब- जब तब ऊपर से स्वीकृति नहीं मिलती। राज्य सरकार इस विषय में केवल समन्वय बनाकर कर सकती है। हिंदी दिवस पर इन प्रपंचों में ना फंसकर राजकाज से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति जिस दिन ये तय कर लेगा कि हिंदी संविधान की किसी भाषा का विषय से नहीं बल्कि ये हमारी आत्मा से जुड़ा हुआ विषय है। उस दिन हम हिंदी का मजाक बनाना बंद कर देंगे।