क्या CM को खुश करने गर्मी में लगाए जा रहे 10 लाख पौधे, एक्सपर्ट बोले-99% सूखेंगे

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Aashish Vishwakarma
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क्या CM को खुश करने गर्मी में लगाए जा रहे 10 लाख पौधे, एक्सपर्ट बोले-99% सूखेंगे

रूचि वर्मा, भोपाल। क्या प्रदेश में अंकुर अभियान के तहत करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर गर्मी में 10 लाख पौधे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को खुश करने के लिए लगाए जा रहे हैं? यह सवाल हम नहीं बल्कि प्लांटेशन के एक्सपर्ट उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बड़े पैमाने पर इस तरह का प्लांटेशन बारिश के मौसम में ही किया जाना चाहिए। इससे पौधों को जमीन से नमी मिलती रहती है और उनके सूखने की संभावना कम होती है। जबकि गर्मी में लगाए जाने वाले 99 फीसदी पौधे सूख जाते हैं। एक्सपर्ट की राय में सरकारी खर्च पर 1 मार्च से 5 मार्च तक लगाए जा रहे पौधों में प्लांटेशन के तकनीकी मानदंडों का भी पालन नहीं किया जा रहा है।





प्रदेश में 1 मार्च से 5 मार्च तक सभी 52 जिलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प #OnePlantADay के अनुरूप बड़े पैमाने पर लाखों पौधों का रोपण किया जा रहा है। अंकुर अभियान को एक खास एप्लीकेशन वायुदूत के द्वारा संचालित किया जा रहा है। प्लांटेशन के विशेषज्ञों की नजर में हैरानी की बात यह है कि प्रदेश में हरियाली बढ़ाने की ये कवायद गर्मी के मौसम में की जा रही है। इस अभियान में जुटे सरकारी अमले को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि इस मौसम में कितने पौधे जीवित रह पाएंगे। 





अभियान में पौधे लगाने के इच्छुक लोगों को पौधरोपण के बाद उनकी सुरक्षा और पानी इत्यादि की व्यवस्था खुद करनी होगी। वहीं जानकारों का कहना है कि गर्मी के मौसम में खुले स्थान में लगाया जाने वाला एक भी पौधा बचाना संभव नहीं होगा। पौधरोपण जून-जुलाई के समय बरसात के मौसम में करना चाहिए जिससे पौधों को जमीन से नमी लेने में आसानी होती है। अभियान के संचालन से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन्मदिन 5 मार्च को होता है। इसीलिए उनके जन्मदिन के मौके पर अंकुर अभियान शुरू कराया गया है।  





क्या है अंकुर अभियान: अंकुर अभियान की शुरुआत 22 मई 2021 को इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि लोगों को अधिक से अधिक पौधरोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसमें जनभागीदारी की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिले। अभियान को एक एप्लीकेशन द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत जो लोग पौधरोपण करना चाहतें हैं वे अपना पंजीकरण वायुदूत एप्लीकेशन पर जाकर करा सकते हैं। जब कोई भी प्रतियोगी इस ऐप को डाउनलोड करने के बाद इसमें अपना मोबाइल फोन नंबर डालकर रजिस्ट्रेशन करेगा तो उसके नंबर पर एक ओटीपी आएगा। पंजीकरण के बाद लोगों को पौध लगाते समय अपनी एक तस्वीर एप्लीकेशन पर अपलोड करनी होगी। अभियान के तहत प्रत्येक जिले के चुने हुए कुछ प्रतियोगियों को विजेता के रूप में घोषित किया जाएगा। उन्हें प्राण वायु, वृक्ष वीर एवं वृक्ष वीरांगना के नाम से पुरस्कार दिए जाएंगे। साथ ही उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।





अभियान के लिए हर जिले में नोडल अधिकारी तैनात: वायुदूत एप्लीकेशन को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी भी तैनात किया गया है जो पौधरोपण स्थलों का सत्यापन स्वयं जाकर करेगा। इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजेगा। यही नहीं इस कार्य के लिए जिला स्तरीय समितियों का भी गठन किया गया है। यह समितियां 1 मार्च से 5 मार्च तक 5 दिनों तक पौधरोपण अभियान का समन्वय और मॉनिटरिंग करेंगी। 





पांच दिनों में 10 लाख 19 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य: अंकुर अभियान के लिए 10 लाख 19 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सभी शासकीय कार्यालयों के भवनों, सार्वजनिक उपक्रमों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, निगम-मंडलों के कार्यालयों के मैदान में पौधरोपण किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी, छात्रावास, पंचायत आदि के परिसरों में भी पौधरोपण किया जा रहा है। राजधानी भोपाल में नगर निगम ने शहर के 10 अलग-अलग स्थानों को पौधरोपण के लिए चुना है। भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने निगम आयुक्त केवीएस चौधरी व सीईओ जिला पंचायत ऋतु राज के साथ 1 मार्च को मनुआभान टेकरी, जलशोधन संयंत्र परिसर में 400 पौध रोपकर कर अभियान की शुरुआत की है। 





पौधरोपण की देखभाल प्रशासन सुनिश्चत कराएगा: द सूत्र ने भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया से बात की तो उन्होंने कहा कि अंकुर अभियान की खास बात यही है कि पौधरोपण के साथ-साथ लोगों को उसके देखभाल की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि शहर में जिन जगहों पर बड़े स्तर पर पौधरोपण किया जा रहा है वहां पर पौध की देखभाल और पानी की व्यवस्था प्रशासन सुनिश्चित कराएगा।  





प्लांटेशन एक्सपर्ट- गर्मी में रोपी गई 99 फीसदी पौध सूख जाती हैंः इस मामले पर द सूत्र ने फॉरेस्ट एवं प्लांटेशन के एक्सपर्ट डॉ. सुदेश वाघमारे से बात की। उन्होंने बताया कि अभियान में पौधरोपण की तकनीक का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इस अभियान को उन लोगों द्वारा चलाया जा रहा है जिन्हें तकनीक का कोई ज्ञान नहीं है। इतने बड़े स्तर पर जब भी पौधरोपण किया जाता है तो बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है।







  • साइट सिलेक्शन।



  • पौधों के बीच की स्पेसिंग।


  • पिट-डिगिंग, वेदरिंग और फिलिंग।


  • पौधों का मिट्टी के हिसाब से सिलेक्शन।






  • कायदे से पौधरोपण की प्लानिंग 3 से 6 महीने पहले होनी चाहिए थी। किसी तकनीकी अधिकारी से पौधरोपण के लिए साइट सिलेक्शन अप्रूव करवाना चाहिए था। पौध के लिए प्रजाति के हिसाब से गड्ढों का साइज निर्धारण करवाकर खुदवाना चाहिए था। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए था कि कौन सी प्रजाति का पौधा किस मिट्टी के लिए ठीक है। इस अभियान में इन बातों का बिलकुल ध्यान नहीं रखा गया है जिससे यह प्लांटेशन 99% असफल साबित होगा। 





    ज्यादा तापमान में पौध का जीवित रह पाना मुश्किल: इस तरह का पौधरोपण आमतौर पर मानसून के पहले किया जाता है जिससे आने वाले 3-4 महीनों तक उन्हें पानी की कमी ना हो। अब मार्च के महीने में पौधे रोपे जा रहे हैं तो सबसे पहले उनमें पानी की समस्या आएगी। मार्च से जून तक जब तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। ऐसे में पौधों का जीवित रह पाना मुश्किल ही है। पौधों को कौन पानी देगा और कौन उनकी रक्षा करेगा। इसके लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। सारी जिम्मेदारी पौधे लगाने वालों पर ही छोड़ दी गयी है। 





    10 लाख पौधे लगाने का खर्च 10 करोड़ 19 लाख रुपए होगा: डॉ. वाघमारे के अनुसार यदि इस अभियान पर होने वाले खर्च की बात की जाए तो इसमें शामिल कर्मचारियों की श्रमशक्ति, पौध की खरीदी में लगने वाला पैसा, उसमें लगने वाली मिट्टी, खाद, पानी, ट्रांसपोर्टेशन आदि की कीमत जोड़ें तो अनुमानतः एक पौध लगाने की कीमत औसतन 100 रुपए होती है। यानी अगर दस लाख उन्नीस हजार पौध की लागत का हिसाब लगाया जाए तो करीब 10 करोड़ 19 लाख रुपए होगी जो मेरी नजर में पैसे की आपराधिक बर्बादी है।







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