Bhopal. मध्यप्रदेश के कुछ भागों में भले ही जमकर मेघ बरसे हों लेकिन अभी भी अनेक इलाके आसमान की ओर निगाहें लगाए बैठ हैं। कारण यह है कि प्रदेश के 11 जिले अभी भी सूखे हैं। इन इलाकों में अभी इंद्रदेव की कृपा बाकी है जिससे लोगों में बैचेनी है। सूबे में 16 जून से मानसून ने दस्तक दी है। 27 जुलाई तक प्रदेश के ज्यादातर शहरों में खूब पानी गिरा। डेढ़ महीने में प्रदेश में सामान्य से 16% ज्यादा यानी 21 इंच बरसात हो चुकी है। अब तक 18 इंच बारिश होना चाहिए थी। बारिश का कोटा पूरा हो गया। फसलों की सिंचाई और पीने के लिए भी पानी का स्टॉक भी हो गया।
बुंदेलखंड, बघेलखंड से मानसून रूठा
प्रदेश में बुंदेलखंड, बघेलखंड के हिस्से से मानसून अभी भी रूठा है। राज्य के 11 जिलों को अब भी अच्छी बारिश का इंतजार है। झाबुआ, अलीराजपुर, दतिया, टीकमगढ़, निवाड़ी, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, कटनी और डिंडौरी में सबसे कम बारिश हुई है। यहां कोटे से 21% से लेकर 45% तक कम पानी गिरा है।
इसलिए नहीं हो रही अच्छी बारिश
मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के कारण इंदौर, उज्जैन, खंडवा, रतलाम, बैतूल, खंडवा, रायसेन, देवास, हरदा, भोपाल, नर्मदापुरम, विदिशा, सीहोर और गुना राजगढ़ में ज्यादा बारिश हो रही है। गुजरात, छत्तीसगढ़ और यूपी से सटे जिलों में मानसून अभी तक ज्यादा एक्टिव नहीं हो पा रहा है। इसके कारण यह हालत बने हैं।
2 अगस्त से उम्मीद
मौसम विभाग के अनुसार ग्वालियर, चंबल, बघेलखंड और बुंदेलखंड में अच्छी बारिश की संभावना है। 2 अगस्त से नया सिस्टम बन रहा है। इससे इन इलाकों में भी अच्छी बारिश हो सकती है।
इन जिलों में झमाझम
भोपाल, श्योपुरकलां, गुना, विदिशा, राजगढ़, आगर मालवा, शाजापुर, सीहोर, देवास, हरदा, खंडवा, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और नर्मदापुरम में सबसे ज्यादा बारिश हुई। यहां सामान्य से 20% से लेकर 77% तक ज्यादा बारिश हो चुकी है।
यहां इसलिए ज्यादा बरसात
वर्तमान में महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और यूपी के बॉर्डर से लगे जिलों में नमी आने के कारण बारिश हो रही है। ग्वालियर इलाके से गुजर रही ट्रफ लाइन उस तरफ बारिश करवा रही है। रबी की फसल के लिए किसानों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा। मेजर प्रोजेक्ट में भी पानी का लेवल अच्छा हो गया है। बारिश खुलने के कारण अब यह ज्यादा फायदे वाली हो गई है।