अर्पित हरदेनिया, AGAR MALWA. मध्यप्रदेश के आगर-मालवा में बाल विवाह का एक नया मामला सामने आया है। सुसनेर समिपस्थ ग्राम में एक 12 वर्षीय नाबालिग बेटी के शादी होने की जानकारी जैसे ही प्रशासन के पास पहुंची। वैसे ही जांच टीम गांव पहुंची। गांव में टीम के पहुंचने की जानकारी नाबालिग बच्ची के परिजनों को लगी, वैसे ही बच्ची की मां दुल्हन के कपड़े पहनकर मेहंदी लगाने बैठ गई। स्थानीय पुलिस प्रशासन के मुताबिक नाबालिग बेटी की जबरदस्ती शादी कराने की जानकारी उसके पिता ने ही पुलिस को दी थी। जिसमें बताया कि उसकी पत्नी व मामा मिलकर के उसकी नाबालिग बेटी का विवाह करवा रहे है।
पुलिस ने कहा- बाल विवाह है गैर-कानूनी
एसडीओपी पल्लवी शुक्ला, नायब तहसीलदार राजेश श्रीमाल, थाना प्रभारी विजय सागरिया व महिला बाल विकास की पर्यवेक्षक काजल गुनावदिया व राधा सिन्हा ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को बाल विवाह कानून की समझाइश देकर बच्ची का बाल विवाह रुकवाया गया है। उन्होंने लड़की के परिजनों को बताया है कि लड़की का विवाह 18 वर्ष और लड़के विवाह 21 वर्ष के बाद कराया जाना चाहिए। विवाह के बाद होने वाली परेशानियों से भी लड़की के परिजनों को समझाया गया है। साथ ही ऐसे नहीं करने पर गिरफ्तारी होने की भी जानकारी दी। जिसके बाद लड़की के परिजनों इस शादी और रोक लगा दी है।
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समाज की एकजुटता से ही कुप्रथा को रोकना संभव
एसडीओपी पल्लवी शुक्ला ने बताया कि समाज की एकजुटता और सहयोग से ही इस कुप्रथा को रोका जा सकता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। इससे बच्चों का शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक विकास रुक जाता है। इसके अलावा इसके कई दुष्परिणाम है। बाल विवाह रुकेंगे तो समाज की तरक्की संभव है। महिला बाल विकास पर्यवेक्षक काजल गुनावदिया ने जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा की रोकथाम को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बीच चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर व 100 डायल पर कोई भी व्यक्ति बाल विवाह से जुड़ी सूचना दे सकता है और बाल विवाह जैसा अपराध समाज में होने से रुकवा सकता है। खास बात ये रहेगी कि उस व्यक्ति का नाम गोपनीय रखा जाएगा।
यह है जुर्माने का प्रावधान
बाल विवाह कराने वाले लोगों को दो साल तक का कारावास, एक लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। इसके अलावा बाल विवाह करवाने वाले पंडित, मौलवी, हलवाई, बैंडवाला, माता-पिता आदि भी दोषी।
कहां करें शिकायत
संबंधित क्षेत्र के प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट, स्थानीय थाना, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और प्रशासनिक अधिकारी को बाल विवाह की सूचना दी जा सकती है। इसके बाद सक्षम अधिकारी को सूचना प्राप्त होते ही कार्रवाई होती है।