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पूनम राउत, BALAGHAT. पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के अंतर्गत पौधरोपण कार्य भी करवाया गया है, लेकिन जो तस्वीरें सामने आ रही है, उसको देखकर आसानी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के क्या आलम है। ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर रहे हैं, जिसके कारण महत्वाकांक्षी योजनाओं का फायदा दिखाई नहीं दे रहा है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी यदि योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रही हैं तो फिर इसका जिम्मेदार कौन है?
पौधरोपण या पार्क के नाम पर सिर्फ लीपापोती की गई
जनपद पंचायत लालबर्रा की ग्राम पंचायत खमरिया में 2018 में मनरेगा योजना में पौधरोपण व गार्डनिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनरेगा योजना में 13 लाख 50 हजार रुपए खर्च किए गए। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा यह रहा कि 4 से 5 साल में ही यह गार्डन पूरी तरह बर्बाद हो गया। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व सरपंच व अधिकारियों ने योजना को सही तरीके से क्रियान्वित ही नहीं किया। पौधरोपण या उद्यान के नाम पर सिर्फ लीपापोती कर दी गई, ना तो ठीक ढंग से वृक्ष लगाए गए और ना ही देखरेख की उचित व्यवस्था की गई।
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ग्राम पंचायत की लापरवाही पौधे और गार्डन का फायदा नहीं मिला
इस्टीमेट के आधार पर झूले, घीसर-पट्टी या अन्य आवश्यक सामग्री भी नहीं लगाई गई। यदि कुछ सामग्री लगा भी दी गई तो वह बहुत ही घटिया स्तर की थी। ग्राम पंचायत खमरिया में शुरुआती वर्ष में ही पौधरोपण का कार्य पूरी तरह फ्लॉप हो गया। स्तरहीन सामग्री का उपयोग किया गया था, वह टूट-फूट हो गई और लाखों रुपए के पौधरोपण की महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। पौधरोपण या उद्यान के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों रुपए खर्च हो गए, मगर ग्राम पंचायत की लापरवाही के चलते ना तो पौधे जीवित बचे और ना ही ग्रामीणों को गार्डनिंग का फायदा मिल पाया।
भ्रष्टाचार कर योजनाओं में बंदरबांट करने में लगे जिम्मेदार
ग्राम पंचायतों के माध्यम से केंद्र और राज्य शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन होता है। कई ग्राम पंचायतें आदर्श रूप से योजनाओं का संचालन कर रही हैं। लेकिन जिस तरह बालाघाट जिले की जनपद लालबर्रा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत खमरिया में किए गए पौधरोपण कार्य की तस्वीरें दिखाई दे रही है। उससे यह आसानी से समझा जा सकता है कि कुछ जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार पदों पर कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को न तो शासन के खजाने की चिंता है और ना ही महत्वपूर्ण योजनाओं की। जिन कंधों पर योजनाओं को सफल बनाने की जिम्मेदारी होती है, यदि वही भ्रष्टाचार कर योजनाओं में बंदरबांट करने लगे तो फिर नतीजे ऐसे ही मिलते हैं।
जल्द ही जांच करवाई जाएगीः जपं सीईओ
द सूत्र के माध्यम से जब जनपद पंचायत सीईओ गायत्री कुमार सारथी को इस मसले से अवगत कराया गया तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुए कहा कि जल्द ही जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, उनसे वसूली के भी आदेश दिए जाएंगे। पौधरोपण में कार्य में हुई गड़बड़ी पर ग्रामीणों के अलावा वर्तमान व पूर्व सरपंच ने भी अपना पक्ष रखा।