Damoh. तीन जिले की सीमा में फैले हुए प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही अभयारण्य में जहां लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है और 12 बाघों की दहाड़ से यह अभयारण्य गूंज रहा है। तो वहीं अब वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण होने जा रहा है। दरअसल नौरादेही अभयारण्य में 20 किलोमीटर एरिया में लाइट एंड साउंड प्रूफ एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा। जिससे वन्यप्राणियों की रोड एक्सीडेंट में मौत नहीं होगी। पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के प्रस्ताव पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने 20 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड कॉरिडोर को बनाने की मंजूरी दे दी है। लंबे समय से यहां कॉरिडोर बनाने की मांग की जा रही थी। एक हजार आठ करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट की अभी अनुमानित लागत अधिकारियों द्वारा तय की गई है।
जबलपुर- सागर मार्ग पर नौरादेही अभयारण्य की सीमा के झापन रेंज के गेट से हिनौती एंट्री गेट तक यह एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा। 20 किलोमीटर एरिया में 165 स्पीड ब्रेकर होने से वाहनों की गति भी धीमी रहेगी। यह कॉरिडोर सड़क से करीब चार मीटर ऊंचा और लाइट एंड साउंड प्रूफ रहेगा। यहां से निकलने वाले वाहनों की आवाज व लाइट जंगल में नहीं जाएगी इसके लिए साउंड बैरियर लगाए जाएंगे जो कॉरिडोर के दोनों और 20 किलोमीटर एरिया में पीवीसी की ग्रीन वॉल के रूप में रहेंगे। कॉरिडोर के नीचे से वन्यप्राणी एक तरफ से दूसरी तरफ आसानी से आ जा सकेंगे।
चीता प्रोजेक्ट के लिए भी रहेगा मुफीद
नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ सुधांशु यादव ने बताया कि एलिवेटेड कॉरिडोर बनने से यदि भविष्य में चीता प्रोजेक्ट के लिए नौरादेही में संभावनाएं तलाशी जाती है तो यह हमारे लिए एक बड़ा प्लस प्वाइंट रहेगा। क्योंकि इससे चीता का मूवमेंट आसानी से हो सकेगा। उन्होंने बताया कि पीडब्लूडी मंत्री भार्गव के लिए उन्होंने ही लाइट एंड साउंड प्रूफ एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का सुझाव दिया था। वहीं नौरादेही अभयारण्य के एसडीओ सेवाराम मलिक ने बताया कि यह कॉरिडोर बनने से वन्यप्राणियों का मूवमेंट नौरादेही अभयारण्य क्षेत्र में बना रहेगा। अभी उन्हें सड़क पार करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। केंद्रीय मंत्री गड़करी ने प्रदेश में फ्लाईओवर आरओबी ब्रिज और एलिवेटेड कॉरिडोर के कुल 31 कार्यों को स्वीकृति दी है जिनकी कुल अनुमानित लागत 2393.64करोड़ रुपये है। इसमें से सिर्फ सागर -जबलपुर मार्ग से निकलने वाले नौरादेही के कॉरिडोर की लागत ही 1008 करोड़ रुपये है।
वाहनों की चपेट में आने से होती है वन्य प्राणियों की मौत
अभयारण्य से गुजरी हुई सड़क पर वाहनों की चपेट में आने से हर साल बड़ी संख्या में छोटे- बड़े वन्यजीवों की मौत होती है। जिसे देखते हुए मंत्री गोपाल भार्गव ने एलिवेटेड कॉरिडोर बनवाने की पहल की है। इसे वन्यप्राणी संरक्षण की दिशा में अच्छा प्रयास माना जा रहा है। नौरादेही अभयारण्य म़ें 12 बाघों के साथ बढ़ते हुए बाघों के कुनबे और अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए इसे प्रदेश सरकार द्वारा टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की भी कार्ययोजना पर वन विभाग द्वारा काम किया जा रहा है।
सिवनी में सफल रहा प्रयोग
गौरतलब है कि इससे पहले सिवनी के पेंच नेशनल पार्क में एनएचएआई द्वारा बनाया गया लाइट एंड साउंड प्रूफ नेशनल हाईवे बेहद शानदार उदाहरण है। यह रास्ता नेशनल पार्क से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 से गुजरता है। मोहगांव से खवासा तक 29 किमी का लाइट एंड साउंड प्रूफ नेशनल हाईवे तैयार किया गया है। पेंच नेशनल पार्क से गुजरने वाले 3.5 किमी क्षेत्र में 14 एनिमल अंडरपास, 58 पुलिया और 18 एनिमल क्रासिंग कलवर्ट बनाए गए हैं। इसमें जानवरों के निकलने की अलग सुविधा और वाहनों के लिए निकलने अलग मार्ग है। खास बात यह है कि भारी वाहनों का शोरगुल और लाइट जानवरों के लिए परेशानी का सबब न बने इसलिए इसे लाइट एंड साउंड प्रूफ बनाया गया है और अब इसी तर्ज पर नौरादेही अभयारण्य में बनाया जाना है। एलिवेटेड कॉरिडोर में वाहन ऊपर से गुजरेंगे जबकि नीचे वन्यजीव निर्भय होकर वनक्षेत्र में विचरण कर सकेंगे।