UJJAIN. कालों के काल भगवान महाकाल के दरबार में 20,00,000 रुपए रोज का भ्रष्टाचार हो रहा था। इसका खुलासा एक अधिकारी की सतर्कता से हुआ, जिसके चलते अब तीन नियमों में बदलाव किया गया है। महाकालेश्वर मंदिर में शिव दर्शन के जरिया मंदिर समिति द्वारा 250 रु. की रसीद काटी जाती है। कई लोग फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं से मोटी रकम की वसूली का प्रोटोकाल के जरिए निशुल्क सुविधा का लाभ ले रहे थे।
महाकाल लोक निर्माण के बाद 10 गुना से ज्यादा श्रद्धालु बढ़े
महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल लोक निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में 10 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। मंदिर में प्रतिदिन डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक रैकेट रोज श्रद्धालुओं से मोटी उगाही कर रहा था। इस बात का खुलासा महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी की सतर्कता से हुआ। प्रशासक संदीप सोनी ने पाया कि महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। मगर विशेष दर्शन, गर्भगृह दर्शन आदि सुविधाओं से होने वाली आय में बढ़ोतरी नहीं हुई है जिसके बाद मंदिर में निगाह रखना शुरू की गई।
सिंडिकेट बनाकर किया जा रहा था घोटाला
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि मंदिर में रोज बीस लाख रुपए का भ्रष्टाचार कुछ लोगों द्वारा एक सिंडिकेट बनाकर किया जा रहा था, जिसका पर्दाफाश होना आसान नहीं था। हालांकि, नियमों में परिवर्तन कर अवैध वसूली पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इससे श्रद्धालुओं को भी बेहद सुविधा मिली है।
इन नियमों में बदलाव के बाद रुका भ्रष्टाचार
महाकालेश्वर मंदिर में शिव दर्शन के जरिया मंदिर समिति द्वारा 250 रु. की रसीद काटी जाती है। पूर्व में प्रोटोकाल के जरिए यह सुविधा निशुल्क उपलब्ध हो रही थी। कई लोग फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं से मोटी रकम की वसूली का प्रोटोकाल के जरिए निशुल्क सुविधा का लाभ ले रहे थे। श्रद्धालुओं से उगाई गई राशि गिरोह की जेब में जा रही थी। पूर्व में शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ हजारों की संख्या में लोगों द्वारा उठाए जा रहा था, जबकि मंदिर समिति को शीघ्र दर्शन व्यवस्था से महज 2,00,000 रु. भी प्राप्त नहीं हो रहे थे, यही राशि अब 8,00,000 के आसपास पहुंच गई है। अब महाकालेश्वर मंदिर में शीघ्र दर्शन सुविधा का लाभ उठाने वाले आम और खास को 250 की रसीद कटवाना पड़ रही है। इस नियम में बदलाव के बाद कम से कम 8,00,0000 रुपए रोज का भ्रष्टाचार रुका है।
कई लोगों को बिना रसीद गर्भगृह में प्रवेश
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के निर्णय अनुसार महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में पूजा अर्चना करने पर प्रति व्यक्ति 750 की रसीद कटाना होती है। पूर्व में कई लोग बिना रसीद के गर्भगृह में प्रवेश कर रहे थे। इसके अलावा रसीदों का भी दुरुपयोग हो रहा था। महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी के मुताबिक कुछ रसीदें फर्जी होने की जानकारी भी पाई गई थी। गर्भगृह में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रवेश कर रहे थे, जबकि मंदिर समिति को 2,00,000 रु. के आसपास ही आए हो रही थी। अब यह राशि 4 गुना बढ़ गई है, जबकि मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या भी सीमित हो गई है। इस नियम में भी बदलाव करते हुए फर्जीवाड़े को काफी हद तक रोक दिया गया है। इस फर्जीवाड़े के जरिए मंदिर में कम से कम 10,00,000 रु. रोज का भ्रष्टाचार हो रहा था।
महाघोटाला बिना कर्मचारी की मिलीभगत के नहीं हो सकता
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी के मुताबिक इस गिरोह में मंदिर समिति के कुछ कर्मचारी के मिले होने की भी संभावना हो सकती है। इसके अलावा सुरक्षाकर्मी की मिलीभगत के बिना ऐसा भ्रष्टाचार नहीं हो सकता है। हालांकि, इस पूरे मामले में पैनी निगाह रखी जा रही है जो भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, उसे सलाखों के पीछे पहुंचाया जाएगा। नए नियमों का पालन कराए जाने से मंदिर समिति की आय बढ़ी है, जबकि मंदिर में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को विशेष सुविधा का लाभ मिल पा रहा है। आईएएस और आईपीएस अफसर तक अपने परिवार के सदस्यों की रसीद कटवा कर मंदिर में दर्शन व्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं।
ऐसे काम कर रोज लाखों रुपए छाप रहा था गिरोह
महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था को कमाई का जरिया बनाने वाला गिरोह रोज लाखों रुपए छाप रहा था। गिरोह के सदस्यों की पकड़ होटल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और महाकालेश्वर मंदिर के बाहर घूमने वाले श्रद्धालुओं तक होती थी। श्रद्धालुओं को शीघ्र दर्शन और अच्छी पूजा का लालच देकर उनसे पैसे ऐंठ लिए जाते थे। श्रद्धालुओं को बताया जाता था कि शीघ्र दर्शन के लिए उन्हें 250 रु. देना होंगे, जबकि गर्भगृह में प्रवेश के लिए 1500 रु. की रसीद कटेगी। श्रद्धालु दलालों को रुपया देते थे, जबकि दलाल प्रोटोकॉल और अन्य फर्जीवाड़े के जरिए शीघ्र दर्शन और गर्भगृह में प्रवेश करवा देते थे। गर्भ गृह में 1500 की रसीद से प्रवेश दिया जाता है, जबकि इस रसीद से ही कई लोगों को प्रवेश दिला दिया जाता था। इसके अलावा राजनीतिक दल, कथित मीडिया, अलग-अलग विभागों के कोटे के प्रोटोकॉल का भी दुरुपयोग कर आसानी से प्रवेश दिला दिया जाता था, इन सबके लिए श्रद्धालुओं से राशि ऐंठ ली जाती थी।
महाकाल दर्शन के दौरान इस बात का रखें ध्यान
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि मंदिर में सभी व्यवस्थाएं पारदर्शी करने की हमेशा कोशिशें की जाती रही है।
- मंदिर में गड़बड़ियां सामने आने के बाद आप सभी व्यवस्थाओं को हाईटेक कर दिया गया है।