मध्यप्रदेश में कमलनाथ के लिए मुश्किल होगा 2023 का रण, प्रदेश बचाएंगे या बचाएंगे अपना गढ़?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में कमलनाथ के लिए मुश्किल होगा 2023 का रण, प्रदेश बचाएंगे या बचाएंगे अपना गढ़?

BHOPAL. मध्यप्रदेश की पूरी कांग्रेस से बीजेपी को डर हो या ना हो, लेकिन कमलनाथ को लेकर जबरदस्त दहशत है। कमलनाथ को लेकर ढेरों अटकलें हैं। कमलनाथ अकेले पड़ चुके हैं, कमलनाथ का साथ कांग्रेस में कोई देने तैयार नहीं। इन तमाम अटकलों के बीच कांग्रेस वाकई कमलनाथ का वनमैन शो नजर आ रही है, लेकिन जो मोदी की आंधी को झेल गए वो मध्यप्रदेश कांग्रेस के इकलौते नेता कमलनाथ हैं। पर, अब ये जंग कमलनाथ के लिए आसान नहीं होने वाली है। आने वाला चुनाव कमलनाथ के लिए किसी दोधारी तलवार से कम नहीं होने वाला। अब कमलनाथ के सामने बड़ी चुनौती है, वो प्रदेश बचाएंगे तो गढ़ हाथ से निकल सकता है और सारा फोकस अगर गढ़ पर रहता है तो प्रदेश की सत्ता में वापसी मुश्किल हो सकती है।



कमलनाथ का गढ़ ढहाने को तैयार बीजेपी



साल 2023 के विधानसभा चुनाव और साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कमलनाथ के गढ़ को ढहाने का इरादा कर लिया है। ये गढ़ है छिंदवाड़ा। जहां पिछले 4 दशक से बीजेपी की कोई चाल काम नहीं आई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के नाम की आंधी के बीच कांग्रेस के अच्छे-अच्छे बाहुबलियों का किला ढह गया, लेकिन कमलनाथ का गढ़ हिला भी नहीं। जबकि इस बार चुनाव में उनकी जगह उनके बेटे नकुलनाथ फेस थे। 2018 से ही कमलनाथ ने सिर्फ छिंदवाड़ा ही नहीं अपना पूरा फोकस मध्यप्रदेश पर कर दिया है।



छिंदवाड़ा में इंटरनल सर्जरी शुरू



सूबे की सत्ता में वापसी की महत्वकांक्षा के चलते कमलनाथ पार्टी की राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी संभालने भी नहीं गए। इसी की खातिर नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ा, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं। अब उनकी इस महत्वकांक्षा पर बीजेपी की चुनावी रणनीतियों का खतरा मंडराने लगा है। मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह छिंदवाड़ा के दौरे पर दौरे कर रहे हैं। वो यहां आए तो एक बार जाम सावली हनुमान मंदिर के दर्शन करने भी गए। दूसरी बार आए तो आम कार्यकर्ताओं के साथ भोजन किया। इंटरनल सर्जरी तो शुरू हो ही चुकी है, अब बाहरी रंग-रोगन का काम भी जोरशोर से चल रहा है। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस सीट का इतिहास बदलने पर अमादा हो चुके हैं।



कमलनाथ की नाकाबंदी की तैयारी पूरी



कमलनाथ की नाकाबंदी की पूरी तैयारी हो चुकी है। छिंदवाड़ा की सातों विधानसभा सीट समेत बीजेपी की नजर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भी है। जिसे हर कीमत पर हासिल करने की कोशिश है। दरअसल ये सीट बीजेपी की इच्छा ही नहीं जिद भी बन चुकी है। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले खुद पीएम मोदी की यहां सभा हुई थी। मध्यप्रदेश की हर लोकसभा सीट बीजेपी के खाते में गिरी, लेकिन कमलनाथ के गढ़ को हिला भी नहीं सकी। अब उनके इलाके पर नजर तो है ही साथ ही कमलनाथ के बहाने आदिवासी वोटर्स से भरपूर सीटों पर निशाना लगाने की तैयारी है। जिसके लिए खुद अमित शाह छिंदवाड़ा आने वाले हैं। जिनकी कोशिश एक पंथ दो काज करने की है। इस उम्मीद से कि शायद दोनों तीर ही निशाने पर लगेंगे।



एक तीर से 2 निशाने



लोकसभा चुनाव में बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को अपना बनाना चाहती है। उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव से ही नींव कमजोर करने की तैयारी है। एक तीर से 2 निशाने लगाने का भी पूरा प्रयास है। छिंदवाड़ा सीट को हथियाने का जिम्मा अब खुद केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने संभाल लिया है। जहां उनका दौरा 25 मार्च को ही प्रस्तावित है। इस सीट के बहाने आसपास की आदिवासी सीटों पर भी बीजेपी की नजर है।



छिंदवाड़ा पर क्यों है नजर?




  • अकेले छिंदवाड़ा में 8 लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं।


  • छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा, जुन्नारदेव और पांढुरना एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। 

  • महाकौशल की मंडला-डिंडोरी लोकसभा सीट सहित आदिवासियों के लिए आरक्षित 18 सीटों पर नजर

  • 1980 से मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा सीट पर कमलनाथ या उनके परिवार के सदस्य का कब्जा है।



  • क्या चाहती है बीजेपी?



    अब बीजेपी की ख्वाहिश है कि कमलनाथ के गढ़ पर कब्जा तो हो ही साथ ही आसपास की आदिवासी सीटें भी उसकी झोली में गिर जाएं। इस उम्मीद के साथ ही बीजेपी ने छिंदवाड़ा के लिए अपना खजाना भी खोल दिया है। छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस की स्वीकृति दी गई। 665 करोड़ रुपए के स्थान पर 768.22 करोड़ रुपए की पुनरीक्षित की स्वीकृति दी गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करीब 100 करोड़ रुपए की लागत के 30 निर्माण कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण दिसंबर महीने में किया गया। लोक निर्माण विभाग की एक दर्जन सड़कों का भूमिपूजन भी किया गया। इसके दम पर बीजेपी की कोशिश है कि वो छिंदवाड़ा को अपने बस में कर सकेगी। हालांकि कांग्रेस के दावे कुछ और ही हैं।



    शिफ्ट होगा कमलनाथ का फोकस



    बीजेपी की इस चाल से ये तय माना जा रहा है कि कमलनाथ का फोकस जरूर शिफ्ट होगा। फिलहाल छिंदवाड़ा की ओर से निश्चिंत कमलनाथ का पूरा फोकस प्रदेश पर है। बीजेपी की इस जोरआजमाइश के बाद ये तय है कि कमलनाथ को छिंदवाड़ा में अपने तंत्र को कसना होगा, जिसमें समय भी जाया होगा ही। खबर तो ये भी है कि अमित शाह के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी छिंदवाड़ा का दौरा करेंगे। ताकि कमलनाथ  के  गढ़ को भेदने की ज्यादा पुख्ता रणनीति तैयार कर सकें।



    क्या छिंदवाड़ा में कमल खिलाएगी बीजेपी?



    फिलहाल बीजेपी के एक हाथ में लड्डू और एक हाथ में बर्फी नजर आती है। कमलनाथ का ध्यान भटका तो प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होगी। अगर नहीं भटका तो बीजेपी कमलनाथ परिवार की लोकसभा सीट छिंदवाड़ा पर जीत का परचम लहराने में कामयाब होगी। फिलहाल तो दोनों ही पहलू बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहे हैं। पर ऐसा भी डर है कि कमलनाथ का नाकाबंदी करते करते बीजेपी सिर्फ छिंदवाड़ा में ही नाक बचा सके और बाकी प्रदेश में अबकी बार 200 पार का सपना, सपना ही बनकर रह जाए। जिस रणनीति से बीजेपी कमलनाथ को पछाड़ने की तैयारी में हैं, वो बैकफायर हुई तो बीजेपी की सारी मेहनत धरी रह जाएगी। छिंदवाड़ा का क्या है, उसे तो कमल मिलना ही वो नाथ के रूप में मिले या चिन्ह के रूप में। उसके तो दोनों हाथ में वाकई विकास का लड्डू पहुंचता नजर आ रहा है।


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