Damoh. दमोह जिला न्यायालय की एडीजे आरती शुक्ला पांडे ने एक मामले में झूठा राजीनामा पेश करने के मामले में अधिवक्ता सहित तीन आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। करीब 10 साल से यह मामला कोर्ट में चल रहा था। जिस पर अब फैसला आया।
अभियोजन के अनुसार तेजगढ़ थाना के पतलौनी निवासी आरोपी हल्ले भाई उर्फ छप्पन सिंह ने सुरेंद्र सिंह के साथ मारपीट कर दी थी। जिस पर आरोपी हल्ले सिंह के खिलाफ 323, 294,506 बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में सीजेएम कोर्ट में 2 अप्रैल 2012 को अधिवक्ता एसके जहूर ने एक राजीनामा प्रस्तुत किया था।
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जिसमें उन्होंने पतलौनी निवासी जयपाल सिंह को फरियादी सुरेंद्र सिंह बताया और इस मामले में राजीनामा करा लिया। लेकिन उसी दिन शाम को न्यायालय में पतलौनी निवासी सुरेंद्र सिंह स्वयं पहुंच गया और उसने राजीनामा नहीं करना बताया। जिस पर न्यायधीश ने सुरेंद्र और जयपाल सिंह के हस्ताक्षर और फोटो मिलान कराए तो दोनों अलग मिले। जिस पर न्यायाधीश ने आरोपी हल्ले, जयपाल सिंह और अधिवक्ता एसके जहूर के खिलाफ मामला दर्ज कराने का आदेश दिया।
पुलिस ने तीनों के खिलाफ धारा 419 के तहत प्रतिरूपण छल करना, 468 के तहत छल के लिए कूटरचना करना, धारा 471 के तहत कूटरचित दस्तावेजों को असली के रूप में प्रयोग सहित धारा 205 के तहत साक्ष्य अपराधिक छदम प्रतिरूपण करके जमानत के लिए दस्तावेज बनाने का मामला दर्ज किया।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने तीन आरोपियों को अलग-अलग सजा सुनाई। सजा के दौरान आरोपी अधिवक्ता एसके जहूर ने कोर्ट से निवेदन किया कि वे 28 साल से कोर्ट में पैरवी करते आ रहे हैं। उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं है। इसलिए इस मामले में उन्हें कम से कम सजा दी जाए। जिस पर न्यायाधीश ने तीनों 2-2 साल की सजा दो बार और तीन साल की एक बार सुनाई गई।